आज सुबह साइकिलिंग के लिए तैयार हो रहा था तो शिवशांत आ गया। उसके साथ निकला। इस साल अच्छी बारिश होने से हर तरफ हरे पेड़ दिखाई दे रहे हैं । जैसे ही हम मेन रोड पर आए तो हमने देखा कि एक मैराथन हो रही है।लोग सफेद टी शर्ट पहनकर दौड़ रहे थे। साथ में मीडिया वाले फोटोग्राफी कर रहे थे। जैसे ही हम आगे गए तो संजीव जी मिल गए। वह पैदल आ रहे थे। पैदल सैर कर रहे थे , राजेश सर स्टेडियम में थे । आज जब हम फोटोग्राफी कर रहे तो एक चिड़िया चहक रही थी, उसकी वीडियो बनाई । फिर हम तीनों ने मिलकर आँखें बंद करके उस चिड़िया की और झींगुर की आवाज़ का आनंद लिया।
फिर राजेश सर को साथ मिलकर चाय के अड्डे पर पहुंच गए। चाय के अड्डे पर वहां बैठकर बातें शुरू हुईं, पर्यावरण को लेकर ।
बात हुई एक अमला रोया नाम की एक औरत की , जिनको पानी माता (वाटर मदर) के नाम से जाना जाता है। उन्होने राजस्थान के 100 गांव में 200 से ज्यादा चेक डैम बनाए हैं जिसके कारण वहां के लोगों को रोजगार मिला है, वह खेती करने लगे हैं, उन्होने पशु पालन भी शुरू किया है। चेक डैम बारिश के पानी को रोककर बनाए जाने वाले छोटे छोटे डैम हैं। गांव में खेती होने के कारण लोगों ने अच्छे जीवन शैली को अपनाया है।
लड़कियों ने स्कूल में जाना शुरु किया है क्योंकि उनको अपने मां-बाप के साथ काम नहीं करना पड़ रहा है।
डैम बनाने के लिए 30% ऐसा वहां के लोग और 70% उनकी एनजीओ देती है,जिसका नाम आकार चेरीटेबल ट्रस्ट है।
आकार एनजीओ मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश , उड़ीसा ओर बहुत सारे राज्य में काम कर रही है। अमला रूईया और उनकी टीम को इस काम के लिए बहुत-बहुत बधाई। वो केबीसी कार्यक्रम में भी आई थी।
जब भी बारिश होती है पेड़ ना होने के कारण जो पानी होता है बहकर नदी नालों में चला जाता है। अगर पेड़ होंगे तो उनकी जड़ से पानी रुकेगा , मिट्टी का कटाव भी रूकेगा। रुका हुआ पानी ज़मीन के अंदर जाएगा और वाटर लेवल ऊपर आएगा फिर उस पानी से खेती हो सकती है और वो पीने के काम आ सकता है l
सुरजीत सर ने एक वीडियो शेयर की थी जिसमें एक आश्रम दिखाया गया था ओरविल्ले। यह स्वामी अरविंदो का आश्रम है , पांडिचिरी में । इसमें 42 देशों के , 2500 लोग रहते हैं । यहां पर बिना पैसे के काम होता है। पूजा के लिए कोई मूर्ति नहीं है बल्कि एक मंदिर है , वहां पर सभी लोग मौन रहते हैं।
स्वामी अरविंदो के बारे में बताना चाहूंगा कि स्वामी अरविंदो को उसके पिताजी ने बचपन मे ही बाहर इंग्लैंड में भेज दिया था। उनको ये नहीं बताया गया उनका देश , धर्म और जाति क्या है? उनकी अध्यात्मिक परवरिश वहां से प्रारंभ हुई। इसके दौरान उसके पिताजी की भारत में मृत्यु हो गई पर उनके पिताजी ने यह भी कहा कि ये बात अरविंदो को मत बताना। फिर वह भारत लौटे और पांडिचेरी में उन्होंने एक आश्रम बनाया ।
जो लोग वहां पर रह रहे हैं इस बात का प्रतीक है कि मन की शांति के लिए कोई आदमी क्या क्या कर सकता है? उन्होंने अपना मुल्क छोड़ दिया और वो भारत में अपना जीवन यापन कर रहे हैं । वह एक बुद्ध पुरुष थे जिनके आश्रम भारत और बाहर के मुल्कों में भी हैं। लोग उनको बहुत पढ़ते हैं, ध्यान करते हैं। उत्तराखंड रामगढ़ के पास भी उनका एक आश्रम है यहाँ का जिक्र मेरी एक यात्रा में है।
अगर हम चाहते हैं इस विश्व में शांति हो तो इस में तो पहले हमें खुद शांत होना होगा , सहज होना होगा ।
फिर आबादी को लेकर चर्चा हुई कि जितने हमारे जंगल कट रहे हैं , सड़कें चौड़ी हो रही हैं, वो बढ़ती हुई अबादी के कारण हो रहा है। इस क्षेत्र में लोगों को ही कुछ ठोस कदम उठाने होंगे, वर्ना राजनीतिक पार्टियों के लिए तो आम आदमी सिर्फ एक वोट ही है और इससे ज्यादा कुछ नहीं।
सुरजीत सर आज किसी खास काम की वजह से नहीं आ पाए।
बातें करते करते हमने चाय पी।
फिर मिलेंगे कि नहीं किस्से के साथ ।
आपका अपना
रजनीश जस
रूद्रपुर
उत्तराखंड
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