रविवार है तो फुर्सत, साइकिलिंग,दोस्त, किस्से कहानियाँ। आज बड़े दिनों के बाद हमारी महफ़िल में संजीव जी आए। मैं स्टेडियम पहुंचा। चाय के अड्डे पर पहुंचे तो देखा कि भीम दा आज नहीं आए, वँहा कोई नहीं है तो फिर दूसरी जगह पर आए। वहां पर काफी देर तक खड़े रहे बहुत भीड़ थी। काफी लोग बैठे हुए थे । हम लोग बातें करने लगे। चाय के साथ समोसे आए तो बैठने को जगह मिली।
फिर बच्चों के कैरियर के बारे में बातें होने लगीं। सामने कुछ पुलिस अधिकारी थे, यह मैनें उनके बालों से अंदाज़ा लगाया क्योंकि उनके सिर के बाल बहुत छोटे थे ।
उनमें से एक ने बताया कि उन्होनें योगा में मास्टर डिग्री पिछले ही साल की वह भी अपनी किताबें पढ़ने की आदत की वजह से।
उन्होंने बताया कि 45 साल की उम्र में उन्होंने 100 मीटर की एथलैटिक में एशिया का रिकॉर्ड बनाया है। मैनें संजीव जी से उनका परिचय करवाया कि वह आई आई टी खड़गपुर से पी एचडी हैं तो अपने बच्चों के कैरियर के बारे में बात करने लगे। वह कह रहे थे उनके बच्चे +2 कर गये हैं पर आगे समझ में नहीं आ रहा कि क्या करें ?
संजीव जी ने बताया कि दो तरीके की बुद्धी होती है, एक तार्किक और एक दूसरे याद करने वाली।
अगर तार्किक है और हिसाब में दिलचसकपी है तो इंजीनियरिंग में जा सकते हैं। अगर याद करने वाली बुद्धी है और बाओलाजी में दिलचस्पी है तो डाक्टर।
मैनें कहा कि नैनो टेक्नालाजी और कम्पयुटर साईंस भी अचछा है।
बाकी सबसे अच्छा है बच्चे का रूझान किस तरफ है?
अब हिटलर पेंटर बनना चाहता था , माँ बाप ने बनने ना दिया तो उसने दछसरे विश्व युद्ध में लाखों लोग मार दिये।
अगर वह पेंटर बनता तो वह दुनिया का। बसे बेहतर पेंटर बनता।
संजीव जी ने बताया कि एक बार वह वह बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में गए तो वह फाईन आर्टस डिपार्टमेंट में गये। उन्होनें देखा कि वहां एक बहुत ही पुराना फटा पुराना जूता था और उसमें एक लकड़ी थी । बच्चों को मिट्टी देखकर मिट्टी से उसके ही जैसा स्टेचू बना रहे थे। यह बहुत ही अद्भुत कलाकारी थी। दीवारों पर बहुत शानदार पेटिंग्स लगी हुई थी।
फिर वह यूनिवर्सिटी के डीन को मिलने गये। वहां देखा कि उस यूनिवर्सिटी के डीन खुद एक ड्राइंग बना रहे थे।
संजीव जी ने पूछा कि आपके कितने परसेंट प्लेसमेंट है?
डीन ने जवाब दिया, 100 % होती है।
उनको जानकर बहुत हैरानी हुई थी ।
डीन ने बताया, कुछ तो इसी में कैरियर आगे बढ़ा लेते हैं , बाकी बॉलीवुड में जो सेट बनाने मे और कुछ फ्रीलांसर काम करते हैं।
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी का भी अपना अलग ही इतिहास है उन्हें लॉर्ड मेकॉले के एजुकेशन सिस्टम को तोड़ने के लिए बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की नींव रखी गई थी। ऐसे ही रविंद्र नाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन बनाया था।
आज मौसम में गर्मी थी पर कितनी तितलियाँ आँखों को सकून दे रही थीं।
हुम्मस थी, हवा बिल्कुल नहीं चल रही थी फिर भी हम बैठे गप्पे हांक रहे थे। दोस्तों के साथ बैठ बेसिर पैर की बातें , हंसी मज़ाक दिमाग को हल्का कर जाता है।
हर वक्त समझदारी, पैसा, टारगेट के बातें कर करके आदमी पागल होने की कगार पर आ गया है।
बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे
# निदा फाज़ली
पूरे विश्व भर गुरु में मोटिवेशनल गुरु की बाढ़ सी आ गई है क्योंकि दुनिया सहूलतों के पीछे भाग रही पर सकून खो रही है। जिसके लिए आज भी सकून सबसे ऊपर है वह बादशाह है।
चाह गयी चिंता मिटी मनवा बेप्रवाह
जिसको कछु नाहिं चाहिए वह ही शहनशाह
फिर हमने साइकिल से एक लंबा चक्कर लगाया और हम घर को वापस आ गए।
फिर मिलेंगे एक नये किस्से के साथ।
आपका अपना
रजनीश जस
रुद्रपुर ,उत्तराखंड
निवासी पुरहीरां, होशियारपुर,
पंजाब
08.08.2021
#rudarpur_cycling_club
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