रविवार है तो किस्से,कहानियां,दोस्त। साइकिलिंग तो हो नहीं रही है क्योंकि लॉकडाउन है।
कल रुद्रपुर में ज़ोरदार बारिश हुई।
घर के पीछे धान के खेत में हवा से पौधे झूम रहे थे, हवा में कोहरा भी था।
मुझे विलियम वर्डज़वर्थ की कविता याद आ गयी
Daffodils
A host of golden daffodils
beside a lake, beneath the trees
fluttering and dancing in breeze
सुना था कि नैनीताल में सुबह से बारिश हो रही है। उसकी ठंडक यहां तक पहुंच रही थी। यहां से 70 किलोमीटर ही तो दूर है नैनीताल। ज़रा सी मौसम में ठंडक आ जाए तो पता चल जाता कि पहाड़ पर बारिश हो गई है।
एक कहानी याद आ रही है। एक हस्पताल में एक मरीज़ बहुत निराशा और जिंदगी से थका हुआ है।
उसके के साथ वाली बेड में एक नया मरीज़ आता है जो कि बहुत बातूनी है। आते ही वह उससे बातें करने लगता है। वह देखता है कि उसका मिजाज़ कुछ सही नहीं है । निराश मरीज़ बेड के सामने खिड़की नहीं है। पर नये वाले मरीज़ के बेड के सामने खिड़की है। तो वह खिड़की में से देख कर उसको बताता है कि आज बादल बहुत अच्छे हैं, बाहर पंछी उड़ रहे हैं। वह देखो बादलों में एक जानवर का चेहरा बना , क्या बात है!👌👌
धीरे-धीरे उससे बातें करता रहा। इससे वजह सुस्त रहने वाला मरीज़ उत्सुक रहने लगा कि आज वह क्या बताएगा?
उसकी निराशा, आशा,एक उम्मीद में बदलने लगी। कुछ दिन बाद दोनों ठहाके लगाकर हंसने लगे। पहले लाले मरीज़ की सेहत में सुधार आने लगा।
कुछ दिन बाद बातूनी मरीज़ का देहांत हो गया शायद उसे कैंसर था। अब पहले वाले मरीज़ को उसके वाले बेड पर शिफ्ट किया गया। तो उसने देखा कि खिड़की के सामने कुछ दिखाई नहीं दे रहा था बल्कि वँहा एक दीवार थी। उसे पता चला कि वह आदमी झूठ बोल रहा था।
We all in gutters but some have eyes on the stars.
"अहा जिंदगी" मैग्ज़ीन में मैं आबिद सुरति को पढ़ रहा था।
वह ढब्बू जी के कार्टून के समय अपने बहुत मशहूर थे । अब वह 85 साल के हैं। इस बात से अंदाज़ा लग सकता था कि अटल बिहारी वाजपेई, आशा भोंसले, ओशो रजनीश जैसे लोग उसे पसंद करते थे ।
बचपन मे सड़क के किनारे मूंगफली बेचने वाला आदमी कार्टून बनाने लगा और मुंबई के पॉश एरिया में अपना स्टूडियो बनाया जो की फिल्म बनाने के चक्कर में बिक गया। फिर राज कपूर के साथ एक फिल्म बनाने की बात हुई जो कि नहीं बन पाई।
अब उन्होनें ड्रॉप डेड मिशन चलाया जिसमें वह टूटी से बहते हुए पानी को लेकर रोकने के लिए अपने साथ प्लंबर लेकर लोगों के घरों को जाकर उसे मुफ्त में ठीक करते हैं।
वह कहते हैं,, मेरी उम्र 85 साल की हो गई है। मैं सोचता हूं कि इतना कुछ क्रिएटिव करने को भी बाकी है कि एक ज़िंदगी और चाहिए। मेरे दो उपन्यास अभी अधूर पड़े हैं। उनको पूरा करना है। बच्चों के लिए कई प्रोजेक्ट दिमाग में हैं। वास्तव में अगर एक उम्र के बाद ही सोचने लगते कि आपने बहुत कुछ कर लिया अब आराम करना है तो ऊपर वाला भी आपको दो चार बार बिमारियाँ पकड़ा देता है इसीलिए जिंदगी की आखिरी सांस तक सक्रिय रहने की कोशिश करनी चाहिए।
ओशो की एक कहानी कहते थे। चीन में 3 संत थे जिनको लाफिंग संत के नाम से जानते थे। वे किसी भी गांव में जाते तो उसका में जाकर हसने लगे। तो उस गांव की खबर ही बदल जाती। जैसे अगर कुछ लोग आशा से भरे हैं तो आशा कई गुना हो जाती है।
आपने दसवीं ग्यारवीं में क्लास में फिजिक्स में रिज़ोनेंस इफेक्ट पधा होगा। कि अगर एक कमरे में 100 सितार हैं और उनमें से 99 सितार एक ही फ्रीक्वेंसी पर बजाएं जाए तो ज9 एक सितार है जो नहीं बज रहा तो वह भी उन्हीं 99 सितारों की फ्रीक्वेंसी पर बजने लगेगा। इसी वजह से पुल पर से गुज़रे वक्त फौजियों की कदम चाल तोड़ दी जाती है क्योकिं उनको पता होता है अगर एक ही कदम ताल पर पुल पार किया तो वह पुल भी उनकी ताल पर वाइब्रेट करने लग जाएगा और टूट सकता है।
हम मुड़ते हैं कहानी की तरफ।उन लाफिंग संत से कोई बंदा आता कहता मैं बहुत दुखी हूं तो व हंसने लगते । धीरे-धीरे सारा गांव हंसने लगता ।
एक दिन उनमें से एक संत का देहांत हो गया। गांव के लोगों ने सोचा, अब बाकी रोएंगे। उसकी आखिरी इच्छा थी कि उसे नहलाया न जाए ऐसे ही चिता पर चढ़ा दिया जाए। जब उसकी चिता को आग लगाई गई तो चिता से आतिशबाज़ी, बम, पटाखे चलने लगे। सारा गांव फिर हंसने लगा।
जाते जाते उसने अपने कपड़ों के अंदर आतिशबाज़ी, बम, पटाखे भर लिए थे।
फिर मिलूंगा , एक नये किस्से के साथ।
तब तक स्वस्थ रहें,
घर पर रहें,
व्यायाम करते रहे,
उगते सूर्य की धूप लें,
भाप लें,
दूध में हल्दी डालकर पिएँ,
आशा से भरे रहें,
खुशियाँ बाटें।
आपका अपना
रजनीश जस,
रूद्रपुर, उत्तराखंड।
निवासी पुरहीरां,
होशियारपुर, पंजाब
#rudarpur_cycling_club
09.05.2021
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