Thursday, January 13, 2022

लोहड़ी

लोहड़ी मांगना एक परंपरा है। बहुत कम लोगों को पता है कि लोहड़ी क्यों मनाई जाती है? अकबर के समय में दुल्ला भट्टी  नाम का एक डाकू था। वह आम लोगों की मदद करता था।  एक गरीब माँ बाप की बेटी जिसके साथ एक अमीर शादी करना चाहता था। वह लड़की इस के लिए सहमत नहीं थी। 
तो दुल्ला भट्टी ने उसकी पसंद वाले लड़के से उस लड़की की शादी करवा दी।

उसने अकबर के खिलाफ विद्रोह किया ,पकड़ा गया और उसे फाँसी की सज़ा दी गयी।
 जंगल में आग लगाकर शादी करवाने से लोहड़ी की परंपरा शुरू हुई।

हम मैं छोटा था तो हम तीन दोस्त मिलकर थैला लेकर निकल जाते  और अपने गाँव पुरहीरा, होशियारपुर में घर घर जाकर लोहड़ी माँगते। 
मूँगफली, रेवड़ी मिलती हम थैले में डालते जाते। 
एक दिन में जो पैसे इकट्ठे होते तो एक जगह बिखराकर उसके तीन हिस्से करते। तब पाँच,दस पैसे मिलते। मान लो 3 बराबर हिस्से हो गये और 20 पैसे बच गये तो उसके लिए झगड़ा होता। 

मान लो किसी ने लोहड़ी नहीं दी तो हम ज़ोर ज़ोर से कहते, 
हुक्का भई हुक्का
इह घर भुक्खा।

और भाग लेते। उस घर के लोग हमारे पीछे पीछे भागते। 

अब मैं बड़ा हो गया हूँ तो सोचा यह परंपरा लुप्त होती जा रही है। हमने सोचा हम लोहड़ी मांगने जाएं। तो सुरजीत सर के यहां चलते हैं।
उनसे दिन में बात की और कहा करोना है,  लोहड़ी माँगने आना है, पर अगर बैंक में ट्रांसफर कर दें। वह बोले , माँगने आओ तो देखते हैं?

शाम को मैं ,संजीव, हरिनंदन और प्रेम उनके घर जा पहुंचे। बातचीत का दौर शुरू और मूँगफली, रेवड़ी खाने लगे। फिर चाय, मिठाई का दौर। 
फिर हमें पैकट में मूँगफली, रेवड़ी, गच्चक मिली।
फिर हमने लोहड़ी गाई और पैसे मिले।
मैनें वह अपने सिर पर लगाए क्योकिं यह एक सम्मान है। 
मेरी माँ जब मेरी कामिनी भुआ जो कि करोड़पति हैं जब कुछ रूपये देती तै वह सिर पर रखती, कहती, बेटी का घर चाहे जितना मर्ज़ी भरा हो , पर मायके से हमेशा आशा बनी रहती है।

संजीव जी ने कहा उन्होनें पहली बार लोहड़ी माँगी है और सुरजीत सर ने कहा उन्होनें भी पहली बार ऐसी लोहड़ी दी है।

यह एक यादगार लोहड़ी रही।
हम इसलिए कल लोहड़ी मांगने गए थे क्योंकि हम चाहते हैं कि यह परंपरा और आगे बढ़े हम करेंगे तो हमें देखकर बच्चे भी वही करेंगे। और लोहड़ी मांगने की परंपरा आगे बढ़गी।

अब मैं पंजाब छोड़कर यँहा उत्तराखंड में रह रहा हूँ तो यँहा अपनी परंपरा और सभ्यता को साथ रखना भी जरूरी है। 
सभ्यता के आदान प्रदान से एक दूसरे को समझने की शक्ति आती है।



धन्यवाद।
रजनीश जस
13.01.2022

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