Saturday, September 14, 2019

#journey_to_poona_part_1

#journey_to_poona_part_1
25.09.2018







आइए चलते हैं एक नई यात्रा पर। मुझे ऑफिशियल टूर पर पूना जाना था। बारिश  इतनी हो रही थी, कि पूछो मत ।
दुकान से कुछ बेसिक मेडिसिन  खरीद ली। इस बार यात्रा में एक नया एक्सपेरिमेंट किया गया, एक बनियान सिलाई गई जिसको पंजाबी में शायद पतूही कहते हैं ।उसके अंदर एक छिपी हुई जेब होती है, जो कि बहुत गहरी  होती है,  दो जेब सामने । यह पुराने समय में हमारे बुजुर्ग पहन के सफर करते थे।
बेटा रोकन बारिश में जाकर नमकीन के पैकेट लाया।  सिमरन  { मेरी धर्म पत्नी } ने सुबह के लिए परांठे पैक  किए, साथ गुड़ और सौंफ भी।
 जैसे तैसे करके रुद्रपुर रेलवे स्टेशन पहुंचा। ट्रेन रानीखेत एक्सप्रेस पकड़ी। दो-तीन लोग और थे। उन्हें दिल्ली जाना था। वह मजाक करने लगे भाई साहब ,आप उठ गया तो उन्हें जगा देना। अगर हम  उठ गए तो हम आपको जगा देंगे। अगर कोई ना जागा, तो जैसलमेर पहुंच जाएंगे वहां घूम आएंगे। फिर सब सो गए रात को।  सुबह पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंचा।
सुबह 4:00 बजे रेलवे स्टेशन बहुत सुंदर लग रहा था ।उसको लाइटों से ऐसे सजा रखा था, जैसे को दुल्हन ने दूल्हे के इंतजार में श्रंगार कर रखा हो। वहां से मैं नई दिल्ली आ गया। वो स्टेशन भी ऐसे ही सजा हुआ था। फोटो वहां पर  खींची ।इंतजार होने लगा  अगली ट्रेन का ।ट्रेन अपने निर्धारित समय से एक घंटा लेट थी ।नाश्ता किया ।  स्टेशन  के बाहर थोड़ी देर घुमा फिरा और फिर आकर बैठ गया ।ट्रेन आई तो चल दिए मुसाफिर मंजिल की तरफ । मैं हिंदी में अपने साथियों के साथ बात करने लगा ।वह बोले हम पंजाब से जाकर पूना रहने लगे हैं कोई बैंक एम्पलाई थे फिर तो हम शुरू हो गए भाई पंजाबी में। उसे खूब बातें हुई किस्से कहानियां पॉलिटिक्स बहुत कुछ । रात आई सो गए ।फिर अगले दिन मैं पुणे पहुंचे बहुत थक गया का फ्रेश हुआ नहाया खाना खाया।
नेशनल होटल रेलवे स्टेशन के बिल्कुल पास यह । बहुत पुराना होटल है बहाउल्ला इनके गुरु है जिनके  200 साल ही मना रहे हैं।
 शाम हो चुकी थी मैं निकला फिर थोड़ा सा टहलने ।कोरेगांव पार्क गया वह ओशो आश्रम बंद हो चुका था ।उन्होंने बताया कि उसे पार्क खुला हुआ है तुम्हें वही चला गया। वहां बहुत पुरानी पुरानी पेड़ थे ,बांस के और बहुत नायाब किस्म के फूल थे । युगल प्रेमी  एक दूसरे के हाथ में हाथ पकड़े घूम रहे थे ।महात्मा बुद्ध की दो मूर्तियाँ
 थी,  जो कि बेहतरीन नक्काशी  गई थी। फिर टहलता हुआ बाहर निकला तो देखा सड़क के किनारे एक साइकिल पड़ा था। यहां पर किराए पर साइकिल मिलते हैं ।उसके बार कोड को  मोबाइल से स्कैन करो और आप उसको पैसे पर करो तो ताला खुल जाता है ।यहां तक आपने जाना है जाएं और फिर वहां ताला लगा दें। पूरे शहर भर में ऐसी साइकिल पड़े हुए हैं ।एक अच्छी शुरुआत है ।

तभी बारिश होने लगी और आटो पकड़ के होटल आ गया ।रात का खाना खाया ।तो फिर होटल के मैनेजर से बात होने लगी उन्होंने अपने गुरु बहाउल्ला के बारे में बताया।
यह कॉम पूरे विश्व भर में है 5000000 लोग हैं।  यह लोग पूरे विश्व को एक मानते हैं ।
दिल्ली में लोटस टेंपल बनाया है ।उन्होंने मुझे कुछ किताबें पढ़ने के लिए दी। दीवार पर बहुत ही खूबसूरत  कलाक्रति थी। उन्होंने उसके बारे में बताया है कि यह भी एक नक्काशी की गई है।
मुझे सुबह उठकर कंपनी के काम जाना था तो फिर मैं आकर सो गया।
आगे है,  एक दिलचस्प आदमी के संघर्ष की कहानी।
#rajneesh_jass
Rudrapur
Uttrakhand
India

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