रविवार है तो फुर्सत ,साइकिलिंग, दोस्त, किस्से कहानियां। सुबह साइकिलिंग के लिए निकला तो टोपी वगैरह लगाकर क्योंकि मौसम में ठंडक बढ़ चुकी है। लेह लद्दाख में बर्फ पड़ गई है, मैदानों में बारिश हो चुकी है, ऊपर उत्तराखंड में केदारनाथ के कपाट बंद हो चुके हैं बर्फबारी के कारण।
हम भी साइकिल उठाकर चल दिए। शिव शांत चाय के अड्डे पर इंतज़ार कर रहा था। पर अभी भी भीम दा पहाड़ से वापिस नहीं आए हैं तो फिर हम साइकिलिंग करने आगे निकले। सुबह-सुबह पंछियों की आवाज सुनी, फोटोग्राफी की।
फिर वापिस आ गए, आज पास ही एक चाय की दुकान पर डेरा जमाया। फिर हरिनंदन भी आ गया।
फिर बातचीत शुरू हुई थियोसोफिकल सोसाइटी बनाने वाली लेखिका ब्लॉटबसकी के बारे में। हरिनंदन बता रहा था कि जब वह उसने कहा है कि जब वह किताब लिखती थी तो वह कहती थी कि "वह खुद नहीं लिख रही कोई ना कोई शक्ति उससे यह लिखवा रही है।"
क्या कमाल की बात है, कि कुदरत ने हमसे जो काम लेना होता है हमारी बुद्धि को वैसा ही हो बना देती है। शिवशांत भी बता रहा था कि जब वह कोई शायरी करता है तो वह पता नहीं कैसे हो जाती है अपने आप? पर जब वह कोशिश करके लिखता है तो कुछ लिखा नहीं जाता। ओशो ने भी कहा है कि कवि, आम आदमी और संत के बीच की अवस्था होती है कभी-कभी उसको झलक मिलती है परमात्मा के संसार की।
थोड़ी देर में चाय आ गई। ब्रेड खाए।
हरिनंदन ने अपने अनुभव बताए ध्यान के बारे में।
मुझे एक फिल्म की कहानी याद आ गई शॉर्ट मूवी मुंबई वाराणसी एक्सप्रेस,
जो Dee Pa मैडम ने भेजी थी।
एक आदमी जिस को कैंसर हो गया डॉक्टर ने बोल दिया कि अब तुम्हारी मृत्यु निश्चित है। वह मुंबई से काशीकी ट्रेन पकड़ता है। हिंदु धर्म में ये मान्यता है कि जिसकी मृत्यु काशी में होती है उसको मोक्ष प्राप्त होता है। जब वह जब ट्रेन में बैठता है तो एक गुजराती आदमी उसके सामने बैठा है। वो गुजराती उसे खाने के लिए कुछ देता है पर वह अभी खाता नहीं तो उसके पेट में अल्सर है।
गुजराती खाने पीने के बहुत शौकीन है। वो गुजराती उसको बताता है कि सूरत रेल्वे स्टेशन के सामने एक ढाबा है यहां पर खाना बहुत टेस्टी होता है। फिर वह काशी आता है तो वहां रिक्शा वाला जो उसे छोड़ने आता है तो वह कहता है कि जब आप अपनी मर्ज़ी से काशी में मरकर मोक्ष के लिए आए हैं जब आप मर जाओगे तो आप का कार्यक्रम बड़े धूमधाम से करूंगा। वँहा पर वह कमरा किराए में लेता है तो फिर मैं रिक्शा वाले के साथ दोस्ती हो जाती है। रिक्शावाला उसे एक अखाड़े में लेकर जाता है। वो वँहा पर मरघट पर हर रोज़ मुर्दे जलते देखता है । वँहा एक बच्चे से दोस्ती हो जातीहै। यह करते करते करते हुए और ठीक हो जाता है। डाक्टर ने जो समय दिया होता है उससे बहुत समय ऊपर हो जाता है, अब वह खुश है, सेहतमंद हो गया है। यहतो करिश्मा ही है।
एक दिन वो जलेबी समोसे खा रहा होता है तो जिस अखबार में वो पैक हुए होते हैं वो उसमें देखता है कि ख़बर आई कि उसके बेटे का बिज़नेस में बहुत दिक्कत आ गई है। तो पुत्र का मोह जाग जाता है। तो वह मुंबई वापिस जाना चाहता है तो वह रिक्शा वाले के साथ उसका खूब झगडा होता है। पर फिर भी वह वापिस मुंबई की ट्रेन पकड़ लेता है।जब ट्रेन सूरत में रुकती है तो उसको वँहा के ढाबे की याद आ जाती है। तो जैसे वो ढाबे पर खाना खाने जाता है तो फिर रास्ते में टक्कर होती है तो उसकी भी मृत्यु हो जाती है।
फिल्म की कहानी लिखने वाले ने बड़ा कमाल का लिखा है कि जब हम मृत्यु को स्वीकार कर लेते हैं तब वह हमारा कुछ नहीं बिगाड़ती पर जब हम जीवन के मोह में ग्रस्त होकर जीवन को पकड़ने की कोशिश करते हैं तो मृत्यु आकर हमें पकड़ लेती है। इस फिल्म का लिंक नीचे भेज देख रहा हूं ।
https://youtu.be/N1R6Fyf5V6M
आप भी देखें।
फिर बहुत सारे विषयों पर बातचीत हुई जैसे कि ध्यान के बारे में हरिनंदन से बातें हो रही थी तो मैंने कहा ध्यान को किसी गुरु के देखरेख में ही करना चाहिए।
फिर कुछ फिल्मों का जिक्र हुआ। उसने अघोरी की एक फिल्म के बारे में जिक्र किया।
फिर महात्मा बुद्ध के बारे में बातें हुई। उनके ऊपर एक सीरियल बना था जो ज़ी टीवी पर आया था। उस सीरियल को बनाने के लिए उसके डायरैक्टर ने श्रीलंका, जापान और जहां जहां भी बुद्ध का प्रसार हुआ वो खुद वँहा गए।वहां पर जाकर उनकी लिखी हुई किताबें और उनके सन्यासियों से करके ही उस सीरियल
को बनाया।
फिर बैठे-बैठे ठंड लगने लग गई।हम धूप में आकर खड़े हो गए। बातें करते करते हैं 9:00 बज गए ।
फिर हम भी वापस निकल लिए अपने अपने घरों को।
फिर मिलूंगा एक नया किस्सा लेकर।
आपका अपना
रजनीश जस
रूद्रपुर
उत्तराखंड
निवासी पूरहीरां
होशियारपुर, पंजाब
#rudarpur_cycling_club
#rudarpur
22.11.2020
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