Friday, October 9, 2020

Stress Free Life Part 2 (Hindi)

 कल मैं अपने दोस्त की फेसबुक वॉल देख रहा था तो एक विचार देखा जो कि मेरे दिल को भा गया।

" मेरे ख्याल में स्कूल में अनिवार्य विषय होना चाहिए जिसमें डिप्रेशन,उदासी ,सिजोफ्रेनिया, गलत खाने के शरीर पर दुष्प्रभाव इत्यादि बीमारियों के बारे में बताया जाना चाहिए। 

बच्चों में दूसरे के गुणों को देखकर उनको गुणों को अपने जीवन में उतारने और खुद की मदद करने की क्षमता पैदा करनी चाहिए।"


अमेरिका में हर तीसरा आदमी मानसिक  रोगी  है और हर 11 मिनट का दुनिया में एक आत्महत्या का केस आगे आ रहा है, जोकि बहुत दुखद है।


आईए निराशा में आशा का दीप जलाती एक जीवन गाथा देखें।


हमारे देश के भूतपूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जब साउथ से यहां पर देहरादून में एनडीए की परीक्षा देने आए तो उसने वह पास नहीं हो सके। ऋषिकेश में गंगा के किनारे बड़े उदासीन घूम रहे थे। उस वक्त एक संत ने उनको देखा और पूछा बैठे क्यों उदास हो? तो उन्होंने बताया कि मैं अपनी भुआ के गहने गिरवी रखकर या एनडीए की परीक्षा में आया था। मुझे पूरी उम्मीद थी कि उसके पास हो जाऊंगा पर अब में फेल हो गया हूं। अब मुझे जीवन में आगे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा।

 तो उन संत ने कहा, बेटा अगर तुम एनडीए की

परीक्षा पास नहीं हुए तो हो सकता है कि तुम तुम्हारा जीवन किसी और बड़े लक्ष्य के लिए पैदा हुआ हो। वो कलाम जी को अपने आश्रम में  लेकर गए, खाना खिलाया और रात को ठहराया।   ट्रेन की टिकट बुक कराई और फिर वापस भेजा।अब हम सब जानते हैं कलाम जी कितनी ऊंचाई तक पहुंचे?


 हम अपने बच्चों को कई बार इतना मजबूर करते हैं कि देखो पडोसियों  का बच्चा 95% नंबर लाया है तुम 96% लेकर आओ। कई बार हम उनको बुरा भला भी कहते हैं। कई बार  उनके मन में कसक बैठ जाती है,  फिर वो बडे होकर मां बाप और समाज से बदला लेते हैं। 


अगर किसी आदमी को लगातार उदासी  रहती है तो होम्योपैथिक दवाई का सेवन करके उसे बाहर आ सकता है।

 भारतीय शास्त्रीय संगीत में बांसुरी वादन, सितार वादन, संतूर वादन सुनकर मानसिक रोगों से मुक्ति मिल सकती है।


अक्युप्रैशर भी एक अच्छा साधन है ,इससे निजात दिलाने के लिए।


आधुनिक होने की दौड़ में हमारी नींद भी कम हो गयी है। पहले वो 8 से 9 घंटे होती है उसके से घटकर 6 से 7 घंटे हो गई है। जिसके कारण भी आदमी मानसिक तौर पर परेशान करने लग गया है ।


जैसे कि कहा जाता है कि कुदरत ने हमें यह शरीर दिया है जो एक कार की तरह है  जिसमें पांच गियर हैं।  पर हम इसमें पहले गियर का ही इस्तेमाल करते हैं  जिसमें रोटी कपड़ा और मकान आता है। बस इसी में हमारा जीवन समाप्त हो जाता है। हम जीवन के और पहलू तो देख ही नहीं पाते। 



 मैं एक आदमी को जानता हूं जो के एक सरकारी टीचर था। नौकरी करते करते उसने एक प्राइवेट कंपनी में फाइनेंस का काम करना शुरू किया। अपने बेटे  और बेटी को अच्छा पढ़ाया लिखाया । सरकारी टूर बनाकर वो स्कूल से फरार रहता। उसने खूब  कमाई  की। बेटा और बेटी दोनों की शादियां की। फिर दोनों का तलाक हो गया।  फिर दोबारा उन दोनों की  शादियां करवाई। अब वह बुढ़ापे में है और मानसिक रोगी बन चुके हैं।

उन्होनें पूरा जीवन  तैयारी में ही लगा दिया जिया तो है ही नहीं। रेत मुट्ठी से गिर गई।


आप भी अपने इर्द-गिर्द ऐसे बहुत सारे लोगों को देख सकते हैं। जो लोग बूढ़े होते हैं जब उनको दिखाई देने लग जाता है इसे मौत बहुत करीब आ गई हो तो ओशो कहते हैं कि वह सारे लोग सिर्फ मंदिर और मस्जिदों में जाना शुरू कर देते हैं। ये लोग इसलिए मंदिर नहीं जाते ये आस्तिक हैं बल्कि लोग डर के कारण मंदिर जाते हैं ।


पिताजी  गुरबख्श जस के एक दोस्त हैं शिवजिंदर केदार वो आजकल ऑस्ट्रेलिया में हैं। 70 साल की उम्र में भी अभी पेड़ लगा रहे हो, जिंदगी को भरपूर जी रहे हैं ।जब मैं कभी निराश होता तो मुझे हौंसला देते हैं।

 होमोपैथी भी उन्हीं से सीखा हूँ और पेड़ लगाने का शौक है मेरे को उन्हीं मिला है। 


जो लोग हमको छोड़कर चले गए उनके लिए पूरी उम्र रोना भी कोई सही नहीं है। आइंस्टाइन कहते हैं कि हम सब एक ऊर्जा हैं और ऊर्जा ना कभी पैदा होती है ना आप उसको खत्म कर सकते हो बस उसका एक से दूसरा रूप बदलता रहता है।गीता में भी यही लिखा है कि ना तो आत्मा मरती है ना जन्मती की है वह हमेशा रहती है।  उसमें रूप बदलते रहते हैं, जो लोग चले गए वह किसी न किसी रूप में संसार में हमेशा बने रहते हैं।


 हमने भी अपना एक दिन यह रूप बदल लेना है। पता नहीं कुदरत कौन से रूप में डालें ।


जीवन में कभी ना कामयाब हो जाएं तो हौंसला करके दोबारा को  शुरुआत करें और सोचें कि मैं अपने आपको आगे लेकर ही जाएगा।


हरिवंशराय बच्चन कहते हैं

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती


फिर मिलूंगा एक नहये  किस्से के साथ।


आपका अपना 

रजनीश जस

रूद्रपुर 

उत्तराखंड 

निवासी पुरहीरां, होशियारपुर

 पंजाब

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4 comments:

  1. बहुत सकारात्मक लेखन

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  2. बहुत सकारात्मक लेखन

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    1. शुरिया प्रतीक भाई। कोशिश है कुछ अछा कर गुज़रने की।

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