Friday, December 7, 2018

Poona journey with history and spirituality

 4.12.2018 to 8.12.2018
रेल एक  चलते -फिरते मकान की तरह होती है: जिसमें  लोग चढ़ते हैं, बैठते हैं ,बातें करते हैं, दोस्त बनते  हैं , किस्से बनते हैं, सफर करते हैं।

रेल से पुणे दोबारा जाना हुआ मुझे मेरा। इस बार  मेरे साथ मेरी फैक्टरी से नेमचंद भी थे।
पुण, महाराष्ट्र  पहुँच कर  हम विक्की के आटो में  शनिवारवाड़ा देखने गए। विक्की  बहुत दिलचस्प इंसान है जिसके बारे में मैं पिछली बार बता चुका हूँ।


 किला मराठों ने अंग्रेजो के खिलाफ 1740 में बनाया गया था । बाहर बहुत बड़ा गेट है और अंदर घुसते ही एक पुरानी तोप पड़ी है । बड़े-बड़े पत्थरों को काटकर चबूतरानुमा बनाया गया है । ऊँची ऊँची दीवारें हैं ,उनमें बहुत छोटे छोटे झरोखें हैं, जो कि सिपाहियों के लिए थे शायद। किले के बाहर , छत्रपति शिवाजी महाराज की एक बहुत ऊँची प्रतिमा है ,जिसमें वो घोड़े पर सवार हैं।
फिर हमने श्रीमंत  दगडुशेठ गणेश मंदिर देखा, उसमें  गणेश की बहुत सुंदर प्रतिमा  है। कहते हैं कि मंदिर में सोने और चांदी की नक्काशी है। बाहर दीवारों पर हाथी की खूबसूरत नक्काशी है । मंदिर में चढावे  के लिए खूबसूरत फूल मिलते हैं ।
फिर आगा खान पैलेस देखा।महात्मा गांधी जी को यंहा बन्धक बना कर रखा गया था। महल को अब संग्रहालय में बदल दिया गया है। महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी की बहुत सारी प्रतिमाएं हैं और बहुत सारी पुरानी तस्वीर में जिसमें वह बहुत सारे लोगों से मिल हैं, जैसे रविन्द्र नाथ टैगोर , आइँसटाईन के साथ । महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी की समाधि भी यँही है । हालांकि महात्मा गांधी जी की समाधि राजघाट दिल्ली में है । यहां पर बरगद के बहुत सारे पुराने पेड़ हैं,  जो कि बहुत पुराने हैं।
कुछ लोग मिले जो कि गुरु नानक देव जी के जपुजी साहब की पहली पौड़ी इक ओंकार सतनाम आप सुन रहे थे पर वह मराठे थे (जो रंग दे बसंती फिल्म से है)  मैंने पूछा हूं आपको ये समझ में आता है ? तो उन्होंने कहा बहुत कम आता है, पर बहुत अच्छा लगता है। मुझे भी लगा कि परमात्मा का नाम किसी भी भाषा में लिया जाए जिसके मन में श्रद्धा हो गई उसको समझ आ जाता है  चाहे उसे वह भाषण ना आती हो । फिर मैंने  उनको उसका मतलब समझाया।
एसवी राजु सर मिले। उन से मंत्रों और मुद्रा के बारे में बात हुई। पहले साईंस ने खोजा  सार कुछ  ठोस है , तरल है और गैस है। फिर बात आई कि सब कुछ ऊर्जा है। अब खोजा गया  कि सब कुछ तरंग
 (wave) है। जो हमें स्थूल नज़र आता है,  वह भी एक जगह  तरंगों का इक्ट्ठा हो जाना है।
हमें खास मुद्रा में बैठकर किसी खास मंत्र का उच्चारण करते हैं तो उसका हमारे शरीर पर प्रभाव होता है ।

