Tuesday, September 24, 2019

The Book Tree, Book with Coffee, Rudrapur, Uttrakhand

 कोई भी सामाजिक क्रांति हो या अध्यात्मिक क्रांति उसकी शुरुआत सबसे पहले विचारों की क्रांति होती है विचारों में क्रांति,  किताबों से, परिचर्चा से ,ध्यान से होती है। तो किताबें वाकई बहुत महत्वपूर्ण होती हैं,  किसी क्रांति के लिए क्योंकि वो विचारों को सहेज कर रखती है। आज अगर हमारे बीच में लिओ टाल्सटाय, मैक्सिम गोर्की,  मुंशी प्रेमचंद , राहुल संक्रतायन शारीरिक रुप में नहीं है पर वो अपनी किताबों के ज़रिए , कहानियों के ज़रिए हमारे दरमियां हमेशा ही रहेंगे।

 रुद्रपुर में एक दुकान है
 "द बुक ट्री, बुक्स विद कॉफी"।  आप वहां बैठकर किताब पढ़ सकते हैं, कॉफी पी सकते हैं, चाय कर पी सकते हैं बैठकर परिचर्चा कर सकते हैं । किताबें  यँहा किराये पर भी मिलती हैं। ऐसी शुरुआत के लिए उनके नवीन चिलाना जी को बहुत-बहुत बधाई देता हूंँ।
 मंटो, अंतन चोखोव , गोर्की , टाल्सटाय,  राहुल संकतायन, बच्चों की कहानियों की किताबें  यँहा मिलती हैं।

 बुक ट्री रुद्रपुर में भगत सिंह चौक के पास ,डी 79,  पुराना अलाहाबाद बैंक वाली गली, मेन मार्केट में स्थित है।
अगर हम चाहते हैं हमारी आने वाली पीढियाँ ये जाने कि इतिहास में सिर्फ युद्ध ही नहीं हुए, बल्कि लिओ टाल्सटाय जैसे महान लेखक भी हुए हैं, जिन्होनें अपने पात्र के साथ बहस की,काफी पी। अन्ना केरेनिना , नावल लिखने के बाद जब उनकी नावल की पात्र अन्ना  केरेनिना रेलवे पुल से कूदकर जान दे देती है तो टाल्सटाय वँहा जाकर अफसोस करते हैं।
युद्ध और शांति , नावल उन्होने लगभग दस बार लिखने के बाद फाईनल किया।

तो खुद जाँए, अपने बच्चों को साथ लेकर जाएँ
उनको किताबों से रुबरू करवाएँ।

ऐसे ऐसे बुक शहर शहर में होने चाहिए।


धन्यवाद।
रजनीश जस
रूद्रपुर
उत्तराखंड
                ये किताबें आप पढ़ सकते हैं।
 वो कोना यँहा बैठकर आप किताब पढ़ सकते है।




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