Thursday, September 26, 2019

Journey Kainchi Dham Mandir,Bhawali, Uttrakhand

सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहां
जिंदगी गर रही तो ये जवानी फिर कहां
#ख्वाजा_मीर
#यात्रा_कैंची_धाम
#journey_to_kainchidham_uttarakhand
24.06.2018

सुबह 7:30 बजे रुद्रपुर से हम चलें बस से हल्द्वानी पहुंचे|| वहां से टैक्सी ली कैंची धाम की| हमारा ड्राइवर था विक्की,जो कि एक बॉडी बिल्डर है जिसने पोनीटेल बना रखी थी|
Alto में दो और सवारियां भी थी एक तो पहाड़ से एक औरत जिसने साड़ी पहन रखी थी और एक आदमी| तो चल दिए हम कैंची धाम मंदिर के लिए अल्मोड़ा रोड पर|| जैसे ही  काठगोदाम आया सामने पहाड़ दिखने लगे।  काठगोदाम बहुत ही खूबसूरत जगह है यहां का रेलवे स्टेशन अंग्रेजों के समय का बना हुआ है और यह पहाड़ी रास्ते पर आखरी ही रेलवे स्टेशन है| फिर हुई चढ़ाई शुरू और हम पहाड़ों की तरफ यात्रा करने लगे| हमारी कार का ड्राइवर विक्की जब भी कोई मंदिर आता तो कार के आगे उसके बिल्कुल हाथ के पास एक घंटी थी उसे जरूर बजाता तो टन्न  की आवाज आती| फिर बातें होने लगी राजनीति पर मैंने वह विषय को मोड़कर किसी और तरफ बदला|

 विक्की अपनी शादी का किस्सा सुनाने लग गया| जब उसकी शादी की उम्र हुई तो उसकी मां ने पूछा, बेटे कोई पसंद है? उसने मुस्कुराकर कहा मां तू ही पसंद है| मां बोली नहीं, मैं शादी के लिए कह रही हूं| तो विकी ने कहा हां एक लड़की पसंद है, पर उसकी जाति कोई और है| फिर वह पिताजी के साथ लड़की वालों के घर गया| उसके पिता ने कहा पर लड़की वाले शादी के लिए नहीं मान रहे थे| पिता फ़ौज में थे तो उन्होंने बोला मेरे बेटे को तुम्हारी बेटी पसंद है तुम शादी नहीं करोगे तो भगा के ले जाएगा| उसके पिता जी ने कहा, मेरी दो बेटियाँ हैं, ये आ जाएगी तो तीसरी हो जाएगी। बस फिर क्या शादी तय हो ही गई|
हम थोड़ी ऊंचाई पर आ गए थे हवा भी पहले से साफ और ठंडी हो गई थी| इर्द गिर्द पेड़ों का झुरमुट और एक तरफ बहती हुई कोसी नदी| पहले भीमताल पहुंचे वहां पर झील के किनारे होते हुए फिर हम भवाली पहुंचे| भवाली भी बहुत खूबसूरत और आनंदित जगह है| वहां से एक तरफ को घोड़ाखाल की तरफ सड़क मुड़ती है।  वहां पर गोलू देव का मंदिर भी है यहां पर लोग अपने मन की मुरादें पूरी करने के लिए जाते हैं| जिसकी मुराद पूरी हो जाए वहां पर घंटी चढ़ाता है| उस मंदिर में लगभग लाख के करीब  घंटियाँ होगी, छोटी घंटे से लेकर बड़ी घंटी।  आगे सांप की तरह बलखाती हुई सड़क पर चलते हुए फिर हम कैंची धाम मंदिर पहुंच ही गए| हम कार से उतरे किराया दिया और झटपट पैर धोकर वहां मंदिर में माथा टेकने चले गए| मंदिर में प्रवेश करते ही इतनी शांति महसूस हुई के शायद शब्दों में वह बयां की ही नहीं जा सकती| सुबह के भूखे थे चाय पी के घर से निकले थे तो फिर बाहर आकर नाश्ता किया चाय पी| यहां पर मूंगी की दाल के पकोड़े बहुत ही मशहूर है पर हमारी किस्मत में नहीं थे तो वह पहले ही खत्म हो चुके थे| हमने बेसन के पकौड़े से काम चलाया| फिर चले गए अंदर और फिर बैठ गए मंदिर में| मेरे साथ था Chiranjeev Pathak| वह भी तफरी मारने वाला मस्त आदमी है|वहां पर शुरू हुआ कीर्तन  जो कि लगभग 2 घंटे तक चला| सामने पहाड़ी पर पल-पल करवट बदलते बादल चीड़ के पेड़ कभी धूप कभी छांव| फिर बादल आए तो बारिश होने लग गई| हम भी मस्त हैं बैठे कीर्तन का आनंद लेते रहे| मन की गति कुछ देर के लिए रूके गई,  बस ये सबसे बड़ी उपलब्धि रही यात्रा की।
मंदिर के अंदर फोटोग्राफी बंद है पर फिर भी हम भारतीय लोग  अनुशासन तोड़ने में सबसे आगे जो है तो लोग बार-बार वीडियो बना रहे थे पर पुलिस वाले हैं उन्हें आकर मना कर रहे थे|
इस मंदिर की बहुत ही मान्यता है एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जॉब्स यहां आते थे, फेसबुक वाले मार्क ज़ुकेरबर्ग, हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स और बहुत नामी गिरामी बंदे यहां आते हैं|