ऑफिशियल काम हमने निपटाया। फिर अगले दिन सुबह ओशो आश्रम पहुंचा । वहां पर बुक स्टॉल पर माँ प्रतिभा (ओशो ने अपने सन्यासियों में औरत को माँ कहा  और आदमी को स्वामी ) से मुलाकात हुई जो कि 1984 से वंही रह यही हैं और वंही आश्रम  में काम कर रही हैं। उनको ज़ुकाम था। मैंने उसमें से परमिशन लेकर उनका अक्युप्रैशर  किया। ओशो की किताबें खरीदी, पलटू वाणी और बुक्स आई हैव लवड।
एक स्कूटर जो 1965 का माडल का था ,उस पर तस्वीर खींची। विक्की के आटो  में भी। वो हमेशा की तरह बिंदास था। इस बार उसकी लुक पूरी बदली हुई थी ।
 फिर वापस ट्रेन पकड़ कर वापस निकला।लोनावला होते हुए गुजरात से दिल्ली आए ।लोनावला  बहुत ही खूबसूरत है ,पहाड़ों से निकलती हुई ट्रेन। शायद इधर खंडाला भी है, यंहा बहुत सारी हिन्दी फिल्मों की शूटिंग होती है। बहुत ही मनमोहक दृश्य थे। इसके लिए किसी दिन लग से घूमने आना होगा ।
सुबह दिल्ली पहुंचे। तो दिल्ली से ट्रेन पकडी।
सामने सीट पर एक बुजुर्ग आदमी का गाने सुन रहा था
दिल का खिलौना हाय टूट गया
कोई लुटेरा के लूट गया
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छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
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तू चीज़ बड़ी है
मस्त मस्त
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 मैंने कहा आप बहुत खूबसूरत गाने सुन रहे हैं जवानी के समय में आप बहुत रोमांटिक रहे होंगे? उन्होंने कहा ,नहीं ऐसा नहीं है। मेरी पत्नी मुझे छोड़ कर चली गई एक ऐसी जगह जहां से कोई वापस नहीं आता।
एक बेटी थी, उसकी शादी हो गई,  अब बिल्कुल अकेला हूँ तो ये गीत सुनता रहता हूँ। ऐसे लोगों से मिलकर लगता है,  ज़िंदगी बहुत कुछ सिखा देती है।
उनका नाम  दिनेश था ,उम्र 63 साल। वो मुझे अपना मोबाइल दिखाने लगे।

एक शेर याद आ गया
ना दोस्त के लिए
ना दुश्मनी के लिए
वक्त रुकता नहीं
किसी के लिए
# कवि नामालूम

एक चीज का फर्क मैंने देखा हमारे इधर नॉर्थ में रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकिल काफी है उसके मुकाबले पुणे में हमें एक ही दिखाई दिया ।लोग वहां साइकिल चलाते हैं । कई बुजुर्गों को मैंने साइकिल चलाते हुए देखा । पेड़ों से बहुत प्यार है ।उनको जो पेड सड़क के किनारे पर हैं उन पर रेडियम के रिफ्लेक्टर लगा रखे हैं जो के आने जाने वाले उनसे  ना टकराएँ।
हम जब लोनावला थे वहां पर कोई प्रदूषण नहीं था, पर जैसे ही गाड़ी के मुंबई के बाहर आई तो पॉलिथीन का ढेर , ऊंची ऊंची बिल्डिंग दिखाई देने लगीं। बस यही फर्क है परमात्मा की बनाई दुनिया और आदमी के बनाए संसार  में।

इस बार के सफर में चार लोगों को एक्यूप्रेशर सिखाया।
इस बार इतना ही।
फिर मिलेंगे एक नए किस्से के साथ।
तब तक के लिए आज्ञा दीजिए।
आपका अपना।
रजनीश जस
रूद्रपर
उत्तराखंड

Saturday, November 24, 2018

Tea With Rajneesh Jass 25.11.2018

अच्छा है दिल के पास रहे पासवान -ए अक्ल
पर कभी-कभी इसे तन्हा भी छोड़ दीजिए
# नामालूम

