Monday, February 1, 2021

Bachelor Party

 Bachelor पार्टी देखकर मुझे एक चीज़ अच्छी लगती कि हम सब हमेशा जवान रहना चाहते हैं। जवानी तो दीवानी होती है, जो  सही और गलत के परे होती है।
जिस तरह के कपड़े पहनने की मन में इच्छा हो वो पहनना , जो दिल में है बातें बिना किसी पर्दे के बोल सकते हैं । कुछ ऐसी बातें होती हैं जो उम्र भर  हमें अंदर ही अंदर कचोटती रहती हैं।

 जब हम खुलकर हसते हैं, नखचते हैं बिना प्रवाह किए कि कोई क्या कहेगा, ताली मारते है तो 11 किस्म के हार्मोन सीक्रेट होते हैं जो हमें अच्छी से त देते हैं  हमारे चेहरे पर एक नूर आता है, नींद गहरी होती है, हम कई किस्म की बिमारियों से बच जाते हैं।

पर जब हम उदास हैं,  गुस्से में होती तो वह हमारे बुरे हार्मोन पैदा होते हैं जो शरीर में बिमारी पैदा करते हैं। तो  ज़ाहिर है हर आदमी तंदुरुस्त रहने की कोशिश करता है।
 जर्मन का एक शब्द Personna जिसका मतलब है नकाब़। उसी Personna शब्द से बना है पर्सनैलिटी। तो  पर्सनैलिटी है एक नकाब।  हम हर वक्त कुछ ना कुछ  नकाब पहने रहते हैं , जिसके नीचे होता है हमारा असली चेहरा जो हर वक्त बाहर आने को तड़पता रहता है।
 जब हम बैचलर पार्टी में जाते हैं वह मुखोटे उतर जाते हैं । वही मुखोटे को उतारने के लिए शराब बहुत हद तक कारगर सिद्ध होती है।
( मैं यहाँ शराब को अच्छा नहीं बता रहा । सवैंधानिक चेतावनी : शराब पीना सेहत के लिए हानिकारक है)
मैं अपने दोस्तों के साथ बैचलर पार्टी करता हूं उसने हम बिना किसी भेदभाव के पुराने नाम से दिल की बातें करते हैं।

 पंजाबी का एक शेर है जिसका हिंदी तर्जुमा है 

अगर दिल खोल लेते यारों के साथ 
तो आज खोलना ना पड़ता हो ओज़ारों के साथ

 इसका मतलब अपने दिल की बातें जब हम कर लेते हैं तो हम हल्का महसूस करते हैं । जीवन में कभी कहीं कोई हमसे कोई गलती रह गई है, हमें मनपसंद नौकरी या छोकरी नहीं मिली तो वह खालीपन मानसिक तौर पर हमेशा दबाव बनाकर रखता है। 
हम मानसिक तौर पर वही रूक जाते हैं पर समय के साथ-साथ हमारी उम्र बढ़ती जाती है। इसका मतलब है कि हम मानसिक उम्र में तो वहीं रहते हैं पर शरीर बड़ा हो जाता है।
 जो कमी रह गई है उसको स्वीकार नहीं करते उसको हम परमात्मा या किसी का किसी के ऊपर दोष मढ़कर वहीं पर रुके रह जाते हैं।
 कुछ साल पहले मुझे एक आदमी मिला  जिसकी उम्र लगभग 65 साल थी। शादी के बारे में उससे बातें करने लगा । मैनें बताया ख़लील ज़ि ब्रान ने अपनी किताब पैगंबर मे कहा है,
 प्रेमी और प्रेमिका दोनों मंदिर के स्तंभों की तरह हैं जिनमें एक निश्चित दूरी होनी चाहिए। अगर वह करीब आ जाएंगे तो भी मंदिर नहीं बनेगा और अगर दूर होंगे तो भी मंदिर नहीं बनेगा।
 मतलब कि औरत और मर्द को अपनी अपनी एक जगह मिलनी चाहिए।

  बातें होने लगी तो उसने कहा यार मैं तुम्हें अपना एक बात बताना चाहता हूं उसने बताया कि उसकी अपनी पत्नी के साथ उसकी बोलचाल बंद है पिछले दो-तीन साल से ।उसने कहा कि मेरे लिए खाना बना कर रख देती है, चाय बनाकर रख देती है।  मैं इधर से आ रहा हूं तो अगर वो सामने आ जाए तो पीछे हट जाती है। कई बार चाय ठंडी हो जाती है पर मुझे बुलाती नहीं।

 मैंने कहा, बुरा मत मानिए मैं आपकी पत्नी से  मिला नहीं पर मैं आपको यह कहना चाहता हूं कि आपकी पत्नी आपको बहुत प्रेम करती है। 

उसने कहा कि जवानी में उसके समय पर उसके मां-बाप उसकी लड़की से शादी करना चाहते थे जो कि बहुत अमीर थी पर वह इसके प्रेम के चक्कर में पड़ गया और उसे शादी हो गई। 

65 साल की उम्र में वह आदमी  मुझे कह रहा है कि मुझे इस चीज़ का दुख है कि मैंने अपने मां-बाप के कहने पर शादी नहीं की ।
मैंने कहा आप बहुत गलत हो। 
मान लो मैं अभी मैं उठ कर कर जाऊं आपके लिए रसोई से कुछ चाय बनाकर दूं तो क्या शुक्रिया अदा करेंगे? उसने कहा हाँ।
तो मैनें कहा फिर आपके पत्नी इतने साल से आपको खाना बना कर दे रही है क्या कभी आपने उसका कोई धन्यवाद किया? उस आदमी का चेहरा उतर गया।
मैनें कहा क ई रातें उसने जागकर काटी होंगी जब वो खुद बिमार होगी पर आप तो?




पर क्या यह सच है?  हो सकता है हमें जो मिला है वह हमारा मुकद्दर से बढ़कर हो। क्योंकि कुदरत सभी को वो नहीं देती जो वो माँगते हैं बल्कि वो देती है जिसके वह हक़दार हैं। 

 मैंने एक जगह पढा था कि जब आप शाम को सोने लगे तो आप उन लोगों को माफ कर दें जिन्होंने आप को दिन में गुस्सा दिलाया है या दुख दिया है । 
सबसे बडी बात आप खुद को भी माफ कर दें अगर आपने दिन में कोई किसी के साथ गलती की है।

पता नहीं आपको कैसा लगे?  मेरे मन में जो आया वो लिख दिया।
आपका अपना
रजनीश जस
रूद्रपुर, उत्तराखंड
निवासी पुरहीरां,
होशियारपुर, पंजाब
01.02.2021

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