#journey_to_poona_part_3
#rajneesh_jass
27.09.2018 to 29.09.2018
आज मैं अपनी पुणे यात्रा का तीसरा और अंतिम पार्ट लेकर आया हूं । विक्रम ने मुझे बजाज के गेट पर छोड़ा। फिर वहां पूरे दिन में एक मीटिंग चली एक कंपटीशन हुआ जिसमें में फर्स्ट आया।
वँहा मुझे अमित महाजन मिलें। पहले वो रुद्रपुर के बजाज ऑटो में ही थे। फिर उनकी ट्रांसफर हो गई थी पुणे ।उन्होंने मुझे लंच करवाया । हमने पंजाबी में खूब बातें की ।अपनी मां बोली में बोलने का अलग ही मज़ा होता है।उन्होंने मुझे एक दिलचस्प बात बताई यहां पुणे में 22 से लेकर 26 डिग्री तक तापमान रहता है जिसके कारण लोगों को पसीना नहीं आता । तो लोग पसीने के लिए पुणे में लोग मिर्च बहुत ज्यादा खाते हैं ।
शाम को मैं पुणे के लिए वापस निकला। फिर SV Raju सर मिले। वो एक कंपनी में
Vice president हैं। वह रुद्रपुर में हमारे साइकिलिंग क्लब में साइकिलिंग करने आते थे । उन्होंने 35 साल बाद हमारे साथ साईकिलिंग की थी।
फिर ट्रांसफर हो गया पुणे तो वो यंहा आ गए थे। मैं जैसे ही कार में बैठा तो मैंने देखा उन्होंने गले में कॉलर लगा रखा था । सर्वाईक्लक का दर्द था उन्हें। बातें शुरू हुई तो मैंने उनको इसके बारे में बताया कि ये अक्युप्रैशर से ठीक हो सकता है ।फिर उन्हें मैंने एक्यूप्रेशर के पॉइंट बताएं । अपनी एक कविता सुनाई।वो बहुत खुश हुए।उन्होंने मुझे निमंत्रण दिया कि अगली बार जब भी पूना आओ तो उनकी कंपनी में एक मोटिवेशन का लेक्चर देना। मैंने पहले भी उनकी कंपनी में रुद्रपुर में मोटिवेशन के ऊपर 1 घंटे का लैक्चर दिया था। फिर होटल आ गया खाना खा कर सो गया ।सुबह 4:00 बजे की ट्रेन थी। मैं 3:00 बजे की रेलवे स्टेशन पहुंच गया ट्रेन आई तो चल दिए मुसाफिर। सामने वाली सीट पर एक लड़का था फौजी ।वो लेह जा रहा था। साइड वाली सीट पर दो एक औरत अपनी बेटी के साथ थी । वह कहीं घूम कर वापस जा रही थी ।फिर 2 लोग और आ गए हम बातें करने लगे। बीच बीच में मैं देख रहा था कि वह औरतें आपस में बातें करती रहीं पहली हंसती रही, फिर वो रोने लगी। पुरानी सहेलियां थी अपने दुख सुख का आदान प्रदान कर रही थी। पुणे से दिल्ली 22 घंटे का सफर है ट्रेन में खाना पीना खाते रहे ।फिर सो गए जब दिल्ली पहुंचने वाला थे तो औरतों से हमारी बातचीत शुरू हुई। वो 5 औरतें थी जो अपने बच्चों के साथ मुंबई , नासिक, शिरडी घूम कर वापस जा रही थी दिल्ली।वह दिल्ली पुलिस में थी और हरियाणा से थी। फिर उन्होंने बताया वह हर साल अपनी कंही घूमने जाती है।
( मुझे भी अपने कॉलेज के गेट टुगेदर याद आ गई)
एक औरत अपने पति से बहुत दुखी थी। वह दूसरे को कह रही थी 30 साल हो गए उसे झेलते झेलते। उसकी सहेली का बेटा जवान हो रहा था ,तो उसने बोला मेरे को भगा के लेजा । मजाक कर रही थे, तेरी मां जाने नहीं देगी।
हम कहते हैं औरतें भावुक होती है, रोती हैं पर ना रोने वाले दिल तो पत्थर ही हो जाते हैं ,जैसे आदमी है। कुछ दिनों पहले पता पड़ी द बुक ऑफ मैन बाय ओशो याद आ गई। उसमें एक आदमी कहता है कि मुझे कभी कभी रोना आता है, तो ओशो ने बड़ी खूबसूरती से जवाब दिया, रोना अच्छी बात है। वैसे भी आदमी 40 % औरत ही है और 60% आदमी। जब भी हम करुणा , प्रेम से भरते हैं तो हम औरत हो जाते हैं। रोने से हमारे मन के कई दुख, चिंताएँ कम हो जाती हैं। परमात्मा ने औरत और आदमी में टीयर गलैंड बराबर बनाएं हैं, उसका कुछ तो उपयोग होगा? रोने के कारण औरतें बहुत कम पागल होती हैं, आदमी से औसत 5 साल ज्यादा उम्र जीती हैं, उनमें आदमी से ज्यादा सहनशीलता होती है।
औरतों की तरफ देखकर सोच रहा था कि हम आदमी भी कितने खुदगर्ज होते हैं कि जो खुद तो अकेले घूम लेते हैं और अपनी पत्नियों कोत् अपनी सहेलियों के साथ घूमने नहीं देते ।उनको भी मन की भावनाएं व्यक्त करने के लिए दूसरे से बातें करने का हक है।
दिल्ली पहुंचे दिल्ली से फिर बस पकड़ी और फिर मैं रुद्रपुर आ गया। फिर आप को लेकर चलूंगा एक नयी यात्रा पर। तब तक अलविदा।
#rajneesh_jass
