Monday, November 16, 2020

Jiddu Krishnamurthy on education

थियोसॉफिकल सोसायटी ने लगभग 50 साल तक भारत में एक ऐसा आदमी तलाश किया कि जो दोबारा बुद्ध बन सकता था। उनको भरोसा था कि महात्मा बुद्ध दोबारा फिर से जन्म लेंगे।

 फिर उड़ीसा के गांव में उनको एक बच्चा मिला  जिसका नूर अलग ही था ,उसके चेहरे की एक  अलग ही आभा थी।
पर वो  इतने गरीब परिवार से था कि उसकी आंखों के बालों में और सिर में जुएं थी। एनी बेसेंट और थियोसॉफिकल सोसायटी ने उस बच्चे को  इंग्लैंड में पाला पोसा। 
उनको दुनिया भर के ग्रथों का अध्यन करवाया गया। 
फिर जिस दिन उन्होंने कहना था कि वो ही बुद्ध हैं, वंही पर  उन्होनें  बोल दिया कि मैं कोई विश्व गुरू या बुद्ध नहीं और थियोसॉफिकल सोसायटी को ही नकार दिया।

जे कृष्णमूर्ति बुद्धत्व को को उपलब्ध होने के बाद  दुनिया भर में ज्ञान बांटा।

 उन्हीं के बनाए हुए स्कूल के बारे में कल हरिनंदन ने बताया। आज मैं उनकी वीडियो देख रहा था बहुत ही अच्छा लगा। यह बहुत ही अलग किस्म का उपयोग है कि बच्चों को एक ऐसे माहौल में रखा जाए यहां पर उनके ऊपर किताबें बोझ ना हों, उनको यह कोई कंपटीशन की भावना ना हो कि फलाना तुमसे इतना आगे क्यों?
 उनको एक सिखाया जाए कि तुम्हारे अंदर जो कार्य कुशलता है उसको निखार कर बाहर निकलना चाहिए।

 कृष्णमूर्ति के अनुसार किताबें आपको एक इंक्वायरी पूरी करते हैं, युं जन्म से लेकर मृत्यु तक आप सीखते ही रहते हैं। वो कहते हैं कि स्कूल वो जगह नहीं है जहां  आपको जो पसंद आप वही करो , बल्कि यह जगह है यहां आपको देखना है पेड़ कैसे बढ़ते हैं, कुदरत को महसूस करना है?साथ ही साथ अपने अंदर जो घटित हो रहा है उसको भी देखना है।

 दुनिया भर में उनके 6 स्कूल हैं, जिसमें से 4 भारत में, एक इंगलैंड और एक अमेरिका में है।। वह स्कूलों में 90% हिस्सा जो पेड़ों से भरा हुआ है। अलग से कोई क्लासरूम नहीं है, बच्चे खुद ही पढ़ रहे हैं जो मुश्किलल आती है उसे अध्यापक से समझ लेते हैं, अपने बर्तन धो रहे हैं, मिट्टी से बर्तन बना रहे हैं। 
 मैं अपने दोस्त  Garry Kahlon से बात कर रहा था जो कनाडा में रहता है तो उसने कहा, बिल गेट्स तो चाहे अमेरिका में 10 ओर पैदा हो सकते हैं पर अगर कोई बुद्ध का आगमन होगा  तो वह भारत में ही होगा क्योंकि भारत की मिट्टी ऐसी ही है। यही कारण है कि अगर बाहरी जगत की खोज करनी है, जिसमें पैसा, ताकत है उसके लिए पश्चिम  में जाना होगा और अगर मन की शांति ,अध्यात्म, स्वयं की खोज करनी है तो भारत ही सटीक जगह है। यह अलग बात है कि भारत को यँहा के धर्म के ठेकेदारों और नेताओं ने मलीन कर दिया है। 

यह एक बहुत गंभीर विषय है, इस पर चर्चा होनी चाहिए। हलांकि जो मैनें लिखा वो बस एक चिंगारी है।

एक वीडियो उनके स्कूल की 

https://youtu.be/s1B8IYIoE_0

आपका अपना
रजनीश जस
रूद्रपुर
उत्तराखंड
15.11.2020
#education
#jkrishnamurthy

2 comments: