झूम के बरसे बादल पुरवा,
मन में आग लगाए तो
वादा तो परसों का है
पर आज भी वो आ जाए तो
नंगा घूमूं बारिश में और
नाव चलाऊं कागज की
जी करता है मेरा बचपन
फिर से लौट के आए तो
- बल्ली सिंह चीमा
आज सुबह साइकिलिंग करने के लिए मैं और मेरा बेटा रोहन चल दिये। वहां पहुंचे तो हेम पंत की स्कूटी खड़ी थी। रेशु मैडम भी आए । उनके साथ हम सैर करने निकल गए। मेरा बेटे न बताया कि Surjit Singh Grover भी सैर करने आये हैं। वह मिले फिर हेम पंत जी भी अपनी बेटी वसुधा के साथ मिल गए। Rajesh Mandhan भी साइकिल लेकर आ गए। जम गई महफिल ।खूब हुई बातें हुई ।मैंने राम सरूप अनखी की कहानी "साइकिल दौड़" सुनाई।
उस कहानी में एक साइकिल सवार है जो अपने गांव को जा रहा है। उधर से एक नई नवेली दुल्हन अपने पति के साथ साइकिल पर बैठी जा रही है। उसका पति अकेले साइकिल सवार को पीछे छोड़ देता है, तो वह बहुत जोर से हंसती है। यह देखकर वह साइकिल सवार अपना जोर लगाता है और उन को पीछे छोड़ देता है। फिर उस नई नवेली दुल्हन का चेहरा मुरझा जाता है। रास्ते में रुकता है नलके से पानी पीता है ।यही सफर चलता रहता है। फिर साइकिल सवार जानबूझकर साइकिल की दौड़ में हार जाता है। उस वक्त उस दुल्हन के चेहरे पर जो खुशी होती है यह देखकर साइकिल सवार मुस्कुरा देता है ।
राजेश जी ने बताया उनका एक दोस्त है , कृष्ण चाहल । वो डिग्री में उनके साथ पढ़ता था उनका रूममेट भी था। उस हिसाब के फार्मूले याद नहीं रहते थे ।फिर उसने एक किताब पढ़ी शिव खेड़ा की ।राजेश सर को बताया कि वह भी किताब लिखेगा। अब वही लड़का मेमोरी गुरु के नाम से जाना जाता है।वो पूरे भारत वर्ष और कई देशों में घूम चुका है। उसका Guiness Book of World Record में नाम है।
फिर आ गए हम चाय वाले अड्डे पर अपने टी पार्टी करने ।चाय पी, चुटकुले सुनाए , खूब ठहाके लगाए सुरजीत सर ने किस्सा सुनाया ।एक बार उनके शॉप पर एक आदमी आया और वह उनके वर्करों से लड़ने लग गया ।बिना बात के ही बात का बतंगड़ बना रहा था। सुरजीत सर यह सब देखते रहे ।तो उन्होंने उसको अपने पास बुलाया और बोले भाई साहब आप किसी टेक्निकल लाइन में है क्या? उसने बोला हां जी मैं कंपनी में मैनेजर हूं ।सुजीत सर बोले, तभी यह फ्रस्ट्रेशन कंपनी कि यहां पर निकल रही है। हमने खूब ठहाके लगाए। हेम पंत ने बल्ली सिंह चीमा की कविता सुनाई , जो शुरु में लिखी है। मैंने भी एक किसी की लिखी हुई दो लाईन सुनाई।
पड़ोसी की मुर्गी चुराना
सबके बस की बात नहीं
उसकी मुर्गी चुराकर
उसी को खिलाना
सबके बस की बात नहीं
बीवी से बेलन खाना
सबके बस की बात नहीं
बेलन खाकर सबको बताना
सबके बस की बात नहीं
# कवि - नामालूम
सिर्फ राजनीति को छोड़कर बहुत सारी बातें हुई। बच्चों की पढ़ाई को लेकर सुरजीत सर ने बहुत एक्सपैरीमैंट किए हैं। Delhi Public school में अभी शतरंज का बहुत बड़ा कंपीटीश्न करवाया जिसमें 1800 बच्चों ने हिस्सा लिया था।
यंहा पर ये बताना चाहता हूँ कि सुरजीत सर दो स्कूल चला रहे हैं, Jaycees public school and Delhi Public School
विजय साहनी जी को भी याद किया गया। चाय पी फिर वक्त हो गया तो सारे अपने अपने घरों को लौट आए। आज के लिए अलविदा , मैं फिर आऊंगा ,एक नया किस्सा लेकर एक नए रूप में।
#rajneesh_jass
#cycling_group_rudrapur
Distt Udham singh Nagar
Uttrakhand
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