27.09.2018 to 29.09.2018
आज मैं अपनी पुणे यात्रा का तीसरा और अंतिम पार्ट लेकर आया हूं । विक्रम ने मुझे बजाज के गेट पर छोड़ा। फिर वहां पूरे दिन में एक मीटिंग चली एक कंपटीशन हुआ जिसमें में फर्स्ट आया।
वँहा मुझे अमित महाजन मिलें। पहले वो रुद्रपुर के बजाज ऑटो में ही थे। फिर उनकी ट्रांसफर हो गई थी पुणे ।उन्होंने मुझे लंच करवाया । हमने पंजाबी में खूब बातें की ।अपनी मां बोली में बोलने का अलग ही मज़ा होता है।उन्होंने मुझे एक दिलचस्प बात बताई यहां पुणे में 22 से लेकर 26 डिग्री तक तापमान रहता है जिसके कारण लोगों को पसीना नहीं आता । तो लोग पसीने के लिए पुणे में लोग मिर्च बहुत ज्यादा खाते हैं ।
शाम को मैं पुणे के लिए वापस निकला। फिर SV Raju सर मिले। वो एक कंपनी में
Vice president हैं। वह रुद्रपुर में हमारे साइकिलिंग क्लब में साइकिलिंग करने आते थे । उन्होंने 35 साल बाद हमारे साथ साईकिलिंग की थी।
फिर ट्रांसफर हो गया पुणे तो वो यंहा आ गए थे। मैं जैसे ही कार में बैठा तो मैंने देखा उन्होंने गले में कॉलर लगा रखा था । सर्वाईक्लक का दर्द था उन्हें। बातें शुरू हुई तो मैंने उनको इसके बारे में बताया कि ये अक्युप्रैशर से ठीक हो सकता है ।फिर उन्हें मैंने एक्यूप्रेशर के पॉइंट बताएं । अपनी एक कविता सुनाई।वो बहुत खुश हुए।उन्होंने मुझे निमंत्रण दिया कि अगली बार जब भी पूना आओ तो उनकी कंपनी में एक मोटिवेशन का लेक्चर देना। मैंने पहले भी उनकी कंपनी में रुद्रपुर में मोटिवेशन के ऊपर 1 घंटे का लैक्चर दिया था। फिर होटल आ गया खाना खा कर सो गया ।सुबह 4:00 बजे की ट्रेन थी। मैं 3:00 बजे की रेलवे स्टेशन पहुंच गया ट्रेन आई तो चल दिए मुसाफिर। सामने वाली सीट पर एक लड़का था फौजी ।वो लेह जा रहा था। साइड वाली सीट पर दो एक औरत अपनी बेटी के साथ थी । वह कहीं घूम कर वापस जा रही थी ।फिर 2 लोग और आ गए हम बातें करने लगे। बीच बीच में मैं देख रहा था कि वह औरतें आपस में बातें करती रहीं पहली हंसती रही, फिर वो रोने लगी। पुरानी सहेलियां थी अपने दुख सुख का आदान प्रदान कर रही थी। पुणे से दिल्ली 22 घंटे का सफर है ट्रेन में खाना पीना खाते रहे ।फिर सो गए जब दिल्ली पहुंचने वाला थे तो औरतों से हमारी बातचीत शुरू हुई। वो 5 औरतें थी जो अपने बच्चों के साथ मुंबई , नासिक, शिरडी घूम कर वापस जा रही थी दिल्ली।वह दिल्ली पुलिस में थी और हरियाणा से थी। फिर उन्होंने बताया वह हर साल अपनी कंही घूमने जाती है।
( मुझे भी अपने कॉलेज के गेट टुगेदर याद आ गई)
एक औरत अपने पति से बहुत दुखी थी। वह दूसरे को कह रही थी 30 साल हो गए उसे झेलते झेलते। उसकी सहेली का बेटा जवान हो रहा था ,तो उसने बोला मेरे को भगा के लेजा । मजाक कर रही थे, तेरी मां जाने नहीं देगी।
हम कहते हैं औरतें भावुक होती है, रोती हैं पर ना रोने वाले दिल तो पत्थर ही हो जाते हैं ,जैसे आदमी है। कुछ दिनों पहले पता पड़ी द बुक ऑफ मैन बाय ओशो याद आ गई। उसमें एक आदमी कहता है कि मुझे कभी कभी रोना आता है, तो ओशो ने बड़ी खूबसूरती से जवाब दिया, रोना अच्छी बात है। वैसे भी आदमी 40 % औरत ही है और 60% आदमी। जब भी हम करुणा , प्रेम से भरते हैं तो हम औरत हो जाते हैं। रोने से हमारे मन के कई दुख, चिंताएँ कम हो जाती हैं। परमात्मा ने औरत और आदमी में टीयर गलैंड बराबर बनाएं हैं, उसका कुछ तो उपयोग होगा? रोने के कारण औरतें बहुत कम पागल होती हैं, आदमी से औसत 5 साल ज्यादा उम्र जीती हैं, उनमें आदमी से ज्यादा सहनशीलता होती है।
औरतों की तरफ देखकर सोच रहा था कि हम आदमी भी कितने खुदगर्ज होते हैं कि जो खुद तो अकेले घूम लेते हैं और अपनी पत्नियों कोत् अपनी सहेलियों के साथ घूमने नहीं देते ।उनको भी मन की भावनाएं व्यक्त करने के लिए दूसरे से बातें करने का हक है।
दिल्ली पहुंचे दिल्ली से फिर बस पकड़ी और फिर मैं रुद्रपुर आ गया। फिर आप को लेकर चलूंगा एक नयी यात्रा पर। तब तक अलविदा।
Nice
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