जब हम चालीस की उम्र पार कर जाते हैं तो जीवन में एक चुलबुलापन कम होने लगता है, ज़िंदगी में बोरियत होने लगती है ।आदमी खाने पीने का शौकीन हो जाता है, औरतें ज़रुरत से ज्यादा फैशन करने लगती है क्योंकि जीवन में उल्लास की कमीं हो जाती है।
पर इसी चक्कर में लोग घरों से बाहर निकलते हैं घूमते हैं, फिरते हैं। जवानी का उम्र से ज़्यादा मन की अवस्था से होता है।
एंजल्स ने कहा है,आदमी तब बूढा नहीं होता जब व उसके बाल सफ़ेद हो जाएँ ,बल्कि वो तब बूढ़ा होता है जब वो सपने देखने बंद कर देता है।
मैं तो सपने देखता रहता हूँ।
एक छुट्टी अचानक मिली तो पंकज का फ़ोन आया कल क्या कर रहे हो? मैंने कहा कुछ नहीं। वो बोला, उसकी भी छुट्टी है तो प्लान बन गया के कल घूमने चलते हैं। सुबह हुई तो दोनों निकल लिये हेडाखान के लिए अपाचे मोटरसाईकल पर । हल्द्वानी पहुंचते पहुंचते प्लान में टविस्ट आ गया कि नैनीताल चलते हैं। जैसे ही काठगोदाम पहुंचे, भाई वो बादलों की गड़गड़ाहट। हम भी भुट्टा खाने पहुँच गये दो गाँव। जब वहां पहुंचे तो काले बदल घिर आये थे। वहाँ से हम जैसे ही ज्योलिकोट की तरफ बढे तो भयंकर बारिश, औले पड़ रहे थे। हम एक दुकान पर रुके। प्लान हुआ कि मोटरसाईकल लगाकर आगे निकल जाएँ। निशांत को फ़ोन किया।
निशांत हल्द्वानी से मेरा कूलीग है, वो हमेशा मुस्कुराता रहता है। उसे पूछो क्या हाल है? हमेशा अंगूठा उठाकर मुस्कुराकर कहता है शानदार।
तो उसने कहा उसकी मौसी तो है यहाँ पर पास एक गाँव में है। उसने कहा थोड़ी देर रुको तो बारिश हट जाएगी।
हमने एक बर्तनों वाली दुकान से पॉलिथीन लिया जो मोटरसाईकल की सीट पर आ गया। फिर सीट साफ़ की और आगे चले।
फिर बारिश बढ़ गयी फिर एक चाय की दुकान पर रुके। वँहा मैग्गी बनवा कर खायी और अपनी थरमस से चाए पी।
फिर हल्की- हल्की बारिश में आगे बढ़ने लगे । दिल में जूनून था के ऊपर नैनीताल में बर्फ गिर रही है तो उसे जाकर जल्दी से देख लूँ । आगे बढे, ठण्ड से बुरा हाल था। पहाड़ की बारिश बहुत खतरनाक होतो है दूसरा मोटरसाईकल फिसलने का डर रहता है तो धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे।
फिर आगे रिया गाँव आया। हम एक चाय की दुकान पर रुके। वहां एक आदमी ने आग जला रखी थी। वँहा आग तापी। जैसे ही उसकी दुकान देखी मज़ा आ गया। उसने मिट्टी से रसोई बना रखी थी । मैंने उस से बात करनी शुरू की। उसने बताया वो रिटायर्ड फौजी है ,उसका नाम दलीप सिंह था।
मैनें उसका स्वैटर देखा, वो बहुत गर्म था। उसने बताया कि यह भेड़ की ऊन का है।
उसने बताया उसने पठानकोट में नौकरी की है। हमने पुछा यहाँ जंगल में दुकान है तो कभी चीता देखा है? उसने कहा एक बार वो और उसकी पत्नी शाम को सैर कर रहे थे तो सामने एक चीता दिखाई दिया। वो दोनों वहीँ रुक गए। चीते ने उन्हें देखा, सड़क पार की और नीचे खाई में उतर गया ।जब उसने उसे नीचे उतरा देखा भगवान् का शुक्र किया कि आज बच गये।
