Monday, May 16, 2022

साईकिलिंग , विक्की का लंगर और शिव अंक्ल का उत्साह

रविवार है तो साइकिलिंग, दोस्त, किस्से कहानियाँ। कोरोना के कारण लाकडाऊन है। साइकिलिंग तो हो नहीं रही तो किस्से कहानियां ही सही।

 हालात अच्छे नहीं हैं,  हर तरफ से जो खबरें देखने को मिल रही हैं उन से मन में टीस रह रही है। पर इन्हीं बुरे हालातों को जो लोग अच्छे करने के लिए जुटे हुए हैं उनको तहे दिल से सलाम।

मेरा एक दोस्त विक्की है जो ऑटो ड्राइवर है पुणे में। उससे दोस्ती हुई थी सफर करते वक्त।
मेरी एक आदत है मैं अक्सर सभी का हालचाल पूछता रहता हूँ, वो भी बिना किसी काम के।

तहज़ीब हाफ़ी क एक शे'र है 

मैं उसके पास किसी भी काम के लिए नहीं आता
उसको यह काम, कोई काम ही नहीं लगता

कोरोना के कारण उसने वहां पर जो लोग सड़कों पर हैं जिनको कोई खाने को साधन नहीं है , उन्हें खिचड़ी बाँटनी शुरू की है। वह बता रहा था कि बहुत सारे लोग पैसा, खाने का सामान दे रहे हैं। मैंने उसकी यही वीडीयो अपने ग्रुप पर डाली तो हमारे एक मित्र  गौरव तागड़ा को यह बात अच्छी लगी । उन्होनें  मुझे फोन किया कि वह भी कुछ ऐसा कर सकते हैं । तो उन्होनें रुद्रपुर में सिविल हॉस्पिटल के सामने हर रोज़ सुबह 7:00 से 10:00 तक चाय बिस्कुट और खाने-पीने का सामान  ज़रूरतमंद लोगों को देना शुरू किया। 
ज़िंदगी ज़िंदाबाद के नाम के एनजीओ एक हमारे चाना जी हैं वह फोन पर लगातार लोगों के लिए ब्लड, प्लाज़मा मुहैया करवा रहे हैं।

 चलिए किस्से कहानियों की तरफ चलते हैं।
मेरे पिताजी के एक दोस्त है, वह मेरे भी दोस्त हैं। उसे बहुत बातें होती रहती है यह जो किस्से कहानियां है मैंने उन्हीं से सीखें हैं।
 एक दिन मैनें उन को फोन किया ।
मैंने पूछा क्या हाल है?
उन्होनें कहा, बहुत अच्छा। तुम सुनाओ।
 मैंने कहा , अच्छा है। आपकी बातें अक्सर याद आती हैं। जैसे कि आप बता रहे थे कि जब गैस नयी नयी आई तो कतारें लगतीं। कभी एक कभी दो दिन इंतज़ार करना पड़ता था।
 एक बार गैस सिलेंडर की बहुत किल्लत थी।  तो मैंने काला चश्मा लगाया कोट पेंट पहना हुआ था। गैस के दफ्तर के आगे बहुत भीड़ लगी थी जैसे ही वो वहां पर पहुंचे तो गेटकीपर ने दरवाज़ा खोल दिया। लह  सीधे मैनेजर के कमरे में गए ।
गैस की कॉपी दिखाई। मैनेजर ने कहा इनका काम  पहले करो। उसने यह भी नहीं पूछा आप कौन हैं, क्या करते हैं?