आज सुबह साइकिलिंग के लिए निकला। सुरजीत सर सैर करते हुए मिल गए । फिर हम पहुंच गए अपने चाय के ठिकाने पर ।
सर ने चाय के साथ फैन का ऑर्डर दिया। हम चाय पीने लगे । राजेश सर भी आ गए ।चाय के साथ फैन खाकर कॉलेज के दिन याद आ गए। और बातें शुरू हो गई बच्चों की , स्कूल की ,जिन्दगी की । मैंने कहा कि  जो लोग हमें धोखा देते हैं वह हमें जिंदगी का कुछ सबक सिखाना चाहते हैं। हमें अपने बच्चों को ये बताना है कि दुनिया में सिर्फ सीधे साधे लोग ही नहीं हैं:  बल्कि यंहा पर चोर भी हैं , ठग भी हैं। हमें हर तरीके  के लोगों  के साथ  रहने  का हुनर आना चाहिए।
जैसे एक कहानी ओशो कहते हैं कि एक शिष्य अपने गुरु के पास गया । गुरु ने कहा अगर तुम सचमुच में कुछ सीखना चाहते हो तो यह परीक्षा बहुत कठिन है। शिष्य ने हां कर दी । गुरु ने कहा, तुम्हें हमेशा जागते ही रहना है वह कभी भी डंडे से पिटाई  कर सकता है। एक  दिन शिष्य खाना खा रहा था गुरू ने पीछे से डंडे डंडे से पिटाई कर दी । फिर धीरे-धीरे वो शिष्य  सहर वक्त सावधान रहने लगा। गुरु के कदमों की आहट बाद उसे पहचानने लगा। समय बीतता गया। एक दिन उसका गुरु सर पर लकड़ियों के गठरी उठाए उठाए हुए आ रहा था किसी ने सोचा कि रोज मुझे तंग करता है आज देखते हैं ये खुद कितने पहुंचे हुए हैं  ।तो उसने झूठ दूर से ही एक डंडा मारा । गुरु ने लकड़ी की गठरी में से एक लकड़ी निकाली और उसके डंडे को साइट पर मार कर फेंक दिया । जिसे देख कर शिष्य बहुत हैरान हुआ । शिष्य ने पूछा ,आपको कैसे पता चला?  तो गुरु ने कहा जब तुम्हारे मन में यह विचार उठा ही था  तो तुरंत मैंने वह बात सुन ली थी ।

सुरजीत  सर  एक बात सुनाई कि उनके स्कूल में भी एक लड़का था जो पढ़ने में एवरेज था। उसे ड्राइंग का शौक था। स्कूल टीचर उसे उसके शौक  से मिलते जुलते काम सौंप देते थे जो कि उसके ड्राइंग के पैशन को पूरा कर रहे थे । फिर वो दिल्ली यूनिवर्सिटी चला गया ।अब उसकी एग्जीबिशन दुनिया के बहुत सारे देशों में लगती रहती है।
 तो गुरु का काम है के शिष्य के अंदर जो गुण है, उसे तराश कर बाहर निकालने में मदद करना।

मेडीटेशन, अमेरिका और भारत की संस्कृति पर लंबी बातचीत हुई।
राजेश सर से भी गपशप हुई। धूप में खड़े  होकर विटामिन डी लिया। फिर घर वापस ।
आज के लिए अलविदा ।
फिर मिलेंगे ।

Saturday, November 17, 2018

Cycling in Nature 18.11.2018

आइंस्टाइन ने कहा है , जीवन जीने के दो ढंग है
एक तो ये है  कि कुछ भी करिश्मा नहीं,
दूसरा ढंग  ये है  कि हर शै करिश्मा है ।

मेरे लिए :  सुबह उठना,  साँस लेना, दिल का धड़कना, सूरज को देखना ,साइकिलिंग करना ,नई नई बातें सीखना , आपको बताना भी करिश्मा है ।

आज सुबह उठा । गरम पानी में हल्दी डालकर पी,  लहसुन की फाँक निगली और चल दिया साईकिलिंग पर।
आप सोच रहें होंगे कि हल्दी?
जी हाँ,  हल्दी हमारे शरीर में से गंदगी साफ करके हमारे अंदर रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा करती है। लहुसन की फाँक दिल के लिए बहुत अच्छी रहती है।
फिर पहुंच गया स्टेडियम।
 हेम पंत अपने दोनों बच्चों के साथ आए हुए थे और पंकज अभी पहुंच गया था।
फिर शुरू हुई बातें,  गपशप।
 अमेरिका में एक मोटिवेशनल गुरु है रोबिन शर्मा । उन्होंने क्लब बनाया है "5:00 a.m. क्लब" । उसमें वह बताते हैं कि सुबह उठ कर हम अगर घूमते हैं कुछ नया करते हैं तो हमें जिंदगी का नया अनुभव मिलता है।  लोग जो आलसी होते हैं सुबह उठते हैं और दफ्तर चले जाते हैं । उनकी ज़िंदगी मशीन जैसी हो जाती है।
पर जो लोग जिंदगी में कुछ नया अनुभव करना चाहते हैं, सुबह उठकर सूरज को देखते हैं,
 पेड़ों में पत्ते ,फूलों को देखकर  मुस्कराते हैं
 ठंडी गर्म हवाओं को महसूस करते हैं।
 रॉबिन शर्मा ने एक बार ये भी बात कही थी, अगर दिन में हम एक घंटा टीवी कम देखें, तो पूरे साल भर में 365 घंटे हमारी जिंदगी के बढ़ जाएंगे , बिना कुछ भी किए। उन 365 घंटों का हम क्या उपयोग करते हैं  ये हमारे ऊपर निर्भर करता है। अगर हम उसका सदुपयोग  करते हैं,  अपने आप को तराशने में लगाते हैं तो हमारी जिंदगी पूरी तरह से बदल सकती है ।

मैंने यह बात हेम पंत से की तो उन्होंने कहानी सुनाई।
 एक किसान था, उसकी बहुत सारी जमीन थी और उस में बहुत सारे लोग काम करते थे। पर वह कभी उनको देखने नहीं जाता था।
धीरे -धीरे खेती कम होने लगी उसे घाटा पढ़ने लगा। फिर उसको एक संत मिले। उन्होंने  बताया कि अगर वह सुबह सूरज चढ़ने से पहले एक सुनहरी चिड़िया को देखेगा तो उसके काम में बढ़ोतरी हो जाएगी । फिर वह सुबह उठकर खेतों में चक्कर लगाने लगा। उसने देखाककि खेतों में से अनाज चोरी हो रहा है, लोग काम नहीं कर रहे हैं ।उसने फिर लोगों को डांटना शुरू किया जो उसकी खेतों में मजदूर थे ।धीरे-धीरे वो खेती करने लगे और वह फिर दोबारा से अमीर हो गया।


उसने उस संत से पूछा कि वो सुनहरी चिड़िया तो मिली नहीं।
उस संत ने जवाब दिया,  सुबह उठना ही सुनहरी चिड़िया से मिलना था।
😊😊

 यह कहानी एक प्रतीक है हमें सिखाने के लिए।
 फिर पंकज से बातें हुई स्पेस के बारे में,  इस ब्राह्मंड की कैसे उत्पत्ति हुई? ऐसी सोच कर हम हैरान हो जाते हैं कि इस ब्राह्मण का कोई अंत नहीं है । यह पृथ्वी ब्राह्मंणड में पूरे मिट्टी के तिनके के बराबर है और उस ब्राह्मांड में हमारा अस्तित्व ना के बराबर ही है। यह भी क्रिश्मा ही है जो पहाड़ों में बर्फ पड़ती है तो वहां से ठंडी हवाएं नीचे मैदान में आकर ठंड कर दी है। जिंदगी को महसूस करने की शक्ति हमारी जितनी ही बढ़ती जाती है, हम उतना ही कुदरत के आगे नतमस्तक होते जाते हैं और उसका आनंद मनाते हैं ।

जापान में रह रहे भारतीय कवि और लेखक परमिंदर सोढी की एक हाईकु कविता है
"आएंँ अपने ही होने
का जश्न मनाएँ
कितना खूबसूरत है
हमारा होना"


आज के लिए इतना ही। फिर मिलूंगा,
 एक नए  किस्से के साथ।
 तब तक के लिए अलविदा।
#rajneesh_jass
Rudrapur
Distt Udham singh Nagar
Uttrakhand 

Sunday, November 11, 2018

#memories_goverment_polytechnic_bathinda_part_one

#कुछ_खट्टी_मीठी_यादें -1

बठिंडा पालीटेकनिक (1993-96) में नवतेज से दोस्ती हुई। उसका गांव घर होशियारपुर से कुछ दूरी पर माहिलपुर के पास सकरूली है।  मैं अक्सर उसके गांव जाता था। मुझे शौक था, पिछले दिन की सूखी रोटी मक्खन के साथ खाता। जब भी मैंने जाना तो नवतेज मजाक में अपनी मम्मी से कहता, "जितनी भी पुराने दिनों की रोटियाँ हैं,गांधी (मेरा होस्टल का नाम)  को दे दो, मक्खन के साथ।आंटी उसे टोक देते," कुछ शर्म करो तेरा दोस्त है।"

आज मक्खन के साथ रोटी खा रहा था तो ये याद आ गया।ये दुनिया के सबसे लजीज़ खाने में से एक है।
उसके घर के पीछे एक पेड़ पर बहुत सारे मोर थे,  अक्सर उनकी छत्त पर आ जाते। मुझे बहुत पसंद था वो पेड़। वो कहता "तेरी शादी कर देते हैं मोरनी से, यंही पेड़ पर रह जाना। "
बस ऐसे मजेदार मजाक होते।
शाम को सूरज छिपते ही चुल्हे पर बनी ताजी- ताजी रोटियाँ खाते। आठ बजे तक तो हम सो जाते।
खेत में जाकर मूली, गाजर खाते। भैंस को नल्के से पानी पिलाते।
ज्योति,  उसका छोटा भाई। उसे शौक था उसके पास  बुलेट मोटरसाईकल हो और वो उसे पूरे गाँव में घुमाए।

मैंने एक बार उनके नलके की मोटर खोल दी। फिर वो मुझसे दोबारा  फिट ना हुई।
मैं अपने घर  पुरहीरां,  होशियारपुर आ गया। जब अगली बार नवतेज के गांव गया तो नवतेज  जाते ही बोला, "और जो कुछ मर्जी करना पर नल्के को हाथ मत लगाना। पिछली बार नल्का माहिलपुर जाकर ठीक करवाया। तुम बहुत पंगे लेते रहते हो।"😁😂

सुबह को अंक्ल आंटी सुबह 4 बजे उठ जाते। सारा काम निपटा देते।
टेलीफोन पास की करियाने की दुकान पर आता था।  उस वक्त मोबाइल नहीं थे।
फिर नवतेज की शादी हो गई वो आस्टरेलिया चला गया।  मैं फिर भी उसके गाँव जाकर रहने आता।
नवतेज के आस्टरेलिया जाने से पहले बहुत किस्से हुए। वो अगली बार।
चलता।
बाकी अगली बार।
11.11.2017

#rajneesh_jass
Rudrapur
Distt Udham Singh Nagar
Uttrakhand
India

Sunday, October 28, 2018

Rudrapur Cycling club 28.10.2018

सुबह साइकिलिंग करने निकला।देख रहा था कि सर्दियों के जो कपड़े थे ,वह भी अब अलमारी से बाहर आ गए हैं, मौसम में हल्की सी ठंडक जो आ गई है। आज सुबह हेम पंत ने बच्चों के साथ आए हुए थे, Pankaj Batta, Pankaj Sharma भी आए थे। हेम पंत ने कचनार का फूल दिखाया ।
उसे देखकर "बूंँद जो बन गई मोती" फिल्म का गीत याद आ गया
ये किसने फूल फूल पे किया श्रृंगार है
ये कौन चित्रकार है
ये कौन चित्रकार
कहते हैं उसके पत्ते बड़े स्वादिष्ट होते हैं।
मैं कई बार आने में आने से कर जाता हूं लेट हो जाता हूं तो पंत जी ने वह कहानी सुनाई। एक मंदिर में पुजारी था ।उसे सुबह उठकर 5:00 बजे मंदिर में घंटी बजाने होती थी और शंख  बजाना होता था। गर्मियों तक तो सब ठीक-ठाक रहा , पर जब सर्दी आने लगी तो पंडित जी को सुस्ती पड़ गई। उन्होंने एक तरकीब निकाली। उन्होंने शंख और घंटी अपने पास ही रख ली । सुबह 5:00 बजे उठते शंख  और घंटी बजाते और फिर सो जाते । गांव वाले भी कहते देखो कितने उद्यमी पंडित है ।
अब सर्दियां आ जाएंगी और गर्मियों के पंछी गहरे बिलों में जाकर गहरी नींद सो जाएंगे जिसको शायद हाइपरनेशन बोलते हैं।
कल करवा चौथ था हुस्न पूरे अपने शबाब पर था सभी औरतों ने व्रत रखे अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना की।
आज के लिए अलविदा। फिर मिलेंगे, एक नए किस्सेके साथ।
28.10.2018
#rajneesh_jass
Rudrapur
Udham Singh Nagar
Uttrakhand