                        कैंची धाम मंदिर
बारिश की बूंदें , चाय की दुकान पर

मैं पिछली बार जब यहां आया तो एक अंग्रेज आरती कर रहा था वह व्हीलचेयर पर था शायद बीमार होगा मैंने पूछा कहां से हो तो उसने फ्रांस बताया| मैंने पूछा डू यू लव इंडिया? उसने मुस्कुराकर दिल पर हाथ रख और बोला आई लव इंडिया वेरी मच|
 यहां हर साल 15 जून को बहुत बड़ा मेला लगता है| जिसमें देश और देशों से बहुत सारे लोग आते हैं| नीम करोरी बाबा जिनकी तस्वीर हर एक कार में  जरूर मिल जाएगी जब हम उत्तराखंड में पहाड़ पर जाते हैं तो|
चिरंजीवी बहुत हैरान हुआ उसने यह तस्वीर बहुत बार देखी वह जानता नहीं था यह कौन है? फिर से हम निकले बारिश हो रही थी कुछ तस्वीरें खींची सफर की याद ताजा रखने के लिए| बाहर आकर मसाला शिकंजवी पी | फिर बस का इंतजार करने लगे क्योंकि टैक्सी तो वापस जाने के लिए मिलने नहीं थी| पहाड़ सारी टैक्सी भरी हुई यहां  ही आती है नीचे| बारिश के मौसम से हवा में ठंडी हो गई थी| फिर बस आई और हम बैठ गए तो आगे पहुंचे तो इसके कारण कोहरा छाया हुआ था।  मुझे तो टीशर्ट में ठंड लग रही थी| आगे जाकर बस पंचर हो गई हमें ढाबे पर चाय पी| चाय में थोड़ा सा पानी डाल लिया था क्योंकि बस में चक्कर आने के कारण जी थोड़ा मचला रहा था|
 मेरा एक दोस्त है Nishant Arya वह हमेशा कहता है कि पेट्रोल की गाड़ी में ही सफर करो जब भी पहाड़ से जाना हो बस में अक्सर हालत खराब हो ही जाती है|
मैं सब यह बातें लिखता रहता हूं क्योंकि चाहता हूं कि जिंदगी की खूबसूरती का आनंद दूसरे लोग भी मनाएं| क्योंकि कहा गया है कलाकार किसी दुख हो या सुख को बहुत ही शिद्दत से जीता है| उसकी जिंदगी में छोटी-छोटी बातों का भी बहुत महत्व होता है|

फिर बस से पहुंचे हम हल्द्वानी मैदानी इलाके में आ चुके थे मौसम की गर्मी भी अपना रंग दिखा रही थी| फिर पहुंचे हल्द्वानी में लगे हुए बुक फेयर पर| वहां हमारी टीम का नाटक था पीटी हुई गोट।
वह  नाटक देखा फोटोग्राफी की|
हल्द्वानी में  कुल्हड़ वाली आइसक्रीम खाई। कुल्हड़ में आइसक्रीम खाने का अलग ही मजा है| फिर बस पकड़ी तो लगभग 9:30 बजे हम रुद्रपुर वापस पहुंचे| फिर मिलेंगे एक नई यात्रा इतने ही रंग में एक नए रंग ढंग में मैं आपका रजनीश विदा लेता हूं अब|
#rajneesh_jass
Rudrapur
Uttarakhand

No comments:

Post a Comment