Sunday, March 20, 2022

प्रदुमन कुमार जैन जी किताब, "ये व्यथा के अमर जीवी"

किताबें करती हैं बातें 
बीते ज़मानों की 
बमों की इंसानों की 
क्या तुम सुनना नहीं चाहोगे? 
किताबें कुछ कहना चाहती हैं 
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं 
#सफदर_हाशमी 
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1990 में छपी ये किताब मुझे प्रदुमन कुमार जैन उर्फ नारंग ने लिखी है। मुझे हैरानी है ये किताब कैसे चर्चा में नहीं आई। 
मेरा सौभाग्य है कि मैं इसके लेखक,  कवि से मिला हूँ क्योंकि वो रुद्रपुर में रहते हैं। 
वो 90 साल की उम्र में भी मुस्कुराते रहते हैं,  मेरे साथ मन की उलझन,  जीवन के गंभीर विषयों पर चर्चा करते रहते हैं। हम उनके स्वास्थ्य की मंगल कामना करते हैं। 
 कुछ किताबें कालजई होती हैं। ऐसी ही एक किताब है ये व्यथा के अमर जीवी।  इस किताब में चार पात्र लिए हैं जिनकी अपनी अपनी व्यथा है। 
पहला पात्र है राजुल भाभी। जो शादी वाले दिन ही  वैरागन हो गई क्योंकि उसके होने वाले पति भी वैरागी हो गए थे । एक गुफा में वह एक दिन वह नहा रही थी,तो  उसके अपूर्व सौंदर्य को देखकर उसका ही देवर जो कि वहां पर तपस्वी था उस पर मोहित हो गया। बोला, भाभी तुम मेरे साथ विवाह कर लो।
तो उसकी भाभी उसे ज्ञान देती है। कि तुम इतने बड़े तपस्वी होकर कहां नारी के शरीर पर मोहित होकर अपना जीवन बर्बाद करोगे। 
दूसरी कहानी है महिला पात्र अमरपाली जो कि बुद्ध के समय में नगरवधू थी। बुद्ध के समय में नगर की सबसे सुंदर लड़की को नगरवधू बना दिया जाता था। जो कि उसको पाने की ललक में नगर में झगड़े ना हो। आम्रपाली अपने जीवन से तंग आकर मुक्ति की राह पर चलना चाहती है तो वह बुद्ध की शरण में चली जाती है। 
तीसरी कहानी है त्रिशंकु। त्रिशंकु एक ऐसा पात्र है जो पैदा तो धरती पर होता है पर बिना किसी विधि के ही वह स्वर्ग के रास्ते स्वर्ग पर पहुंच जाता है। वहां देवता उसे अंदर आने नहीं देते। फिर लौट कर धरती पर आना चाहता है पर धरती वाले उसे स्वीकार नहीं करते ।वो फिर हवा में लटक जाता है और त्रिशंकु कहलाता है। 
 चौथा पात्र है  ईडीपस।  जिसे जन्म देने वाली मां बाप उसे जंगल में छोड़ कर चले जाते हैं उसे कोई और ही पालता है। फिर वह पालने वाली मां बाप को भी छोड़ कर असली मां बाप की खोज में निकल जाता है। पर विधि का विधान कुछ ऐसा होता है उसकी शादी किसी से हो जाती है। फिर वह 4 बच्चों का बाप बनता है। एक दिन उसे अचानक पता चलता है जिससे उसकी शादी हुई है वह उसकी अपनी ही सगी मां है। वो दुख में अपनी आंखें फोड़ लेता है फिर मां और पुत्र दोनों आत्महत्या कर लेते हैं। 

इन चारों पात्रों की कथा और कविता के जरिए प्रदुमन कुमार जैन जी ने जो नक्शा खींचा है वह लाजवाब है। ईडिपस पर तो फरायड ने भी ईडिपस कंप्लेक्स के बारे में  बताया है।
मानव ने जबसे इस धरती पर जन्म लिया है,  वो एक यात्री की तरह है जो कि उसे मोक्ष कहो, परमात्मा की खोज कहें।कुछ यात्री मंजिल तक पहुंच जाते हैं और कुछ राह में भटकते रहते हैं। तो आएँ पढ़ें, मथे इस किताब को। उतारें जीवन मेंऔर निकलें स्वंय की खोज पर। चलें व्यथा के पार।
#rajneesh_jass 
Rudrapur 
Distt Udham Singh  Nagar 
Uttarakhand 
India

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