कल रात रुद्रपुर में कवि सम्मेलन था। हास्य रस के कवि अरुण जैमिनी जी का आगमन हुआ। उनके साथ बहुत पुराना रिश्ता है, वह एक बार रूद्रपुर आए थे मैंने उनके साथ एक ही मंच कविता पाठ किया था। उनको लगभग 30 साल पहले ओशो टाइम्ज़ में पढ़ा था, जब ओशो आश्रम पूना में कवि सम्मेलन हुआ था तो अरूण जैमिनी ने हास्य के बारे में कुछ कहा था वो उसमें छपा था।
अरुण जैमिनी जी से बात हुई और मैं उन्हें मिलने होटल पहुंच गया। उनके कमरे में ओर कवि मित्र भी थे। जब वो मिले चेहरे पर हमेशा की तरह मुस्कुराहट , खुशी के फूल भी खिले हुए थे।
फिर बातें हुई थी, मैंने कहा "वाह वाह क्या बात है" कार्यक्रम बंद होने से बहुत बड़ा नुक्सान हुआ है। वह एक ऐसा कार्यक्रम था जिसमें कोई ना कोई संदेश होता था। उसमें दिग्गज कवियों को सुनने का मौका मिलता और नए कवियों को भी एक मंच मिलता था। फूहड़ और दिव्य अर्थ कामेडी से वो कोसों मील दूर था।
इस बात की हम ही वहां पर बैठे और कभी मित्रों ने भी सहमति जताई।
मेरी गुजारिश है सोनी सब टीवी और सेलैश लोढा जी से, कि वो कार्यक्रम दोबारा शुरू किया जाए।
अरुण जैमिनी जी को याद था जो कि कुछ साल पहले यहां पर आए थे तो वह गाड़ी में चिराग जैन जी के साथ हमारी लाइब्रेरी के लिए कुछ किताबें लेकर आए थे । इस बार भी उन्होंने कहा तेरे यहां पर दिल्ली आओ और वँहा से कुछ किताबें ले जाना।
यँहा पर अरुण जैमिनी जी के बारे में बताना भी जरूरी है कि वह विश्व भर में लगभग 3900 कवि सम्मेलन में हिस्सा ले चुके हैं। जिसमें ऑस्ट्रेलिया ,चाइना, दुबई, कनाडा, सिंगापुर, थाईलैंड, हांगकांग, नेपाल, तुर्की इत्यादि बहुत सारे देश हैं। उनका हरियाणवी चुटीला अंदाज़ पूरे विश्व भर में मशहूर है। वो काका हाथरसी, गौरव हरियाणा गौरव और बहुत सारे अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं ।
अब बात करते हैं हास्य के बारे में
हम सब के मन में नौ तरह के स्थायी भाव होते हैं। ये भाव हैं : रति, हास, क्रोध, शोक, उत्साह, जुगुप्सा, भय, विस्मय और निर्वेद
हर रस का अपना एक महत्व है। जब हम खुलकर हँसते हैं तो हमारे शरीर में कई किस्म के हार्मोनज़ का स्राव होता है जो कि हमें गहरी नींद, मन में खुशी, जीवन में तालमेल, संबंधों में प्रेम पैदा करता है स्वयं से प्रेम होना बहुत ज़रूरी है क्योंकि जब स्वयं से प्रेम होगा तभी हम दूसरे से प्रेम कर पाएँगे।
जब हम हंसते हैं तो हमारे शरीर में Endorphin नाम का हार्मोन एक्टिवेट होता है जो हमें भय, चिंता और कई असाध्य रोगों से मुक्त करता है । मैनें रांडा बर्न की किताब रहस्य (The Secret) बहुत पढी है जिसमें लिखा है , कुछ लोग जो कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रस्त थे जिनको डॉक्टर ने बता दिया था वो कुछ ही दिन के मेहमान हैं ।
उन लोगों ने भी सोचा कि अब कुछ दिन के मेहमान हैं तो चलो क्यों ना खुलकर हंसा ही जाए? तो उनमें से कई लोगों ने कार्टून देखने शुरू कर दिए , जैसे मिक्की माउस, लारेल हार्डी के। वो सारा दिन बस हँसते ही थे। ऐसा करने से वो असाध्य रोगों से मुक्त हो गए।
आज के मौजूदा समाज में हमारा हंसना और नाचना बहुत कम हो गया है। हमें अपने दोस्तों, परिवार के मैंबरों के साथ गप्पे मार कर खूब हंसना चाहिए, बिना कारण हंसना चाहिए । ओशो ने कहा है उत्सव अमार जाति , आनंद अमार गोत्र। जिसका मतलब है कि उत्सव इनकी जाति है और आनंद इनका गोत्र।
अरुण जैमिनी जी के साथ तस्वीर खिंचवाई और मैंने उनसे विदा ली।
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आपका अपना
रजनीश जस
रूद्रपुर
03.11.2019
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