Saturday, May 1, 2021

साईकलिंग में ज़ेन कहानियाँ मन पर

कई बार टूट कर भी मुकम्मल खड़ा हूं 
देखले ए ज़िन्दगी मैं तुझसे कितना बड़ा हूँ
#अज्ञात
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जब हम एक चुटकुले पर बार-बार हंस नहीं सकते, तो दुख पर बार-बार रोते क्यों हैं?
 #चार्ली चैपलिन
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 रविवार है साइकिलिंग नहीं हो रही जो कि लॉकडाउन है। चलो  कुछ किस्से कहानियाँ ही सही।

जो समय चल रहा है बहुत ही मुश्किल है इसलिए किसी को नहीं सूझ रहा क्या करें ?

और कुछ कहानियां होती है जो राह दिखा देती हैं।
एक सूफी कहानी है जो ओशो ने एक ओंकार में सुनाई है। 
एक लड़का बहुत परेशान था। वह फ़कीर के पास गया। वह फ़कीर  झोंपड़ी में रहता था। 
 लड़का बोला,  मैं बहुत परेशान हूँ। शांति ढूँढने आपके पास आया हूँ।
फ़कीर बोला,  मैं तो तेरे पास कभी नहीं गया कि तू अपनी शांति मुझे दे दे।
लड़का  बोला, पहेली मत बुझाओ। मुझे हल बताएं।
फ़कीर उस लड़के को  झोपड़ी से बाहर ले आया। उसने घास के तिनके की तरफ इशारा किया और  कहा , मैनें कभी घास की छोटी से तिनके को एक बड़े पेड़ से पूछते भी नहीं देखा तो तुम इतने बड़े क्यों हो और मैं इतना छोटा क्यों? बड़ा पेड़, बड़े होने में राज़ी है , छोटा घास , छोटे होने में  राज़ी है।
लड़का बोला, यह बात मेरी समझ में नहीं आई।

 फ़कीर बोला कि तुम इस बात में ही राज़ी हो जाओ कि तुम्हारी बुद्धि में कुछ भी समझ नहीं आया। तुम स्वीकार करोगे शांत मन शांत हो जाएगा।
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 कोई एक सूफी और कहानी 
 है। 

एक राजा एक ज़ेन फ़कीर के पास गया,  कि मेरा कर बहुत परेशान है।
 
ज़ेन फ़कीर ने कहा, "कल मेरे पास आना पर अपना परेशान मन लेकर।"
अगले दिन सुबह सुबह राजा फ़कीर के पास पहुँच गया।
 फ़कीर ने कहा , आंखें बंद करके अपना परेशान मन देखो । जैसे ही वह मुझे मिले मुझे बताना मैं उसे तुरंत शांत कर दूँगा।
 राजा तुरंत आंखें बंद करके बैठ गया और अपने मन को देखने लगा। देखते ही देखते उसका अशांत मन खो गया।  एक घंटा बीता.....  दो घंटे..........ऐसे ही बहुत सारा समय बीत गया।धीरे-धीरे उसके चेहरे पर शांति आने लगी।  फकीर ने उस पर जगाया और पूछा, तुम्हारा मन कँहा है?
राजा मुस्कुराने लगा।
पूर्णागिरी माता( उत्तराखंड) जाते हुऊ रास्ते में
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जापान में एक ज़ेन फकीर ध्यान सिखा रहा था। जापान मे भुकंप बहुत आते हैं। तभी भुकंप आया। सारे शिष्य बाहर की तरफ  भागे। फकीर आँखें बंद करके बैठ गया।
जब सब ठीक हो गया। सारे शिष्य भीतर आ गये।
एक शिष्य ने पूछा,  गुरू जी आप क्यों नहीं भागे?
फकीर ने उत्तर दिया, भागा तो मैं भी था, तुम बाहर की ओर , और मैं अपने भीतर।
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 जब भी मन परेशान हो तो देखें , कौन परेशान कर रहा है?अपने मन के बहकावे में ना आएँ।
गुरबानी कहती है, 
मन जीतै 
जग जीत।
                    रुद्रपुर , उत्तराखंड
सुबह उठें तो अपने दोनों नाक के आगे हाथ रखें,  आप साँस ले रहे हैं, तो परमात्मा का शुक्र करें कि मैं आज भी ज़िन्दा हूं , तेरा शुक्र है।
फेसबुक, व्यटस अप्प देखने से पहले बाहर कुदरत को देखें,
कोई ऐसी किताब का पन्ना पढ़ लें जो आपको ताकत दे,
शास्त्रीय संगीत, भक्ति संगीत , गुरबानी सुनें, 
जो कि मन में जीवन के प्रति संवेंदना पैदा हो, 
पोस्टीविटी आए।
अपना एक मैंटर या दोस्त चुनें जिससे आप अपनी सारी बातें कर सकें, चाहें वो बेसिर पैर की क्यों ना हो।

You cannot control what is happening outside, But you can control what is happening inside your mind. 
#Wayne_Dyer 

फिर मिलूंगा।
आपका अपना
रजनीश जस
रूद्रपुर, उत्तराखंड
निवासी पुरहीरां, होशियारपुर
पंजाब
#rudarpur_cycling_club
02.05.2021
पूर्णागिरी माता ( उत्तराखंड) जाते हुए रास्ते

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