Saturday, December 4, 2021

मैं, मेरी पत्नी और किताबें

मैं, मेरी पत्नी और किताबें 
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जब शादी हुई थी हमारी 
तुम्हें शौक नहीं था 
किताबें पढ़ने का ,
जो कि फुर्सत ही नहीं थी
टिऊशन से तुम्हें 

फिर जब तुम रात का खाना बनाती 
मैं रसोई में कुर्सी पर बैठ कर 
किताबें पढ़ता 
तुम्हें सुनाता कविताएँ 
गज़लें, विश्व प्रसिद्ध गाथाएं 
हमारी रसोई को पर लगा जाते 
और हम उड़ जाते 
पूरी धरती का चक्कर 
लगा आते 

पर जब कभी मैं 
लिविंग रूम में बैठ जाता 
तुम रसोई से आवाज़ देती 
क्या मोबाइल पर टिक
टिक कर रहे हो ?
आओ बैठो 
ये कुर्सी उदास है 
कुछ किताबें सुनाओ ।

अब तुम भी तो जान गई हो 
ओशो की किताब, बुक्स आई हैव लवड, 
हरमन हैस के सिद्धार्थ को, 
लिओ टालस्टाय की अन्ना केरेनिना को,
राहुल संकरतायण की किताब वोल्गा से गंगा, 
राम सरूप अन्खी की सुत्ता नाग ( सोया नाग), 
जंग बहादुर गोयल  की विश्व प्रसिद्ध शाहकार नावल, 
अनुराधा बेनीवाल की आज़ादी मेरा ब्रांड को

यूं ही एक दिन सूझा 
चलो आज तीनों पहर मैं खाना बनाता हूं 
और तुम कुर्सी पर बैठ कर किताबें पढ़ो 
बहुत मुश्किल लगा 
दो वक्त बैठ कर किताबें पढ़ना 
पत्नी हो ना, देख नहीं पाई 
रोटी बेलते प्याज काटते 
आँसू बहाते पति को 
सुबह और दोपहर का खाना ही बना पाया

पर वो दिन यादगार बन गया मेरे लिए 
अब तो तुम्हारे थक जाने से 
पहले लग जाता हूँ रसोई में
प्याज काटने, 
तेरे आँसू अपनी आँखों से बहाने के लिए 

और तुम भी मुस्कुराकर बैठ जाती हो 
एक नई किताब लेकर 
और उड़ जाते हम
किसी नए लेखक के देस 
#Rajneesh_jass 
04.04.2017 
Rudrapur
Picture by my son Rohan Jass
( In pic, Rajneesh Jass & Simran Jass)

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