 फिर उन्होनें ने बताया कि उनकी बेटी की शादी हुई और वह ऑस्ट्रेलिया गई। उसको वँहा 6 महीने हो गये  तो उसका मन उदास हो गया। 
उसने अपने पति से बात की  कि वह भारत अपने परिवार से मिलना चा ती है। उसके पति ने कहा कि एक साल से पहले से छुट्टी किसी भी हालत में नहीं मिल सकती।

फिर उसने अपने पिताजी को भारत  फोन किया कि उसका मन नहीं लग रहा। वह  कुछ दिन भारत आना चाहती है ।
अंक्ल ने उसको पूछा, मालिक कौन है?
बेटी ने बताया, उसकी मालकिन एक गुजराती औरत है।
अंक्ल ने कहा, तू  उसके पास  और उसे  बोल कि मैं अपने काम में 100% ध्यान नहीं दे पा रही क्योंकि पहली बार मां बाप से इतना दूर आई हूँ। अब चाहती हूं कि एक बार 15 -20 दिनों के लिए भारत जाकर उन्हें मिल आऊं। वँहा से वापिस आकर  मैं अपने काम को अच्छा तरीके कर पाऊंगी।"

 वह अपनी मालकिन के पास की गई और पिता जी वाली बात दोहरा दी। उसकी छुट्टी मंज़ूर हो गई। उसके पति को बहुत हैरानी हुई ।

जब वह भारत आई तो गुजरात वाली मालकिन ने फोन किया, उसको डर था कँही वह ज़्यादा दिन ना रूके। फोन अंक्ल ने उठाया। अंक्ल ने कहा,आप फिक्र ना करें वह निश्चित समय पर वापिस आ जाएगी। वह अभी ससुराल गई हुई है। अगर कहो तो मैं उसका नंबर दे देता हूँ। तो उसने कहा नहीं , ज़रूरत नहीं।
उन्होनें मालकिन को कहा, मेरी बेटी आपकी बहुत प्रशंसा करती है। वह कहती है  आप उसका बहुत ख्याल रखते हो।"

 जल्दी उसकी छुट्टियां खत्म हो गई और ऑस्ट्रेलिया वापस चली गयी। तो उसकी मालकिन ने स्पेशल उसको बुला कर कहा "तुम्हारे पिता एक अच्छे इंसान हैं। त उनसे बात करके अच्छा लगा।"

 अंक्ल ने एक बात और बताई।  उनकी बेटी आइसक्रीम पार्लर पर लगी थी तो अपने काम के बारे  को हर रोज़ फोन करती रहती थी ।

अंकल नू कहा," ग्राहकों का हालचाल पूछा करो, किस ग्राहक को कौन सा फ्लेवर पसंद है। वह याद रखो। उनको उनके नाम से पुकारो।
लोगों का हाल-चाल पूछो। उन्हें कोई समस्या हो तो उसके हल के बारे में बात करो और कहो नहीं
आप जल्दी ठीक हो जाएंगे । उनको बुरे से बुरे हालात में भी अच्छी से अच्छी सलाह दो।"

ऐसा उसकी ग्राहकों के साथ अच्छी दोस्ती हो गई। अब जब भी वह दुकान पर आते तो उनको कहने की ज़रूरत नहीं पड़ती । वह उनका नाम लेकर  उनको पुकारती। 
वह जब देती छुट्टी पर होती तो लोग आकर देखते हो  कि वह काउंटर पर नहीं है तो वो वहां से चले जाते। व पूछते वह लड़की कब आएगी?
उसके मालिक को भी लगा कि जब वह लड़की काऊंटर पर होती है तो सेल अच्छी होती है।

 एक दिन वह अपने बारे में बता रहे थे कि  वह  किसी काम से तहसीलदार के पास गए। उन्होनें काला चश्मा लगा रखा था । तहसीलदार ने उनको अपनी खिड़की से देखा और बाहर आकर उसे पूछने लगा आपको क्या काम है?
उन्होनें कहा, मैंने पटवारी से मिलना है।
तहसीलदार ने पटवारी को बुलाया और कहा बोला कि इनका क्या काम है? जल्दी करवाओ। 

आज इतना ही।
अपना ख्याल रखें,
दूध में हल्दी लें,
काहवा पीएं,
तुलसी का पत्ता खाएँ,
व्ययाम करें,
सिर्फ ज़रूरत के समय घर से बाहर निकलें।

फिर मिलूंगा एक नये किस्से के साथ ।
आपका अपना
रजनीश जस
रूद्रपुर, उत्तराखंड 

पुरहीरां,होशियारपुर
पंजाब
#rudarpur
#rudarpur_cycling_club
15.05.2021

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