21.10.2018
आज सुबह साइकिलिंग के लिए सारा परिवार निकला।स्टेडियम के पास एक आदमी देखा जो लाठी के सहारे चल रहा था। फिर बाद में उन्होंने स्टेडियम में जाकर एक्सरसाइज की। मैंने बेटे के साथ साइकिल पर चक्कर लगाया ।जब मैं वापस आया तो देखा वह वापस आ रहे थे ।मैं भी उनके साथ पैदल चलने लगा और उनसे कुछ बातचीत की ।उनका नाम हनुमत सिंह भंडारी है ।रुद्रपुर में किसी सरकारी विभाग में काम करते हैं ।उन्होंने बताया पिछले 2 साल में उनकी पीठ में यह बैंड आ गया था ।फिर भी वह घर से रोज सुबह एक्सरसाइज को निकलते हैं और फिर घर को वापस आते हैं ।जब मैंने उनकी तस्वीर ली तो उनके चेहरे पर मुस्कुराहट देखकर गीत याद आ गया
ए जिंदगी गले लगा ले
हमने भी हंस के
तेरे हर गम को गले से
लगाया है
है ना
#@गुलज़ार साहब
तो यह जिंदगी है।
सर्दियां आने वाली है, थोड़ी ठंडक हो गई है वैसे भी पहाड़ों की तलहटी में बैठे हैं तो सुबह शाम की जो ठंड है वह बहुत ही अच्छी लगती है पर बचाव रखें।
फिर मिलेंगे, एक नए किस्से के साथ, तब तक अलविदा।
#rajneesh_jass
#rudrapur_cycling_club
Rudrapur
Udham singh Nagar
Uttrakhand
आज सुबह साइकिलिंग के लिए सारा परिवार निकला।स्टेडियम के पास एक आदमी देखा जो लाठी के सहारे चल रहा था। फिर बाद में उन्होंने स्टेडियम में जाकर एक्सरसाइज की। मैंने बेटे के साथ साइकिल पर चक्कर लगाया ।जब मैं वापस आया तो देखा वह वापस आ रहे थे ।मैं भी उनके साथ पैदल चलने लगा और उनसे कुछ बातचीत की ।उनका नाम हनुमत सिंह भंडारी है ।रुद्रपुर में किसी सरकारी विभाग में काम करते हैं ।उन्होंने बताया पिछले 2 साल में उनकी पीठ में यह बैंड आ गया था ।फिर भी वह घर से रोज सुबह एक्सरसाइज को निकलते हैं और फिर घर को वापस आते हैं ।जब मैंने उनकी तस्वीर ली तो उनके चेहरे पर मुस्कुराहट देखकर गीत याद आ गया
ए जिंदगी गले लगा ले
हमने भी हंस के
तेरे हर गम को गले से
लगाया है
है ना
#@गुलज़ार साहब
तो यह जिंदगी है।
सर्दियां आने वाली है, थोड़ी ठंडक हो गई है वैसे भी पहाड़ों की तलहटी में बैठे हैं तो सुबह शाम की जो ठंड है वह बहुत ही अच्छी लगती है पर बचाव रखें।
फिर मिलेंगे, एक नए किस्से के साथ, तब तक अलविदा।
#rajneesh_jass
#rudrapur_cycling_club
Rudrapur
Udham singh Nagar
Uttrakhand
No comments:
Post a Comment