Sunday, September 29, 2019

Cycling with tea 29.09.2019


आज सुबह साइकिलिंग के लिए तैयार  हो रहा था तो शिवशांत आ गया। उसके साथ निकला। इस साल अच्छी बारिश होने से हर तरफ हरे पेड़ दिखाई दे रहे हैं । जैसे ही हम मेन रोड पर आए तो हमने देखा कि एक मैराथन हो रही है।लोग सफेद टी शर्ट पहनकर  दौड़  रहे थे। साथ में मीडिया वाले फोटोग्राफी कर रहे थे। जैसे ही हम आगे गए तो संजीव जी मिल गए। वह पैदल आ रहे थे। पैदल सैर कर रहे थे , राजेश सर स्टेडियम में थे । आज जब  हम फोटोग्राफी कर रहे तो एक चिड़िया चहक रही थी, उसकी वीडियो बनाई । फिर हम तीनों ने मिलकर आँखें बंद करके उस चिड़िया की और झींगुर की आवाज़ का आनंद लिया।

फिर राजेश सर को साथ मिलकर चाय के अड्डे पर पहुंच गए। चाय के अड्डे पर वहां बैठकर बातें शुरू हुईं, पर्यावरण को लेकर ।

बात हुई एक अमला रोया नाम की एक औरत की , जिनको पानी माता (वाटर मदर) के नाम से जाना जाता है। उन्होने  राजस्थान के 100 गांव में 200 से ज्यादा चेक डैम बनाए हैं जिसके कारण वहां के लोगों को रोजगार मिला है, वह खेती करने लगे हैं, उन्होने पशु पालन भी शुरू किया है। चेक डैम बारिश के पानी को रोककर बनाए जाने वाले छोटे छोटे डैम हैं। गांव में खेती होने के कारण लोगों ने अच्छे जीवन शैली को अपनाया है।
 लड़कियों ने स्कूल में जाना शुरु किया है क्योंकि उनको अपने मां-बाप के साथ  काम नहीं करना पड़ रहा है।
 डैम बनाने के लिए 30% ऐसा वहां के लोग और 70% उनकी एनजीओ देती है,जिसका नाम आकार चेरीटेबल ट्रस्ट है।
आकार एनजीओ मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश , उड़ीसा ओर  बहुत सारे राज्य में काम कर रही है। अमला रूईया और उनकी टीम को इस काम के लिए बहुत-बहुत बधाई। वो केबीसी कार्यक्रम में भी आई थी।

जब भी बारिश होती है पेड़ ना होने के कारण जो पानी होता है बहकर नदी नालों  में चला जाता है। अगर पेड़ होंगे तो उनकी जड़ से पानी रुकेगा , मिट्टी का कटाव भी रूकेगा। रुका हुआ पानी ज़मीन के अंदर जाएगा और  वाटर लेवल ऊपर आएगा फिर उस पानी से खेती हो सकती है और   वो पीने के काम आ सकता है l

 सुरजीत सर ने एक वीडियो शेयर की थी जिसमें एक आश्रम दिखाया गया था ओरविल्ले।  यह स्वामी अरविंदो का आश्रम है , पांडिचिरी में । इसमें 42 देशों के , 2500  लोग रहते हैं । यहां पर बिना पैसे के काम होता है।  पूजा के लिए कोई मूर्ति नहीं है बल्कि एक मंदिर है , वहां पर सभी लोग मौन रहते हैं।
 स्वामी अरविंदो के बारे में  बताना चाहूंगा कि  स्वामी अरविंदो को उसके पिताजी ने बचपन मे  ही बाहर इंग्लैंड में भेज दिया था। उनको ये नहीं बताया गया उनका देश , धर्म और जाति क्या है?  उनकी अध्यात्मिक परवरिश वहां से प्रारंभ हुई। इसके दौरान उसके पिताजी की भारत में मृत्यु हो गई पर उनके पिताजी ने यह भी कहा कि ये बात अरविंदो  को मत बताना। फिर वह भारत लौटे और पांडिचेरी में उन्होंने एक आश्रम बनाया ।
 जो लोग वहां पर रह रहे हैं इस बात का प्रतीक है कि मन की शांति के लिए  कोई आदमी क्या क्या कर सकता है? उन्होंने अपना मुल्क छोड़ दिया और  वो भारत में अपना जीवन यापन कर रहे हैं ।  वह एक  बुद्ध पुरुष थे जिनके आश्रम भारत और बाहर  के मुल्कों में भी हैं। लोग उनको बहुत पढ़ते हैं, ध्यान करते हैं। उत्तराखंड रामगढ़ के पास भी उनका एक आश्रम है यहाँ का जिक्र  मेरी एक यात्रा में है।
अगर हम चाहते हैं इस विश्व में शांति हो तो इस में तो पहले हमें खुद शांत होना होगा , सहज होना होगा ।

  फिर आबादी को लेकर चर्चा हुई कि जितने हमारे जंगल कट रहे हैं , सड़कें चौड़ी हो रही हैं, वो  बढ़ती हुई अबादी के कारण हो रहा है। इस क्षेत्र में  लोगों को ही कुछ ठोस कदम उठाने होंगे,  वर्ना राजनीतिक पार्टियों के लिए तो आम आदमी सिर्फ एक वोट ही है और इससे ज्यादा कुछ नहीं।

सुरजीत सर आज किसी खास काम की वजह से नहीं आ पाए।

बातें करते करते हमने चाय पी।

 फिर मिलेंगे कि नहीं किस्से के साथ ।
आपका अपना
रजनीश जस
रूद्रपुर
उत्तराखंड



Thursday, September 26, 2019

Journey Kainchi Dham Mandir,Bhawali, Uttrakhand

सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहां
जिंदगी गर रही तो ये जवानी फिर कहां
#ख्वाजा_मीर
#यात्रा_कैंची_धाम
#journey_to_kainchidham_uttarakhand
24.06.2018