फिर उसे मैंने अपनी गाँव वाली कविता सुनाई वो खुश हो गया। मैंने देखा उसके मुझसे हाथ मिलाने को दिल कररहा है पर वो झिजक रहा था। मैंने हाथ मिलाया और कहा आपसे मिलकर ख़ुशी हुई। उसने भी यही कहा।
फिर हम आगे बढे जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे तो देख रहे तो कार के शीशे पर बर्फ जमी हुई थी। मेरा दिल कर रहा था बस उड़कर नैनीताल पहुँच जाऊं।
जल्द ही हम नैनीताल के झील के आगे फिर हम आगे निकल गए। हम चल दिए किलबरी की तरफ। वहां ट्रैफिक जाम था। हमने मोटरसाईकल पार्क की और पैदल चल पड़े।
आगे चढ़ते आ गये। आगे जाकर पूछा कि किलबरी कितनी दूर है? लोगों ने बताया समय लगेगा। पंकज को भूख लग गई। हम वापिस नीचे आ गये।
एक लड़का मिला। उसने होटल में एक हज़ार में कमरा दिखाया। हमने वो फाईनल किया। वहां सामन रखा और हम नीचे मंदिर की तरफ। मैंने कहा, यार बारिश होने वाली है वापिस चलो। हम बात कर ही रहे थे के बारिश शुरू। ये क्या, ये तो बर्फ गिरने लगी।
हम वापिस फिर किसी से पूछा कि साउथ इंडियन कहाँ मिलेगा। पता चला यहाँ एक सरस्वती रेस्त्रां है । हम बर्फ पड़ते पड़ते नीचे पहुंचे। दिल में लड्डू फुट रहे थे कियोंकि ज़िन्दगी में कभी बर्फ गिरती नहीं देखी थी। वो सपना आज पूरा हो रहा था। वहां आर्डर किया और बाहर खड़े हो गए। मसाला डोसा खाया ये जल्दी पच जाता है।
फिर जैसे ही बाहर निकले बर्फ गिरने लगी। तो लगा मेरा सपना सच हो गया। हम नीचे बर्फ में चलने लगे। चलते चलते आनंद की सीमा बढ़ने । लगी हम माल रोड पर चलने लगे । साढ़े छह वजे से साढ़े आठ बजे तक हम वहां घूमें।
सैलानी मज़ा ले रहे थे।
बर्फबारी के बारे में खास बात पता चली कि यह दो किस्म की होती है , एक रूईं की तरह ज्यादा देर गिरती है, दूसरी ओल की तरह छोटी-छोटी गिरती है। तो कल जो नैनीताल में बारिश हुई वह ओले की तरह छोटी-छोटी थी।
फिर हम वापिस कमरे में आ गए।
मुझे याद आया एक डाक्टर इंगलैंड में 10 साल रहे। वह बता रहे थे कि वँहा पहले ही ख़बर आ जाती है कि फलाने दिन इतने बजे बर्फ गिरेगी वह अंदाजा बिल्कुल सही होता था। बर्फ गिरने से पहले सरकार द्वारा नमक सड़कों पर फैंक दिया जाता था। वो इसलिए कि बर्फ जल्दी पिघल जाए।
जब सुबहवह उठते तो देखते कार पर फुट तक बर्फ जमी है। क ई बार जब वह कार साफ़ करते तो पता चलता यह तो अपनी नहीं! तो मेहनत बेकार। घरों की दीवारें दो हैं। उनमें रुईं भरी जाती है कि गैप के कारण घर में ठंड ना हो। इसके लिए मकान बश
नते समय सरकार के एक विभाग से यह आडिट की जाती है। यह खर्च उस मकान बनाने वाले का होता है।
सामने देखा, बजाज स्कूटर!
यह तो कमाल हो गया। दो दिन पहले ही मैनें, बजाज स्कूटर की तस्वीर फेसबुक पर डाली थी कि मेरा 16 साल पुराना स्कूटर आज भी पहली किक से स्टार्ट हो जाता है।
मैनें अपने दोस्तों के एक ग्रुप में डाली, तो मेरे दोस्त ने कहा, बाप रे बाप, बजाज स्कूटर से नैनीताल!
