Sunday, November 14, 2021

साईकिलिंग 11.11.2020

रविवार है तो फुर्सत, दोस्त, साइकिलिंग, किस्से, कहानियां। सुबह साइकिल के लिए निकला तो माथे को ठंड लगी, अब मौसम में ठंडक बढ़ गई है। अब लग रहा है अगले रविवार टोपी पहन कर जाना पड़ेगा।
चाय के अड्डे पर पहुंचा तो दुकान बंद, भीम दा अपने गांव दिवाली मनाने गए होंगे। मैं वहां से आगे निकल गया तो फिर शिवशांत का फोन आया तो वो वँहा चाय के अड्डे  पर था तो मैं वापिस आया। थोड़ी देर में हरिनंदन भी आ गया। फिर हम तीनों निकल लिए सैर को। रास्ते में पेड़ पर कुछ चिड़िया चहचहा रही थी।  वो मधुर आवाज़ सुनी और उसकी वीडियो बनाई। हम आगे बढ़ते हैं  तो देखते हैं आसमान में तरह-तरह के बादल हम  हैरान हो रहे थे। सुबह-सुबह अलग अलग तरह के पंछी देखने को मिलते हैं। मौसम में बदलाव आने के कारण तितलियां दिखाई नहीं पड़ रहीं। हम खड़े थे तो ललित भाई साइकिल पर दिखाई दिये मैनें आवाज़ लगाई तो उन्होंने कहा मैं वापस आता हूँ, पर वो रूके नहीं।

 इत्तेफाक पर अच्छी बात याद आई।
ओशो एक किस्सा सुनाते हैं।
 फ्रांस के स्टेशन पर ट्रेन रूकी। एक लड़का और एक लड़की उतरे। लड़की उसके बाद बहुत सारा सामान था। लड़के ने कहा, क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूँ? लड़की ने हां कहा और दोनों स्टेशन से बाहर की तरफ चल दिए। वह दोनों वहां पर घूमने आए हुए थे। उन्होंने कहा टैक्सी दो क्यों एक ही कर लेते हैं। आधे घंटे का रास्ता था। उनमें खूब बातचीत  हुई । जब कार होटल पर पहुंची उन्होनें तैय किया, कमरे दो क्यों एकही ले लेते हैं। उन्क्होनें एक ही कमरा लिया। उनमें प्यार हो गया, शादी हो गई फिर वह बच्चा पैदा हुआ। तो वो बच्चा लेखक बना,  उसने लिखा कि कमबख्त उस दिन कुली नहीं था स्टेशन पर तो बात यहां तक पहुंच गई?😃😃

हररिनंदन ने बताया कि जे कृष्णमूर्ति के स्कूल की वीडियो देखी जिसमें उसने स्कूल के बच्चे  देखें जिसमें हो भोजन नीचे बैठकर कर रहे हैं। वो वहां बैठे खाना खा रहे थे,  इस स्कूल में कोई भी क्लास नहीं है टीचर भी आसपास हैं। उनको कोई मुश्किल आती है तो वो टीचर से पूछ लेते हैं। हरिनंदन कह रहा था अगर उसे भी उस स्कूल में पढ़ने का मौका मिलता है तो  कुछ और ही बात  होती। ओशो भी कहते हैं 26 साल की उम्र तक जो हम बच्चों को सिखाते हैं वह 16 साल तक की उम्र तक सीख सकते हैं। हमारे सिखाने की चेष्ठा और उनके विरोध के कारण 10 साल ज्यादा लग जाते हैं।

 फिर बात हुई तिब्बत के लोगों के बारे में। जैसे दलाई लामा तिब्बत से यहां पर आए तो कहते हैं हम उस वक्त इतने  घने बादल छा गए कि चीन के सिपाहियों को दिखाई भी नहीं पडा। नहीं तो वो पता नहीं क्या व्यवहार करते दलाई लामा के साथ?
यह भी हो सकता है कि कुदरत ने उन को बचाना था। दलाई लामा के साथ एक ऐसी परंपरा भारत में आई जो कि रहस्य से भरी हुई है। वह तिब्बत से खच्चरों पर बहुत सारी किताबें और बहुत सारा सोना लेकर आए जो कि आजकल धर्मशाला में रह रहे हैं ।
 साथ बात भी हुई मिलरेपा के बारे में। मिलरेपा एक भिक्षु हुए है जो कि बचपन में उनके चाचा चाची ने उसके मां-बाप की संपत्ति हड़प ली। उसके पिता  की मृत्यु बचपन में हो गई थी। उसके बाद फिर दोनों ने अपने चाचा चाची को जिंदा जला दिया। फिर वो पश्चाताप की आग में जलने लगे। फिर मिलरेपा ने कठिन तपस्या की और बुद्धत्व को उपलब्ध हुए। एक किताब भी 100 सांग्स आफ मिलरेपा। एक फिल्म भी बनी है। 

 घुमक्कड़ होने का एक किस्सा। हरिनंदन हल्द्वानी पढ़ने जाता था। एक दिन वह टिऊशन पर लेट हो गया तो उसने उसके मन में आया कि कैंची धाम मंदिर जाए। पर उसकी जेब में पैसे नहीं थे। उन दिनों कोई ऐसा एक ऐप आया था जिससे कि बैंक से पैसे आ सकते थे । तो उसने पैसे निकलवाए और बस पकड़ कर वहां पहुंचा। वँहा आधा घंटा ध्यान में बैठने से उसे शांति का अनुभव हुआ। उसने वापिस आना था उसको पता नहीं था कैसे? वँहा पर एक आदम था उसने कहा कि तुम्हारी श्रद्धा देखकर मैं हैरान हूं। तो उसने उसको कहा कि उसने किच्छा जाना है तो उसने उसको रुद्रपुर तक लिफ्ट दे दी। तो क ई बार ऐसा भी होता है।

हम धूप में हम आनंद ले रहे थे उधर से ललित भाई निकले। मैंने आवाज़ दी और वह बोले कि मैं बाद में आता हूं। अगले चक्कर में भी वहीं पर खड़े हुए थे ललित भाई साईकलिंग करते हुए बोले, तुम साइकिलिंग भी करोगे या खड़े गप्पे मारते रहोगे?😊😊

और बहुत सारे विषयों पर बातें हुई। बातें करते करते हम चाय के अड्डे पर आए तो 9:30 बज चुके थे। वहां से  फिर  हम घर को वापिस लौट आए। 

फिर मिलेंगे।

आपका अपना
रजनीश जस
रुद्रपुर, उत्तराखंड
निवासी पुरहीरां, होशियारपुर 
पंजाब
15.11.2020
#rudarpur_cycling_club
#rudarpur

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