सुबह 7:30 बजे रुद्रपुर से हम चलें बस से हल्द्वानी पहुंचे|| वहां से टैक्सी ली कैंची धाम की| हमारा ड्राइवर था विक्की,जो कि एक बॉडी बिल्डर है जिसने पोनीटेल बना रखी थी|
Alto में दो और सवारियां भी थी एक तो पहाड़ से एक औरत जिसने साड़ी पहन रखी थी और एक आदमी| तो चल दिए हम कैंची धाम मंदिर के लिए अल्मोड़ा रोड पर|| जैसे ही  काठगोदाम आया सामने पहाड़ दिखने लगे।  काठगोदाम बहुत ही खूबसूरत जगह है यहां का रेलवे स्टेशन अंग्रेजों के समय का बना हुआ है और यह पहाड़ी रास्ते पर आखरी ही रेलवे स्टेशन है| फिर हुई चढ़ाई शुरू और हम पहाड़ों की तरफ यात्रा करने लगे| हमारी कार का ड्राइवर विक्की जब भी कोई मंदिर आता तो कार के आगे उसके बिल्कुल हाथ के पास एक घंटी थी उसे जरूर बजाता तो टन्न  की आवाज आती| फिर बातें होने लगी राजनीति पर मैंने वह विषय को मोड़कर किसी और तरफ बदला|

 विक्की अपनी शादी का किस्सा सुनाने लग गया| जब उसकी शादी की उम्र हुई तो उसकी मां ने पूछा, बेटे कोई पसंद है? उसने मुस्कुराकर कहा मां तू ही पसंद है| मां बोली नहीं, मैं शादी के लिए कह रही हूं| तो विकी ने कहा हां एक लड़की पसंद है, पर उसकी जाति कोई और है| फिर वह पिताजी के साथ लड़की वालों के घर गया| उसके पिता ने कहा पर लड़की वाले शादी के लिए नहीं मान रहे थे| पिता फ़ौज में थे तो उन्होंने बोला मेरे बेटे को तुम्हारी बेटी पसंद है तुम शादी नहीं करोगे तो भगा के ले जाएगा| उसके पिता जी ने कहा, मेरी दो बेटियाँ हैं, ये आ जाएगी तो तीसरी हो जाएगी। बस फिर क्या शादी तय हो ही गई|
हम थोड़ी ऊंचाई पर आ गए थे हवा भी पहले से साफ और ठंडी हो गई थी| इर्द गिर्द पेड़ों का झुरमुट और एक तरफ बहती हुई कोसी नदी| पहले भीमताल पहुंचे वहां पर झील के किनारे होते हुए फिर हम भवाली पहुंचे| भवाली भी बहुत खूबसूरत और आनंदित जगह है| वहां से एक तरफ को घोड़ाखाल की तरफ सड़क मुड़ती है।  वहां पर गोलू देव का मंदिर भी है यहां पर लोग अपने मन की मुरादें पूरी करने के लिए जाते हैं| जिसकी मुराद पूरी हो जाए वहां पर घंटी चढ़ाता है| उस मंदिर में लगभग लाख के करीब  घंटियाँ होगी, छोटी घंटे से लेकर बड़ी घंटी।  आगे सांप की तरह बलखाती हुई सड़क पर चलते हुए फिर हम कैंची धाम मंदिर पहुंच ही गए| हम कार से उतरे किराया दिया और झटपट पैर धोकर वहां मंदिर में माथा टेकने चले गए| मंदिर में प्रवेश करते ही इतनी शांति महसूस हुई के शायद शब्दों में वह बयां की ही नहीं जा सकती| सुबह के भूखे थे चाय पी के घर से निकले थे तो फिर बाहर आकर नाश्ता किया चाय पी| यहां पर मूंगी की दाल के पकोड़े बहुत ही मशहूर है पर हमारी किस्मत में नहीं थे तो वह पहले ही खत्म हो चुके थे| हमने बेसन के पकौड़े से काम चलाया| फिर चले गए अंदर और फिर बैठ गए मंदिर में| मेरे साथ था Chiranjeev Pathak| वह भी तफरी मारने वाला मस्त आदमी है|वहां पर शुरू हुआ कीर्तन  जो कि लगभग 2 घंटे तक चला| सामने पहाड़ी पर पल-पल करवट बदलते बादल चीड़ के पेड़ कभी धूप कभी छांव| फिर बादल आए तो बारिश होने लग गई| हम भी मस्त हैं बैठे कीर्तन का आनंद लेते रहे| मन की गति कुछ देर के लिए रूके गई,  बस ये सबसे बड़ी उपलब्धि रही यात्रा की।
मंदिर के अंदर फोटोग्राफी बंद है पर फिर भी हम भारतीय लोग  अनुशासन तोड़ने में सबसे आगे जो है तो लोग बार-बार वीडियो बना रहे थे पर पुलिस वाले हैं उन्हें आकर मना कर रहे थे|
इस मंदिर की बहुत ही मान्यता है एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जॉब्स यहां आते थे, फेसबुक वाले मार्क ज़ुकेरबर्ग, हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स और बहुत नामी गिरामी बंदे यहां आते हैं|

