Sunday, November 11, 2018

#memories_goverment_polytechnic_bathinda_part_one

#कुछ_खट्टी_मीठी_यादें -1

बठिंडा पालीटेकनिक (1993-96) में नवतेज से दोस्ती हुई। उसका गांव घर होशियारपुर से कुछ दूरी पर माहिलपुर के पास सकरूली है।  मैं अक्सर उसके गांव जाता था। मुझे शौक था, पिछले दिन की सूखी रोटी मक्खन के साथ खाता। जब भी मैंने जाना तो नवतेज मजाक में अपनी मम्मी से कहता, "जितनी भी पुराने दिनों की रोटियाँ हैं,गांधी (मेरा होस्टल का नाम)  को दे दो, मक्खन के साथ।आंटी उसे टोक देते," कुछ शर्म करो तेरा दोस्त है।"

आज मक्खन के साथ रोटी खा रहा था तो ये याद आ गया।ये दुनिया के सबसे लजीज़ खाने में से एक है।
उसके घर के पीछे एक पेड़ पर बहुत सारे मोर थे,  अक्सर उनकी छत्त पर आ जाते। मुझे बहुत पसंद था वो पेड़। वो कहता "तेरी शादी कर देते हैं मोरनी से, यंही पेड़ पर रह जाना। "
बस ऐसे मजेदार मजाक होते।
शाम को सूरज छिपते ही चुल्हे पर बनी ताजी- ताजी रोटियाँ खाते। आठ बजे तक तो हम सो जाते।
खेत में जाकर मूली, गाजर खाते। भैंस को नल्के से पानी पिलाते।
ज्योति,  उसका छोटा भाई। उसे शौक था उसके पास  बुलेट मोटरसाईकल हो और वो उसे पूरे गाँव में घुमाए।

मैंने एक बार उनके नलके की मोटर खोल दी। फिर वो मुझसे दोबारा  फिट ना हुई।
मैं अपने घर  पुरहीरां,  होशियारपुर आ गया। जब अगली बार नवतेज के गांव गया तो नवतेज  जाते ही बोला, "और जो कुछ मर्जी करना पर नल्के को हाथ मत लगाना। पिछली बार नल्का माहिलपुर जाकर ठीक करवाया। तुम बहुत पंगे लेते रहते हो।"😁😂

सुबह को अंक्ल आंटी सुबह 4 बजे उठ जाते। सारा काम निपटा देते।
टेलीफोन पास की करियाने की दुकान पर आता था।  उस वक्त मोबाइल नहीं थे।
फिर नवतेज की शादी हो गई वो आस्टरेलिया चला गया।  मैं फिर भी उसके गाँव जाकर रहने आता।
नवतेज के आस्टरेलिया जाने से पहले बहुत किस्से हुए। वो अगली बार।
चलता।
बाकी अगली बार।
11.11.2017

#rajneesh_jass
Rudrapur
Distt Udham Singh Nagar
Uttrakhand
India

2 comments: