Saturday, November 17, 2018

Cycling in Nature 18.11.2018

आइंस्टाइन ने कहा है , जीवन जीने के दो ढंग है
एक तो ये है  कि कुछ भी करिश्मा नहीं,
दूसरा ढंग  ये है  कि हर शै करिश्मा है ।

मेरे लिए :  सुबह उठना,  साँस लेना, दिल का धड़कना, सूरज को देखना ,साइकिलिंग करना ,नई नई बातें सीखना , आपको बताना भी करिश्मा है ।

आज सुबह उठा । गरम पानी में हल्दी डालकर पी,  लहसुन की फाँक निगली और चल दिया साईकिलिंग पर।
आप सोच रहें होंगे कि हल्दी?
जी हाँ,  हल्दी हमारे शरीर में से गंदगी साफ करके हमारे अंदर रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा करती है। लहुसन की फाँक दिल के लिए बहुत अच्छी रहती है।
फिर पहुंच गया स्टेडियम।
 हेम पंत अपने दोनों बच्चों के साथ आए हुए थे और पंकज अभी पहुंच गया था।
फिर शुरू हुई बातें,  गपशप।
 अमेरिका में एक मोटिवेशनल गुरु है रोबिन शर्मा । उन्होंने क्लब बनाया है "5:00 a.m. क्लब" । उसमें वह बताते हैं कि सुबह उठ कर हम अगर घूमते हैं कुछ नया करते हैं तो हमें जिंदगी का नया अनुभव मिलता है।  लोग जो आलसी होते हैं सुबह उठते हैं और दफ्तर चले जाते हैं । उनकी ज़िंदगी मशीन जैसी हो जाती है।
पर जो लोग जिंदगी में कुछ नया अनुभव करना चाहते हैं, सुबह उठकर सूरज को देखते हैं,
 पेड़ों में पत्ते ,फूलों को देखकर  मुस्कराते हैं
 ठंडी गर्म हवाओं को महसूस करते हैं।
 रॉबिन शर्मा ने एक बार ये भी बात कही थी, अगर दिन में हम एक घंटा टीवी कम देखें, तो पूरे साल भर में 365 घंटे हमारी जिंदगी के बढ़ जाएंगे , बिना कुछ भी किए। उन 365 घंटों का हम क्या उपयोग करते हैं  ये हमारे ऊपर निर्भर करता है। अगर हम उसका सदुपयोग  करते हैं,  अपने आप को तराशने में लगाते हैं तो हमारी जिंदगी पूरी तरह से बदल सकती है ।

मैंने यह बात हेम पंत से की तो उन्होंने कहानी सुनाई।
 एक किसान था, उसकी बहुत सारी जमीन थी और उस में बहुत सारे लोग काम करते थे। पर वह कभी उनको देखने नहीं जाता था।
धीरे -धीरे खेती कम होने लगी उसे घाटा पढ़ने लगा। फिर उसको एक संत मिले। उन्होंने  बताया कि अगर वह सुबह सूरज चढ़ने से पहले एक सुनहरी चिड़िया को देखेगा तो उसके काम में बढ़ोतरी हो जाएगी । फिर वह सुबह उठकर खेतों में चक्कर लगाने लगा। उसने देखाककि खेतों में से अनाज चोरी हो रहा है, लोग काम नहीं कर रहे हैं ।उसने फिर लोगों को डांटना शुरू किया जो उसकी खेतों में मजदूर थे ।धीरे-धीरे वो खेती करने लगे और वह फिर दोबारा से अमीर हो गया।


उसने उस संत से पूछा कि वो सुनहरी चिड़िया तो मिली नहीं।
उस संत ने जवाब दिया,  सुबह उठना ही सुनहरी चिड़िया से मिलना था।
😊😊

 यह कहानी एक प्रतीक है हमें सिखाने के लिए।
 फिर पंकज से बातें हुई स्पेस के बारे में,  इस ब्राह्मंड की कैसे उत्पत्ति हुई? ऐसी सोच कर हम हैरान हो जाते हैं कि इस ब्राह्मण का कोई अंत नहीं है । यह पृथ्वी ब्राह्मंणड में पूरे मिट्टी के तिनके के बराबर है और उस ब्राह्मांड में हमारा अस्तित्व ना के बराबर ही है। यह भी क्रिश्मा ही है जो पहाड़ों में बर्फ पड़ती है तो वहां से ठंडी हवाएं नीचे मैदान में आकर ठंड कर दी है। जिंदगी को महसूस करने की शक्ति हमारी जितनी ही बढ़ती जाती है, हम उतना ही कुदरत के आगे नतमस्तक होते जाते हैं और उसका आनंद मनाते हैं ।

जापान में रह रहे भारतीय कवि और लेखक परमिंदर सोढी की एक हाईकु कविता है
"आएंँ अपने ही होने
का जश्न मनाएँ
कितना खूबसूरत है
हमारा होना"


आज के लिए इतना ही। फिर मिलूंगा,
 एक नए  किस्से के साथ।
 तब तक के लिए अलविदा।
#rajneesh_jass
Rudrapur
Distt Udham singh Nagar
Uttrakhand 

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