                        कैंची धाम मंदिर
बारिश की बूंदें , चाय की दुकान पर

मैं पिछली बार जब यहां आया तो एक अंग्रेज आरती कर रहा था वह व्हीलचेयर पर था शायद बीमार होगा मैंने पूछा कहां से हो तो उसने फ्रांस बताया| मैंने पूछा डू यू लव इंडिया? उसने मुस्कुराकर दिल पर हाथ रख और बोला आई लव इंडिया वेरी मच|
 यहां हर साल 15 जून को बहुत बड़ा मेला लगता है| जिसमें देश और देशों से बहुत सारे लोग आते हैं| नीम करोरी बाबा जिनकी तस्वीर हर एक कार में  जरूर मिल जाएगी जब हम उत्तराखंड में पहाड़ पर जाते हैं तो|
चिरंजीवी बहुत हैरान हुआ उसने यह तस्वीर बहुत बार देखी वह जानता नहीं था यह कौन है? फिर से हम निकले बारिश हो रही थी कुछ तस्वीरें खींची सफर की याद ताजा रखने के लिए| बाहर आकर मसाला शिकंजवी पी | फिर बस का इंतजार करने लगे क्योंकि टैक्सी तो वापस जाने के लिए मिलने नहीं थी| पहाड़ सारी टैक्सी भरी हुई यहां  ही आती है नीचे| बारिश के मौसम से हवा में ठंडी हो गई थी| फिर बस आई और हम बैठ गए तो आगे पहुंचे तो इसके कारण कोहरा छाया हुआ था।  मुझे तो टीशर्ट में ठंड लग रही थी| आगे जाकर बस पंचर हो गई हमें ढाबे पर चाय पी| चाय में थोड़ा सा पानी डाल लिया था क्योंकि बस में चक्कर आने के कारण जी थोड़ा मचला रहा था|
 मेरा एक दोस्त है Nishant Arya वह हमेशा कहता है कि पेट्रोल की गाड़ी में ही सफर करो जब भी पहाड़ से जाना हो बस में अक्सर हालत खराब हो ही जाती है|
मैं सब यह बातें लिखता रहता हूं क्योंकि चाहता हूं कि जिंदगी की खूबसूरती का आनंद दूसरे लोग भी मनाएं| क्योंकि कहा गया है कलाकार किसी दुख हो या सुख को बहुत ही शिद्दत से जीता है| उसकी जिंदगी में छोटी-छोटी बातों का भी बहुत महत्व होता है|

फिर बस से पहुंचे हम हल्द्वानी मैदानी इलाके में आ चुके थे मौसम की गर्मी भी अपना रंग दिखा रही थी| फिर पहुंचे हल्द्वानी में लगे हुए बुक फेयर पर| वहां हमारी टीम का नाटक था पीटी हुई गोट।
वह  नाटक देखा फोटोग्राफी की|
हल्द्वानी में  कुल्हड़ वाली आइसक्रीम खाई। कुल्हड़ में आइसक्रीम खाने का अलग ही मजा है| फिर बस पकड़ी तो लगभग 9:30 बजे हम रुद्रपुर वापस पहुंचे| फिर मिलेंगे एक नई यात्रा इतने ही रंग में एक नए रंग ढंग में मैं आपका रजनीश विदा लेता हूं अब|
#rajneesh_jass
Rudrapur
Uttarakhand

Tuesday, September 24, 2019

The Book Tree, Book with Coffee, Rudrapur, Uttrakhand

 कोई भी सामाजिक क्रांति हो या अध्यात्मिक क्रांति उसकी शुरुआत सबसे पहले विचारों की क्रांति होती है विचारों में क्रांति,  किताबों से, परिचर्चा से ,ध्यान से होती है। तो किताबें वाकई बहुत महत्वपूर्ण होती हैं,  किसी क्रांति के लिए क्योंकि वो विचारों को सहेज कर रखती है। आज अगर हमारे बीच में लिओ टाल्सटाय, मैक्सिम गोर्की,  मुंशी प्रेमचंद , राहुल संक्रतायन शारीरिक रुप में नहीं है पर वो अपनी किताबों के ज़रिए , कहानियों के ज़रिए हमारे दरमियां हमेशा ही रहेंगे।

 रुद्रपुर में एक दुकान है
 "द बुक ट्री, बुक्स विद कॉफी"।  आप वहां बैठकर किताब पढ़ सकते हैं, कॉफी पी सकते हैं, चाय कर पी सकते हैं बैठकर परिचर्चा कर सकते हैं । किताबें  यँहा किराये पर भी मिलती हैं। ऐसी शुरुआत के लिए उनके नवीन चिलाना जी को बहुत-बहुत बधाई देता हूंँ।
 मंटो, अंतन चोखोव , गोर्की , टाल्सटाय,  राहुल संकतायन, बच्चों की कहानियों की किताबें  यँहा मिलती हैं।

 बुक ट्री रुद्रपुर में भगत सिंह चौक के पास ,डी 79,  पुराना अलाहाबाद बैंक वाली गली, मेन मार्केट में स्थित है।
अगर हम चाहते हैं हमारी आने वाली पीढियाँ ये जाने कि इतिहास में सिर्फ युद्ध ही नहीं हुए, बल्कि लिओ टाल्सटाय जैसे महान लेखक भी हुए हैं, जिन्होनें अपने पात्र के साथ बहस की,काफी पी। अन्ना केरेनिना , नावल लिखने के बाद जब उनकी नावल की पात्र अन्ना  केरेनिना रेलवे पुल से कूदकर जान दे देती है तो टाल्सटाय वँहा जाकर अफसोस करते हैं।
युद्ध और शांति , नावल उन्होने लगभग दस बार लिखने के बाद फाईनल किया।

तो खुद जाँए, अपने बच्चों को साथ लेकर जाएँ
उनको किताबों से रुबरू करवाएँ।

ऐसे ऐसे बुक शहर शहर में होने चाहिए।


धन्यवाद।
रजनीश जस
रूद्रपुर
उत्तराखंड
                ये किताबें आप पढ़ सकते हैं।
 वो कोना यँहा बैठकर आप किताब पढ़ सकते है।