Wednesday, October 24, 2018

Wonderful School Singhrauli

मध्य प्रदेश में ऐसा स्कूल यहां बच्चे दोनों हाथों से लिखते हैं । स्कूल के प्रिंसिपल वी पी शर्मा, जो कि फौज से रिटायर हैं। स्कूल का नाम " वीणा वादिनी स्कूल "। Budhela,  Distt Singrauli ।
न्यूरोलोजिस्ट ने बताया कि उनके दोनों दिमाग चलते हैं। जैसे कि हमारे ब्रेन के दो  हिस्से होते हैं , एक राइट और एक लेफ्ट ब्रेन। दिमाग का दायाँ हिस्सा शरीर के बाएं हिस्से को कंट्रोल करता है। दिमाग का बायां हिस्सा शरीर के दाएं हिस्से को कंट्रोल करता है ।बायाँ दिमाग : तर्क, मैथ को कंट्रोल करता है। 

बाएँ हाथ से लिखने वाले को डाँट कर, दाएँ हाथ से लिखन पर मजबूर किया जाता है , क्योंकि ये बच्चे चले चलाए रास्तों पर नहीं चलते , ये विद्रोही होते हैं।
आमतौर पर हमारे दिमाग का बायां हिस्सा ही चलता है क्योंकि ये जीवन यापन के लिए काफी है ।
 दायाँ दिमांग कविता, कला लेखन को।
 दाएँ दिमाग में सृजनात्मकता होती है।  इस में नक्काशी, चित्रकारी, गीत,कहानी, कविता का जन्म होता है।अगर आदमी के दोनों दिमाग काम करेंगे तो साइंस और सृजनात्मकता दोनों साथ साथ चलेंगे। साइंस और धर्म दोनों साथ साथ चलेंगे और इसी से ही इतने आदमी का उत्थान होगा।

 इन बच्चों के दोनों दिमाग बराबर काम कर रहे हैं ।जिसके कारण इनका बौद्धिक विकास बहुत अच्छा हो रहा है। नेशनल ज्योग्राफिक चैनल पर में ओ माय गॉड इंडिया में यह देख रहा था यह बच्चे 3 घंटे के पेपर को डेड़ घंटे में कर लेते हैं। इसके लिए उनके टीचर उन्हें हर रोज़ योगा करवाते हैं। ये बच्चे 6 भाषाएँ जानते हैं।  इसे Ambidextrous कहा जाता है ।
ऐसे स्कूल पूरे विश्व भर में खोलने के इरादा रखते हैं इनके प्रिंसिपल।
आज के लिए अलविदा ।
फिर मिलेंगे एक नए किस्से के साथ ।
रजनीश जस
रूद्रपर
उत्तरखंड
25.10.2018

Tuesday, October 23, 2018

Cycling Report 21.10.2018

21.10.2018
आज सुबह साइकिलिंग के लिए सारा परिवार निकला।स्टेडियम के पास एक आदमी  देखा जो लाठी के सहारे चल रहा था। फिर बाद में उन्होंने स्टेडियम में जाकर एक्सरसाइज की। मैंने बेटे के साथ साइकिल पर चक्कर लगाया ।जब मैं वापस आया तो देखा वह वापस आ रहे थे ।मैं भी उनके साथ पैदल चलने लगा और उनसे कुछ बातचीत की ।उनका नाम हनुमत सिंह भंडारी है ।रुद्रपुर में किसी सरकारी विभाग में काम करते हैं ।उन्होंने बताया पिछले 2 साल में उनकी पीठ में यह बैंड आ गया था ।फिर भी वह घर से रोज सुबह एक्सरसाइज को निकलते हैं और फिर घर को वापस आते हैं ।जब मैंने उनकी तस्वीर ली तो उनके चेहरे पर मुस्कुराहट देखकर गीत याद आ गया

ए जिंदगी गले लगा ले
हमने भी हंस के
तेरे हर गम को गले से
लगाया है
है ना
#@गुलज़ार साहब
तो यह जिंदगी है।

 सर्दियां आने वाली है, थोड़ी ठंडक हो गई है वैसे भी पहाड़ों की तलहटी में बैठे हैं तो सुबह शाम की जो ठंड है वह बहुत ही अच्छी लगती है पर बचाव रखें।
फिर मिलेंगे, एक नए किस्से के साथ, तब तक अलविदा।
#rajneesh_jass
#rudrapur_cycling_club
Rudrapur
Udham singh Nagar
Uttrakhand