Tuesday, November 23, 2021

साईकिलिंग 24.11.2019

रविवार आते ही मन में उल्लास भर जाता है, दोस्तों से मिलना जो होता है साइकिलिंग के बहाने । रविवार है तो  घर से निकला साइकिल लेकर । आज 7 बजे के बाद ही निकला, थोडी देर  हो गई थी ।
सर्दियों की शुरुआत हो चुकी है,  सड़क पर कोहरा था। कोहरे में बहुत ध्यान से चलना पड़ता है । चाय के अड्डे पर पहुंचा तो पंकज वंही था। आग जलाकर ताप रहे थे। हमने चाय  और ब्रेड का कहा। चाय पीकर हटे तो  थोड़ी ही देर में शिव शांत और प्रेम भी आ गए।

 शिव ने एक दिलचस्प बात बताई कि वो कहीं भी जाता है तो वहां पर उसको ठहरने के लिए होटल नहीं लेने पड़ता क्योकिं उसके हर जगह पर दोस्त हैं। दुनिया भर में ऐसे बहुत सारे घुमक्कड़ है जो कि घूमते रहते हैं बिना पैसे के। अब हाल ही में एक किताब आई है एक बार आदमी ने पूरा भारत घूमा है वह भी बिना पैसे के,वो भी  ट्रक ड्राइवरों से लिफ्ट ले लेकर । उसने यह भी लिखा है कि हम ट्रक ड्राइवरों को बहुत बुरा मानते हैं ,पर जब उनके साथ सफर करते हैं उनकी कठिनाइयों और  उनके जीवन की समस्याओं का पता चलता है।भारत भ्रमण करते हुए भारत में अच्छे लोगों और अलग-अलग तरह की सभ्यता का पता चलता  है । 
फिर थोड़ी देर में राजेश सर आ गए ।

जापान के बारे में बात हुई ।  दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका ने हिरोशिमा नागासाकी के ऊपर बम फेंक दिया तो उसके शहर पूरी तरह तबाह कर दिए  थे । तो उसके बहुत साल बाद जब जापान ने बहुत तरक्की की।  तो किसी पत्रकार ने किसी के जापानी से पूछा तो आपने अमेरिका से कैसे बदला  लिया?  तो उसने सहजता से जवाब दिया   अगर आप अमेरिका के राष्ट्रपति के दफ्तर में एलईडी देखोगे या कुछ और साधन देखो में सब जापान के ही तो है। बदला लेने क्या यह ढंग भी अनोखा है।
 बुद्ध की देशना चीन, जापान ,भूटान और यहां यहां भी पहुंची है उन देशों की तरक्की आज  देखने लायक है । बुद्ध कहते हैं क्रोध को करुणा से ही जीता जा सकता है। यही बात जापान ने सिद्ध की है।

 किस्से कहानियों का दौर चलता रहा। ठंड होने के कारण तितलियाँ   दिखाई नहीं दे रही थी। प्रेम ने एक बात बताई के एक लड़का भारत से रशिया घूमने गया। वहां उसे वहां की लड़की मिली। उस लड़की से जब जान पहचान हुई तो उसको भारत को जानने की उत्सुकता पैदा हुई। वह लड़की फिर भारत घूमने आई।
 राजेश सर  चले गए और हम निकल लिए पैदल आगे सैर करने के लिए। बातें होने लगी के आदमी की हरकतें देख कर ऐसा लगता है कि वह शायद इस धरती का प्राणी नहीं है। क्योकिं इसको इतने लाख साल हो गए धरती पर आए हुए, और इतने सालों में अब तक इसने  तरक्की की है इसने  इतने हथियार बना लिए हैं कि धरती को 20 बार नष्ट किया जा सकता है। इससे पता चलता है कि बुद्धि का विकास हुआ है,  पर साथ में विवेक का विकास नहीं हुआ । वो इस धरती को तबाह  करने पर तुला हुआ है। कई वैज्ञानिक तो यहां तक कहते हैं कि अगर आदमी धरती पर ना हो तो इकोसिस्टम बिल्कुल सही तरीके से चल सकता है। धरती आदमी के बगैर  चल सकती है ,  पर अगर  पेड़ पौधे ,पंछी सब नष्ट हो जाए तो फिर धरती नहीं चल पाएगी।
 रास्ते में  प्रेम बेरी की झाडियों से बेर तोड़ रहा था  मुझे वह सौदागर फिल्म का गीत याद आ गया।  इमली का बूटा 
बेरी का पेड़
चल घर जल्दी 
हो गई देर 

अलग-अलग विषयों पर बात हुई कि जैसे इंसान की जरूरत है तो कम है पर बेवजह की दौड़ ने उसे पागल बना रखा है । जैसे कि आदमी सुख सुविधायों  के लिए पैसा कमाता है पर वो पैसा कमाने में ही इतना व्यस्त हो जाता है को सुख सुविधा को भूल ही जाता है।  जैसे हमें एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए किसी ना किसी साधन की जरूरत होती है।वो कुछ भी हो सकती है , स्कूटर बस कुछ भी हो सकता है । अभी आदमी के पास कार है। जिस दिन वह  नई कार खरीद कर लाता है उसी दिन वो सोच लेता है कि 2 साल बाद मुझे यय बेचकर दूसरी कार लेनी है। पर यह नहीं सोचता कि दो साल में उसको जिंदगी जीनी है या नहीं?
 इसी पर एक शेर याद आ गया कि
 बस यही दौड़ है इस दौर के इंसानों की
 तेरी दीवार से ऊँची मेरी दीवार बने

 प्रेम बात कर रहा था कि दिल्ली प्रदूषण की समस्या के कारण वँहा एक दुकान खुली है यहां पर शुद्ध ऑक्सीजन के लिए 15 मिनट दिए जाते हैं और उसके 350 रूपये  तक  लगते हैं। पंकज ने बताया कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी की कार्बन फिल्म इसी विषय पर आई है। बातें करते-करते हम फिर दोबारा चाय केअड्डे पर आ गए। पंकज ने अपना मोटरसाइकिल उठाया और फिर हमने साइकिल।फिर चल दिए घुमक्कड़  अपने घर को ।
फिर मिलेंगे  एक नए  किस्से के साथ।आज इतना ही।
 तब तक के लिए अलविदा।
आपका अपना
 रजनीश जस
रूद्रपुर उत्तराखंड
24.11.2019

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