Sunday, September 22, 2019

Journey to Railway Meuseum Delhi









 May. 2017



मई का महीना और दिल्ली जाना, तोबा तोबा। पर हमने ये तोबा करने की ठानी, और निकले दिल्ली को।
हम लोग रुद्रपुर से चले। ट्रेन में बैठने वाली  सीटें थी। मैं,मेरी पत्नी सिमरन,दोनों बच्चे रोहन और वंश। मई का महीना था तो गर्मी पूरी जवानी पर थी। पानी की दो बोतलें भी खत्म हो गई। मिनरल वाटर की बोतल खरीदी। एक बार तो बिना पानी के ऐसे हो गए थे, कि क्या कहें? ट्रेन रामपुर, मुरादाबाद, गाजियाबाद होते हुए दिल्ली पहुंची।
वँहा से हमने मेट्रो ट्रेन पकड़ी और राजीव चौक पहुंचे। वहां देखा एक नवविवाहित जोडा था। नवविवाहिता ट्रेन में पहले चढ़ी और  ट्रेन चल दी। उसका पति नीचे रह गया। वो ऐसा लग रहा था  कि  जैसे कोई प्रेमी प्रेमिका बिछड़ गये हों।
 ट्रेन के पीछे शीशे पारदर्शक थे तो  लग रहा था कि जैसे औरत कह रही हो कि ट्रेन रुक जाए और मैं अपने पति के साथ  मिल लूँ।
स्टेशन पर एक औरत उसके पति को समझा रही थी, कि अगली ट्रेन आ दो मिनट में आ जाएगी , घबराओ मत।
हमने अपनी ट्रेन पकडी और तिलक नगर पहुंचे।  वहां पर सबसे पहले नींबू पानी पिया। यह सारा इलाका पंजाबियों का है। घरों में गमले,गली में गुरुद्वारा है, घरों के बाहर बजाज चेतक स्कूटर खड़े हैं पुराने।
चाचा के घर पहुंचे तो खूब सारी बातें हुईं। रात का खाना सब खा कर हम सो गए और सुबह उठे। तैयार होकर निकल लिए, नेशनल  रेल म्यूजियम के लिए। हमने ओनलाईन टैक्सी बुक की।  टैक्सी वाले से बातचीत होने लगी, तो उसने बताया कि टैक्सी के प्रॉफिट का काफी हिस्सा  प्राइवेट कंपनी वाले ले जाते हैं। मैं यह सोच रहा था मैं जितना भी सिस्टम है सब आम आदमी को निचोड़ने के लिए ही शायद बना है क्या?
 म्यूजियम वहां पहुंचकर हमने टिकटें खरीदी।
 नेशनल रेल म्यूजियम चाणक्यपुरी दिल्ली में है। ये 10 एकड़ जगह में बना हुआ है। इसमें तरह-तरह के इंजन रखे हुए हैं । 1977 में बनकर तैयार हो गया था। सोमवार को छोड़कर बाकी दिन खुला रहता है।

 हर रोज लगभग 2.3 करोड़ लोग भारतीय रेल में सफर करते हैं। दुनिया का सबसे बड़ा चौथा रेलवे का सिस्टम है। नई दिल्ली के रेलवे स्टेशन का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में है, रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम ।
यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज में 4 ट्रेनों को दिया गया नाम दिया गया है दार्जिलिंग ,मुंबई सीएसटी ,नीलगिरी और कालका शिमला को।121,407  भारतीय रेलवे ट्रैक की टोटल लंबाई है। 60.14 बिलियन  डालर की कमाई 1 साल की है। 2000 पैसेंजर ट्रेन हर रोज़ चलती हैं।

अंदर वहां एंट्री करते ही महात्मा गांधी जी का बुत बना हुआ है,
वँहा पर लिखा हुआ है,आईँसटाइन का विचार, "आने वाली नस्लों को यकीन करना मुश्किल होगा कि महात्मा गांधी जैसे कोई इंसान इस धरती पर हुआ है।"

 हम आगे गए तो देखा कि वहां एक ऐयर कंडिशनर बिल्डिंग थी, अंदर गए तो बड़ी राहत महसूस हुई ।अंदर अलग-अलग तरह की मॉडल की रेल गाडी  और इंजन के  मॉडल थे। मैं कई जगह एलईडी स्क्रीन लगी हुई थी, जिसमें पुराने समय की  रेलवे की ब्लैक एंड वाईट वीडियो चल रही थी। उसमें रेलवे का ट्रैक बदलना, रेलवे का बहुत सारी जानकारी थी। एक मॉडल था जिसमें पहाड़  के बीच में ट्रेन दिखाई गई थी।
भारत का नक्शा था, जिसमें अलग अलग रेलवे स्टेशन  के स्विच लगे हुए थे। एक क्विज़ थी, वँहा से आवाज़ आती तो कुछ सेकिंड में भारत के नक्शे पर उस स्टेशन  को ढूंढकर  स्विच दबाना होता था। हमने वह गेम खेली। फिर बाहर निकले।  एक छोटी ट्रेन थी उसमें बैठकर एक लंबा चक्कर लगाया । इसके चलती हुई टवाय ट्रेन से बहुत सारे पुराने असली इंजन रास्ते में देखने को मिले, जो मिऊजियम ने संभाल कर रखे हुए हैं।
फिर हम लोग एक रेस्टोरेंट में गए वँहा भी एक बच्चों की छोटी सी ट्रेन थी, जो कि टेबल के साथ से गुज़र रही थी।

 अशोक कुमार का गाया हुआ गाना,
 " रेलगाड़ी रेलगाड़ी
छुक छुक करती रेलगाड़ी"
याद आ गया।

 हमने वहां कुछ खाया पीया और फिर बाहर निकले। पानी की बोतलें भरी। बहुत से लोग घूमने आए हुए थे। रेलवे के इंजन पास से जाकर देखा, वँहा ऊपर चढ़ना मना था। उस पर स्टिकर लगा हुआ था कि हर बार गल्ती करने पर एक आदमी का ₹500 जुर्माना है। वो भारतीय लोगों को जानते हैं कि कंहु  10 लोग मिलकर 50-50 रूपये इक्ट्ठे करके ये हर्जाना भर सकते हैं। यहां पर यह बताना मैं जरूरी समझूंगा कि मुझे इस म्यूजियम का पता फिल्म, "की एंड का" से लगा ।उस फिल्म में एक गीत की शूटिंग यहां हुई थी। उस फिल्म में भी टॉय ट्रेन है जिसमें की रसोई से जो खाना है डाईनिंग टेबल  तक की ट्रेन में ही से ही आता है।

 फिर ट्रेन का इक डिब्बा देखा कि जिसमें लोग घूम सकते थे। अंदर जाकर देखा तो  महात्मा गांधी का बुत बना हुआ है। उनके साथ जाकर फोटो खिंचवाई । वहां एक लैंडलाइन फोन भी है जिसमें महात्मा गांधी जी का एक संदेश है। हमने वह भी सुना। यह बहुत पुरानी रिकॉर्डिंग है ।सामने दीवार पर एक एलईडी स्क्रीन है इसमें महात्मा गांधी जी के संघर्ष की कहानी दिखाई जा रही थी।
  वहां पर एक लड़का पियूष मिला जिसने कि हमें वँहा के बारे में बताया। वो  वहीं पर नौकरी करता है । नीचे उतरकर हमने देखा वँहा फीडबैक बुक थी। उसमें कुछ पोस्ट कार्ड रखे हुए थे,  साथ अलग अलग रंग के स्कैच पैन थे। हमने उसमें,  बहुत बढ़िया लिखा और वो पोस्ट कार्ड डिब्बे में डाल दिया । कुछ साबुन जो आयुर्वेदिक ढंग से बने हुए थे वो भी वँहा सेल के लिए रखे हुए थे। हमन पीयुष से पूछा कि फिल्म की एंड का शूटिंग कहां हुई थी, तो उसने बताया कि वो हरे रंग वाले शेड के नीचे। वो हफ्ते में एक बार ही खुलता है। पर आज वह आज बंद था,शायद हमारी किसमत में नहीं था देखना।

हमने ट्रेन का डिब्बा देखा जिसमें जानवरों को एक जगह से दूसरी लिजाने के लिए बनाया हुआ था, उसमें हवादार खिड़कियां बनी हुई थी। अंदर लकड़ी के जानवर के बुत भी बने हुए थे।

 गुलमोहर के पेड़ पर फूल  से गर्मी के कारण  पूरे खिले हुए थे । लड़के लड़कियां घूम रहे थे,फोटो खींच रहे थे ।
तभी मुझे याद आया मैनें ₹500 टिकटों के लिए दिए थे,  पर बकाया वापिस लेना भूल गया हूँ । तो फिर मैं वापस वहां पहुंचा। हमारी टिकट देखकर, अपना कैश चैक करके उन्होने बकाया वापस कर दिया ।

वहां पर ओर घूमे  और फिर वापस आने के लिए टैक्सी की। फिर वापस घर को आ गए। रात का खाना  खाया फिर हम सो गए।

 फिर वापसी के लिए दिल्ली से रुद्रपुर की ट्रेन पकड़ी। रास्ते में हमें एक लड़का मिला जो कि ट्रेन में पढ़ रहा था। मेरे बड़े बेटे का पेपर थे। उस लड़के से खाली दो  पेज लिए और कुछ सवाल हल किए। लड़का सीए की तैयारी कर रहा था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था तो उसने मेरी वाइफ से बात की। वो मैथ की टीचर है तो उसमें उसको कुछ टिप्स बताएं। मेरी छोटी बेटे को बहुत भूख लगी थी,  तो उसने कहा मुझे भूख लगी है । तो लड़कों ने बताया कि एक सब्जी रोटी लाए हुए हैं। तो उन्होंने आलू की सब्जी बनाई हुई थी, उन्होंने रोटी सब्जी मेरे  बेटे को दी। मेरे बेटे ने रोटी खाई। उसका पेट भर गया। फिर भी मेरे कान में कहा, पापा इनका धन्यवाद  करो। मैंने वही शब्द दोहरा दिए। वही शब्द अपनी मम्मी के कान में जाकर दोहराए कि उन लड़कों का धन्यवाद करें। आज मुझे अपने गांव का लंगर याद आ गया, कि गुरुद्वारे में जब हम भूखे  को खाना खिलाते हैं तो वह कैसी दुआएं देते होंगे ?
उस लड़की ने बताया वो वैब डिजायनिंग का काम करता है।दिल्ली से नोएडा जाता है ।एक मकान के पाँचवे मारले पर एक कमरे में वो 3 लोग रहते हैं जो कि गर्मी में बहुत ज्यादा तप  जाता है। मैंने उसके कहा कि बोरी को गीली करके खिड़की पर टांग  लिया करो। उसने कहा ऐसा करने से मकान मालिक घर से बाहर निकाल देगा।
वो  सुबह 6 से 10 पढ़ने जाता है और  11:00 से 4:00 नौकरी करता है।
 पूरे 1 साल बाद अपने घर बिहार जा रहा था। मैंने उससे पूछा कि बिहार में सबसे ज्यादा आईएएस ऑफिसर हैं। तो उसने कहा कि हाँ।   पर वहां पर जातिवाद  बहुत है, जिसके कारण बिहार बहुत  पिछड़ा हुआ है।

 मैं देख रहा था वो लड़का एक कली की भांति है, और वो पूरी तरह खिलने की तैयारी कर रहा है। रोटी की तलाश उसको घर से कितनी दूर ले आई है, जैसे कि मैं भी अपने घर से दूर पंजाब के दूर रूद्रपुर में हूँ। मेरे गांव के दोस्त इटली और कनाडा जाकर जिंदगी का संघर्ष  कर रहे हैं।

 उसने बताया कि उसके घर वाले इसको आगे नहीं पढ़ा रहे थे तो कह थे कि पंजाब में जाकर कोई काम करो। घर वालों से लड़कर वो दिल्ली भाग आया था। मैंने देखा ऐसे कितने ही लोग हैं, जो घरों से पलायन करते हैं बड़े शहरों में जाकर रहते करते हैं, उनमें से चुनिंदा लोग बहुत कामयाब हो जाते हैं, फिर सुर्खियों में आ जाते हैं। बाकी लोग ऐसे ही जीवन बिता देते हैं।