कमरे में आकर खूब गप्पें हाँकी।
बातें होने लगी के एक लड़का है जो इंजीनीयर है उसकी नयी नयी शादी हुई है। वो अपने पत्नी से दूर है , पर वो क्या बातें करे ?
मैंने कहा एक बार एक आदमी मेरे साथ चंडीगढ़ गया। मैंने सेक्टर 17 की मार्किट में जो माला बेचते हैं उनसे माला देखने लगा। मैंने अपनी पत्नी के लिए एक माला खरीदी।
उसने पूछा, ये क्यों?
मैंने कहा, अपनी पत्नी को अपनी प्रेमिका समझना चाहिए। उसके भी कुछ अरमान हैं। अगर आप उसे एक ऐसा तोहफा देते हो तो वो खुश हो जाती है।
तो उसने भी एक माला खरीद ली। जब हम घर पहुंचे तो उसकी पत्नी वो गिफ्ट देखकर ख़ुशी से बोली, अरे रजनीश ये क्या चमत्कार हो गया? मेरी शादी को 22 साल हो चुके हैं, पर आज तक इन्होनें ऐसा कोई तोहफानहीं दिया।
मैंने कहा, मैंने कुछ नहीं किया। ये तो मैं माला खरीद रहा था तो इन्होने मुझे देखकर माला खरीद ली।
मैंने उसे कहा के अपने मित्र को सलाह दो कि अपनी पत्नी से उसके सूट के बारे में बात करे, उसे लिपस्टिक गिफ्ट करे। पर अगर उसने ये बात की कि, अमेरिका में आज राष्ट्रपति ने यह कहा तो बात गलत हो जाएगी।
क्योंकि मैंने ओशो की एस्स धम्मो सनंतनो पढ़ी है। उसमे वो कहते हैं औरत शरीर से जुडी है और आदमी मन से । आदमी का विषय है, आज काल क्या हो रहा है राजनीति में। औरत का विषय है घर के परदे किस रंग के हैं ?मेरे सूट का कौन सा रंग अच्छा रहेगा?
तभी दोनों में खिचाव भी है।
रात सो गए सुबह उठे, फ्रेश हुए।
जैसे ही नीचे खुले मैदान के आगे आए तो देखा सारा मैदान बर्फ से ढका हुआ था।
फिर हमने भटूरे छोले खाए और चाय पी। चल दिए वापिस।
चलते चलते ज्योलिकोट पहुंचे। तो एक पंछी की आवाज़ सुनाई दी। मैंने मोटरसाईकल रुकवया। वहां देखा एक पेड़ पर दो गिद्ध बैठी हुई थीं। सामने पेड़ से पंछियो की आवाज़ें आ रही थी
वहां कुछ देर बैठे।
फिर रास्ते में रुकते रुकते पहुंचे दो गाँव और वँहा भुट्टे वाले के पास पहुंचे ।वो था नहीं।
वहां से चल दिए रूद्रपुर।
फिर मिलूँगा एक नया किस्सा लेकर।
आपका अपना
रजनीश जस
रुद्रपुर
निवासी पुरहीरां ,
होशियारपुर, पंजाब
05.02.2021
ये एक दिन की अचानक घुमक्कड़ी और बर्फ़बारी का सपना पूरा करना मुझे लगा रुद्रपुर से बर्फ़बारी वाले पहाड़ पास ही है तो कभी तो देखि ही होगी पहले भी.....भुट्टा चाय मिटटी का चूल्हा मौसी कलीग उसकी हँसी सुबह की lake की चाय डोसा और क्या चाहिए एक यात्रा में....
ReplyDeleteआपके शब्द, मेरी पोस्ट को पूरा पी जाना, मुझे लगता है हमारा कोई पिछले जन्मों का संबंध है। ऐसा नशा चढ़ गया है छुट्टी वाले दिन घूमने का ही मन करता है।
ReplyDeleteਵਾਹ ਬਾਬਿਓ ਬਹੁਤ ਸੋਹਣਾ ਲਿਖਿਆ
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