Saturday, November 27, 2021

साईकिलिंग और थोडा सा रूमानी हो जाँए, फिल्म के किस्से

सुबह साइकिलिंग पर पहुंचा तो कोई दोस्त नहीं आया था। शायद ठंड बढ़ने से कंबल ने पकड़ मजबूत कर ली। साईकिल से चक्कर लगाया पंछियों की आवाज़ सुनीं। कुदरत का संगीत लगातार चल रहा है, हमें सिर्फ रूक कर सुशना ही है, रूकना सिर्फ शरीर का नहीं, मन का रूकना भी जरूरी है।

 रास्ते में देखा लड़के क्रिकेट खेल रहे थे और लड़कियां कबड्डी। कोरोना खत्म हुआ है तो ज़िन्दगी बहाल होने लगी है।
       फूलों पर ओस की बूँदें हीरे से कम नहीं

 भीम दा के चाय के अड्डे पर पहुँचा तो देखा आग जल चुकी है इसका मतलब सर्दी का आगमन का बिगुल बज चुका है। एक लेमन की और ब्रेड का आर्डर देकर मैं आग के पास बैठ गया।
आज सुबह ही फिल्म की याद आ गई नाना पाटेकर की फिल्म है, आमोल पालेकर के निर्देशन में, फिल्म का नाम है ," थोड़ा सा रूमानी हो जाएँ" ।

एक लड़का जिसको ऊंचाई से डर लगता है, एक लड़की है जो कि साँवली है वह सोचती है मेरी शादी नहीं हो सकती। उसका भाई है जो कि सोचता है बारिश नहीं होगी तो फसल नहीं होगी। नाना पाटेकर का आना होता है और फिल्म दिलचस्प मोड़ लेती है।
पहले नाना पाटेकर के दिलचस्प डायलाग और पूरी फिल्म का लिंक शेयर कर रहा हूँ
https://youtu.be/fwOKxgpLuS8

पूरी फिल्म का लिंक

https://youtu.be/-Tq2U8ze_8o

अब आते हैं साईकिलिंग की तरफ 
कभी सुना आपने साइकिल का जन्मदिन मनाना। नहीं सुना ,तो सुनाता हूं।
 इसका से हमारे एक जानकार मिलें। उन्होंने बताया छोटे थे तो उन्होंने चौथी क्लास में पढ़ते थे और उनको बड़ा शौक था कि साईकिल चलाएँ।  उनके बड़े भाई साहब पढ़ने चले गए और उनके दादाजी का साइकिल जो घर पर था उसने अपने पिता जी को कहा कि इसे सही करवा दो तो पिता जी उसकी चेन वगैरह सही करवा कर लाए। वह  चौथी क्लास में अपने स्कूल में ले जाने लगे। स्कूल से छुट्टी की जल्दी रहती कि साईकिल चलाना है।  फिर पाँचवी कक्षा में हो गए हैं तो अपने पिता को कहा नयी साईकिल लेनी है। पर पिता ने शर्त रखी अगर तुम अच्छे नंबर लेकर आए तो तुम्हें मैं साइकल दिलवा लूंगा। तो उनकी फर्स्ट डिविज़न आई ।  उधर  सफेदे के पेड़ काटे गये थे तो आमदनी हुई तो पैसे आए थे। तो उसके पिता ने उन्हें हीरो रेंजर साइकिल दिलवा दी।  ल सुबह और शाम अपना साइकिल की  सफाई करते। स्कूल में दीवार से सटाकर खड़ा करते कि कि गिरने के चांस ना हो। किसी और को उसके पास साइकिल खड़ा करने नहीं देते थे।  साइकिल की सीट के पीछे  तारीख लिखी होती थी जिस तारीख को वो खरीदा होता था। तो फिर जब उसको खरीदे एक साल पूरा हो गया तो अपने दोस्तों के साथ पार्टी की और साईकिल का जन्मदिन मनाया। उन दिनों अमरूद और कच्चे आम काटकर नमक लगाकर पार्टी की। उन्होनें बताया कोई अपनी मर्सीडीज़ कार को भी इतना संभालकर नहीं रखता होगा जितना वो अपने साईकिल को रखते थे।

फिर  मिलेंगे एक नये किस्से के साथ।

आपका अपना 
रजनीश जस
रुद्रपुर ,उत्तराखंड
निवासी पुरहीरां, होशियारपुर,
पंजाब
28.11.2021
#rudarpur_cycling_club

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