आज मुझे दूरदर्शन पर 28 साल पहले आने वाला एक धारावाहिक याद आ गया,
 A tryst with People of India  के  डायरेक्टर सईद मिर्जा का डायलॉग याद आ गया, जिसमें वो कहते हैं, देश को चलाने वाले नेता नहीं होते,बल्कि  देश को चलाने वाले वो लोग हैं जो सुबह घर से निकलते हैं, बसों में ,साइकिल पर  फैक्ट्रियों के लिए, काम करते हैं, उनका जिक्र इतिहास के पन्नों पर कहीं भी नहीं आता।

ये सीरियल यूट्यूब पर देखने को मिल सकता है।
आज इतना ही।
फिर मिलेंगे इक किस्से के साथ।

आपका अपना
रजनीश जस
रुद्रपुर
उत्तराखंड

Saturday, September 14, 2019

#journey_to_poona_part_3

#journey_to_poona_part_3
#rajneesh_jass
27.09.2018 to 29.09.2018

आज मैं अपनी पुणे यात्रा का तीसरा और अंतिम पार्ट लेकर आया हूं । विक्रम ने मुझे बजाज के गेट पर छोड़ा। फिर वहां पूरे दिन में एक मीटिंग चली एक  कंपटीशन हुआ जिसमें में फर्स्ट आया।
वँहा मुझे अमित महाजन मिलें। पहले वो रुद्रपुर के बजाज ऑटो में ही थे। फिर उनकी ट्रांसफर हो गई थी पुणे ।उन्होंने मुझे लंच करवाया । हमने पंजाबी में खूब बातें की ।अपनी मां बोली में बोलने का अलग ही मज़ा  होता है।उन्होंने मुझे एक दिलचस्प बात बताई यहां पुणे में 22 से लेकर 26 डिग्री तक तापमान रहता है जिसके कारण लोगों को पसीना नहीं आता । तो लोग पसीने के लिए पुणे में लोग मिर्च बहुत ज्यादा खाते हैं ।

शाम को मैं पुणे के लिए वापस निकला। फिर SV Raju सर मिले। वो एक कंपनी में
Vice president  हैं। वह रुद्रपुर में हमारे साइकिलिंग क्लब में साइकिलिंग करने आते थे । उन्होंने 35 साल बाद हमारे साथ साईकिलिंग की थी।
फिर ट्रांसफर हो गया पुणे तो वो यंहा आ गए थे। मैं जैसे ही कार में बैठा तो मैंने देखा उन्होंने गले में कॉलर लगा रखा था । सर्वाईक्लक का दर्द  था उन्हें। बातें शुरू हुई तो मैंने उनको इसके बारे में बताया कि ये अक्युप्रैशर से ठीक हो सकता है ।फिर उन्हें  मैंने एक्यूप्रेशर के पॉइंट बताएं । अपनी  एक कविता सुनाई।वो बहुत खुश हुए।उन्होंने मुझे निमंत्रण दिया कि अगली बार जब भी पूना आओ तो उनकी कंपनी में एक मोटिवेशन का लेक्चर देना। मैंने पहले भी उनकी कंपनी में रुद्रपुर में मोटिवेशन के ऊपर 1 घंटे का लैक्चर दिया था। फिर होटल आ गया खाना खा कर सो गया ।सुबह 4:00 बजे की ट्रेन थी। मैं 3:00 बजे की रेलवे स्टेशन पहुंच गया ट्रेन आई तो चल दिए मुसाफिर। सामने  वाली सीट पर एक लड़का था फौजी ।वो लेह जा रहा था। साइड वाली सीट पर दो एक औरत अपनी बेटी के साथ थी । वह कहीं घूम कर वापस जा रही थी ।फिर 2 लोग और आ गए हम बातें करने लगे। बीच बीच में मैं देख रहा था कि वह औरतें आपस में बातें करती रहीं पहली हंसती रही, फिर वो रोने लगी। पुरानी सहेलियां थी अपने दुख सुख का आदान प्रदान कर रही थी। पुणे से दिल्ली 22 घंटे का सफर है ट्रेन में खाना पीना खाते रहे ।फिर सो गए जब दिल्ली पहुंचने वाला थे तो औरतों से हमारी बातचीत शुरू हुई। वो 5 औरतें थी  जो अपने बच्चों के साथ मुंबई , नासिक, शिरडी घूम कर वापस जा रही थी दिल्ली।वह दिल्ली पुलिस में थी और हरियाणा से थी। फिर उन्होंने बताया वह हर साल अपनी कंही घूमने जाती है।
( मुझे भी अपने कॉलेज के गेट टुगेदर याद आ गई)
 एक औरत अपने पति से बहुत दुखी थी। वह दूसरे को कह रही थी 30 साल हो गए उसे झेलते झेलते। उसकी सहेली  का बेटा जवान हो रहा था ,तो उसने बोला मेरे को भगा के लेजा । मजाक कर रही थे, तेरी मां जाने नहीं देगी।

 हम कहते हैं औरतें भावुक होती है, रोती हैं पर ना रोने वाले दिल तो पत्थर ही हो जाते हैं ,जैसे आदमी है। कुछ दिनों पहले पता पड़ी द बुक ऑफ मैन बाय ओशो याद आ गई। उसमें एक आदमी कहता है कि मुझे कभी कभी रोना आता है, तो ओशो ने बड़ी खूबसूरती से जवाब दिया, रोना अच्छी बात है। वैसे भी आदमी 40 %  औरत  ही है और 60% आदमी। जब भी हम करुणा , प्रेम से भरते हैं तो हम औरत हो जाते हैं। रोने से हमारे मन के कई दुख, चिंताएँ कम हो जाती हैं। परमात्मा ने औरत और आदमी में टीयर गलैंड बराबर बनाएं हैं, उसका कुछ तो उपयोग होगा? रोने के कारण औरतें  बहुत  कम पागल होती हैं, आदमी से औसत 5 साल ज्यादा उम्र जीती हैं, उनमें आदमी से ज्यादा सहनशीलता  होती है।

औरतों की तरफ देखकर सोच रहा था कि हम आदमी भी कितने खुदगर्ज होते हैं कि जो खुद तो अकेले घूम लेते हैं और अपनी पत्नियों कोत् अपनी  सहेलियों  के साथ घूमने नहीं देते ।उनको भी मन की भावनाएं व्यक्त करने के लिए दूसरे से बातें करने का हक है।
 दिल्ली पहुंचे दिल्ली से फिर बस पकड़ी और फिर मैं रुद्रपुर आ गया। फिर आप को लेकर चलूंगा एक नयी  यात्रा पर। तब तक अलविदा।


#journey_to_poona_part_2

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#story_of_success
#common_man_struggle
27.09.2018

सुबह उठा तो तैयार होकर बजाज जाने के लिए निकल पड़ा ।एक ऑटो किया उससे बातचीत शुरू हुई तो वह भी दिलचस्पी से बातें करने लगा। उसका नाम  Vikram Chandrakant Motkar था, छोटा नाम विकी ।साउथ इंडियन टाइप मछें , स्मार्ट सा लड़का। वो अपनी कहानी सुनाने लगा। 7 साल की उम्र में उसके फादर उसे  हमेशा के लिए छोड़ कर चले गए थे। उसकी जिंदगी का संघर्ष वहीं से शुरू हो गया। उसने टाटा की कंपनी ज्वाइन करी जिसमें वह सफाई का करने लगा। उसके साथ के पढ़े हुए लड़के लड़कियां उसी ऑफिस में अफसर थे। वो उसको देख कर बहुत दुखी होते ,पर विक्की अपने काम में खुश रहता। सुबह सुबह दफ्तर में अपना सफाई करके और सब की  पानी की बोतल  में  पानी भरकर एक जगह पर बैठ जाता ।
एक दिन उस से एक काँच का गिलास टूट गया। गिलास टूटने का मतलब कि उसको फाइन होना था।  HR से फोन आया तो वहां डरता डरता पहुंचा।  वो बोला, मुझे जुर्माना कर दीजिए कि मुझसे गिलास टूट गया है। पर वो बोले, तुम यह बताओ कि जब तुम को दफ्तर में काम करने के बाद अलग से बैठकर क्या लिखते हो?  हमने सीसीटीवी में देखा है विक्की ने जवाब  दिया, कि मेरी माँ कहती है, कि अकेला मन शैतान का घर होता है तो उसको किसी काम पर लगा कर रखो। तो मैं एक कापी पर राम राम का नाम लिखता हूँ ।
उन्होंने कहा तुम्हें कल इस काम पर आने की जरूरत नहीं है ।विक्की घबरा गया, क्योंकि ये नौकरी उसके लिए बेहद ज़रूरी थी।
 उन्होने कहा, कल से तुम दफ्तर का एक दूसरा काम करोगे। कोरियर बांटना, फोटो स्टेट करने और ऐसे ओर  सारे काम। तुम्हारी सैलरी बढ़ गई है ।यह काम करने के लिए तुम्हें एक मोटरसाइकिल भी दी जाती है। वह बहुत खुश हो गया ।
फिर उसको एक लड़की से प्यार हो गया जो कि उससे ज्यादा पढ़ी लिखी थी। लड़की के पिता को वह लड़का पसंद नहीं था। विकी ने अपने दफ्तर में बात की तो सारा स्टाफ उसका लड़की के घर पर पहुंच गया ।लड़की के पिता बड़े हैरान हो गए कि सभी लोग कारों में उसके घर पर पहुंचे थे ।जब उन्होंने विकी के बारे में उनको बताया तो वह बहुत भावुक हो गए थे। वहां की एक प्रथा है  जमाई राजा के पैर लड़की की माँ पानी से पैर धोती है जो पहली बार घर आते हैं । फिर उसकी शादी हो गई उसकी बीवी ने उसको बहुत प्रेरित किया और आगे पढ़ने के लिए उसकी मदद की। कुछ महीने बाद उसके ससुर की एक जगह डेथ हो गई है ।वह मुझसे पूछ रहा था कि मुझे एक सवाल का जवाब चाहिए ,अगर कहीं परमात्मा है तो वह उससे वह हर प्यारी चीज क्यों छीन लेता है जो उसको अच्छी लगती है?
 मेरे पास भी इस बात का कोई जवाब नहीं था।
वो पंडित हरिप्रसाद चौरसिया जी का बांसरी वादन भी सुनता है।
 फिर वह बताने लगा कि उसके पास तीन-तीन माँ है ,एक अपनी मां, एक मौसी और सासु माँ। मौसी का बेटा, जिसके पास बहुत पैसा है पर अपनी मांँ को वह देखता नहीं है, उसकी देखभाल भी विक्री ही कर रहा है।
 विक्की का एक सपना है कि उसका एक मकान हो उसको बहुत बड़ा मकान नहीं चाहिए। हम सबके भी कुछ ऐसे ही कुछ सपने हैं ।
मैंने दिल से दुआ की,  परमात्मा इसका सपना जल्दी पुरा कर।
वह बातें करता करता है बता रहा था कि सर जब जैसे - जैसे ही मंजिल करीब आ रही है तो मैं सोच रहा हूं कि आप थोड़ी देर में मेरे से जुदा हो जाओगे , जो कि उसे बिल्कुल अच्छा  नहीं लग रहा है।
फिर उसने रास्ते में मुझे नारियल पानी पिलाया। मैं पैसे देने लगा वह बोला ,अतिथि देवोभवः। वो Dog Breeding का काम करता है, फिर पार्ट टाइम आटो , Fruit Business और  साथ में नौकरी।

"13 साल कम्प्लिट  इन टाटा....

ऑफिस बॉय हाऊस किपिंग से  स्टार्ट किया आज कस्टमर सर्व्हिस सिनियर एक्सिकेटीव्ह..."

उसने मेरी मंजिल पर मुझे छोड़ा और फिर आगे बढ़ गया । उसने मेरा फोन नंबर लिया और फेसबुक पर मेरे को ज्वाइन किया ।शहर में मेट्रो ट्रेन बन रही है जिसके कारण तेरी जगह पर ट्रैफिक जाम भी हो रहा है। अलविदा शाम को भी एक किस्सा हुआ उसको फिर कहीं शेयर करूंगा दोबारा से अपनी यात्रा में।
#rajneesh_jass
Rudrapur
Uttrakhand

#journey_to_poona_part_1

#journey_to_poona_part_1
25.09.2018







आइए चलते हैं एक नई यात्रा पर। मुझे ऑफिशियल टूर पर पूना जाना था। बारिश  इतनी हो रही थी, कि पूछो मत ।
दुकान से कुछ बेसिक मेडिसिन  खरीद ली। इस बार यात्रा में एक नया एक्सपेरिमेंट किया गया, एक बनियान सिलाई गई जिसको पंजाबी में शायद पतूही कहते हैं ।उसके अंदर एक छिपी हुई जेब होती है, जो कि बहुत गहरी  होती है,  दो जेब सामने । यह पुराने समय में हमारे बुजुर्ग पहन के सफर करते थे।
बेटा रोकन बारिश में जाकर नमकीन के पैकेट लाया।  सिमरन  { मेरी धर्म पत्नी } ने सुबह के लिए परांठे पैक  किए, साथ गुड़ और सौंफ भी।
 जैसे तैसे करके रुद्रपुर रेलवे स्टेशन पहुंचा। ट्रेन रानीखेत एक्सप्रेस पकड़ी। दो-तीन लोग और थे। उन्हें दिल्ली जाना था। वह मजाक करने लगे भाई साहब ,आप उठ गया तो उन्हें जगा देना। अगर हम  उठ गए तो हम आपको जगा देंगे। अगर कोई ना जागा, तो जैसलमेर पहुंच जाएंगे वहां घूम आएंगे। फिर सब सो गए रात को।  सुबह पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंचा।
सुबह 4:00 बजे रेलवे स्टेशन बहुत सुंदर लग रहा था ।उसको लाइटों से ऐसे सजा रखा था, जैसे को दुल्हन ने दूल्हे के इंतजार में श्रंगार कर रखा हो। वहां से मैं नई दिल्ली आ गया। वो स्टेशन भी ऐसे ही सजा हुआ था। फोटो वहां पर  खींची ।इंतजार होने लगा  अगली ट्रेन का ।ट्रेन अपने निर्धारित समय से एक घंटा लेट थी ।नाश्ता किया ।  स्टेशन  के बाहर थोड़ी देर घुमा फिरा और फिर आकर बैठ गया ।ट्रेन आई तो चल दिए मुसाफिर मंजिल की तरफ । मैं हिंदी में अपने साथियों के साथ बात करने लगा ।वह बोले हम पंजाब से जाकर पूना रहने लगे हैं कोई बैंक एम्पलाई थे फिर तो हम शुरू हो गए भाई पंजाबी में। उसे खूब बातें हुई किस्से कहानियां पॉलिटिक्स बहुत कुछ । रात आई सो गए ।फिर अगले दिन मैं पुणे पहुंचे बहुत थक गया का फ्रेश हुआ नहाया खाना खाया।
नेशनल होटल रेलवे स्टेशन के बिल्कुल पास यह । बहुत पुराना होटल है बहाउल्ला इनके गुरु है जिनके  200 साल ही मना रहे हैं।
 शाम हो चुकी थी मैं निकला फिर थोड़ा सा टहलने ।कोरेगांव पार्क गया वह ओशो आश्रम बंद हो चुका था ।उन्होंने बताया कि उसे पार्क खुला हुआ है तुम्हें वही चला गया। वहां बहुत पुरानी पुरानी पेड़ थे ,बांस के और बहुत नायाब किस्म के फूल थे । युगल प्रेमी  एक दूसरे के हाथ में हाथ पकड़े घूम रहे थे ।महात्मा बुद्ध की दो मूर्तियाँ
 थी,  जो कि बेहतरीन नक्काशी  गई थी। फिर टहलता हुआ बाहर निकला तो देखा सड़क के किनारे एक साइकिल पड़ा था। यहां पर किराए पर साइकिल मिलते हैं ।उसके बार कोड को  मोबाइल से स्कैन करो और आप उसको पैसे पर करो तो ताला खुल जाता है ।यहां तक आपने जाना है जाएं और फिर वहां ताला लगा दें। पूरे शहर भर में ऐसी साइकिल पड़े हुए हैं ।एक अच्छी शुरुआत है ।

तभी बारिश होने लगी और आटो पकड़ के होटल आ गया ।रात का खाना खाया ।तो फिर होटल के मैनेजर से बात होने लगी उन्होंने अपने गुरु बहाउल्ला के बारे में बताया।
यह कॉम पूरे विश्व भर में है 5000000 लोग हैं।  यह लोग पूरे विश्व को एक मानते हैं ।
दिल्ली में लोटस टेंपल बनाया है ।उन्होंने मुझे कुछ किताबें पढ़ने के लिए दी। दीवार पर बहुत ही खूबसूरत  कलाक्रति थी। उन्होंने उसके बारे में बताया है कि यह भी एक नक्काशी की गई है।
मुझे सुबह उठकर कंपनी के काम जाना था तो फिर मैं आकर सो गया।
आगे है,  एक दिलचस्प आदमी के संघर्ष की कहानी।
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Rudrapur
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