Friday, August 12, 2022

घुमक्कड़ और फिल्में

घूमना मनुष्य का स्वभाव है। हम इस देह में घूमने आए हैं,  यह देह घूमती  है और कई रिश्ते पैदा करती है।
यह धरती सूर्य के इर्द गिर्द, 
यह सूर्य एक महां सूर्य  के इर्द गिर्द, 
हमारा शरीर एटम से बना है, उसमें इलेटरान भी घूम रहे हैं।

जैसे समुंदर का पानी भाप बनकर उड़ता है, बादल बंद कर पहाड़ से टकराकर बारिश बनता है, नदियों नालों के ज़रिए वही पानी लोगों की प्यास बुझाने के काम आता है और अन्न पैदा करता है।  इसी चक्कर में वह दुनिया की सेवा भी करता है।

आज हम घुमक्कड़ के ऊपर थोड़ी सी फिल्मों का जिक्र कर रहे हैं। पहले घुमक्कड़ और सैलानी के फर्क का  पता करते हैं । सैलानी वह होता है जो घर से एक निश्चित जगह के लिए निकलता है और एक होटल में रूकता है और वही से वापस आ जाता है। वहीं पर घुमक्कड़ घर से निकलता है, टेंट लगाकर जंगलों में रहता है ,खुले आसमान को देखता है, पत्थर जोड़ कर एक चुल्हा बना कर खाना बनाता है, वह बने बनाए  रास्ते पर नहीं चलता।

 घुमक्कड़ ऊपर पहली फिल्म है 
"द मोटरसाइकिल डायरीज़"
( यह फिल्म यूट्यूब पर है उपलब्ध है। फिल्म किसी और भाषा में है पर इंग्लिश सबटाइटल है) 

 यह फिल्म ची गोवेरा की डायरी पर आधारित है। वह अपने एक दोस्त  के साथ एमबीबीएस के इम्तहान देने के बाद अपने दोस्त के साथ  मोटरसाइकिल पर आर्जनटीना से निकलता है। माचु पिचु,  पेरू होते हुए एक ऐसी जगह पर जाता है यहां पर लोग कोहड़ के रोग से ग्रस्त हैं। वहां पर कुछ समय  रह कर उनका इलाज करते हैं। एक बहुत लंबी यात्रा है इसमें कम से कम भी  14000 किलोमीटर की है। उसके बाद क्यूबा पहुंचते हैं। फिर ची गोवेरा की फिदेल कास्त्रो के साथ दोस्ती होती है। इनके लेखों के कारण क्यूबा में विद्रोह हुआ।

 दूसरी फिल्म है कास्ट अवे (यह एमाज़ान प्राइम पर उपलब्ध है )

एक यात्री हवाई जहाज़ क्रैश  होने  पर एक ऐसे टापू पर गिर जाता है यहां पर कोई भी आदमी नहीं है।  यहां पर वह मछली पकड़ कर ज़िन्दा रहता है, फिर आग जलाना सीखता है। एक फुटबॉल  से दोस्ती करता है। लगभग वह 15 साल उसी टापू पर रहता है। इसमें उसका कुदरत के साथ संघर्ष  की कहानी है। इस फिल्म को बनाने के लिए टाम हैंक्स ने अपना बहुत ज्यादा वज़न बढ़ाया था क्योंकि 15 साल के बाद उसको पतला होकर भी दिखाना था। यह फिल्म  मुझे इतनी प्रिय है कि मैनें इसकी डीवीडी खरीदी थी। 

 तीसरी फिल्म है 14 पीकस
( यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है) यह फिल्म रियल में एक डॉक्यूमेंट्री है जो कि निम्सदई नाम का एक आदमी की कहानी है। 

जिसमें उसने दुनिया में 8000 मीटर से ऊपर की 14 चोटियों को 6.5 महीने में फतेह करके विश्व रिकॉर्ड बनाया। इसमें उसके बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था ,जैसे कि चीन ने अपने देश में चोटी पर चढ़ने से मना कर दिया। इस मनाही के लिए इंस्टाग्राम पर पोस्ट डाली। दुनिया भर से लोगों ने उसके हक में बात की।  चीन को उसकी  बात माननी पड़ी। इस काम को अंजाम देने  के लिए उसने इंग्लैंड मैच में अपना घर बेचा, नौकरी छोड़ी। वह दिन में नौकरी करता था और रात को दो बजे उठकर 20 किलो का बैग उठाकर 30 से 40 किलोमीटर भागता था।
वह आज भी पहाड़ पर घूम रहा है, आप इंस्टाग्राम पर उसे फोलो कर सकते हैं।  

 चौथी फिल्म है,  ईट प्रे लव 
(यह फिल्म नेटफलिक्स पर उपलब्ध है)

यह एक ऐसी औरत की कहानी है जो अमेरिका में  तलाक होने के बाद दुनिया घूमने निकल जाती है। इसमें 4 महीने वह इटली मे रहती  है, वँहा  अलग-अलग किस्मों के खाने खाती है और लोगों से मिलती है। फिर वह भारत में आती है और वहां पर एक आश्रम में रहती है। वँहा वह ध्यान की विधियां सीखती है और सहज रहना भी। वँही पर  उसकी एक आदमी से मुलाकात होती है जो कि पहले शराबी था पर यँहा रहकर वह बहुत बदल गया था।  इसके बाद वह इंडोनेशिया में  बाली  नाम की जगह पर  चली जाती है जो कि दुनिया का केंद्र माना जाता है।वँहा पर वो एक ज्योतिष से मिलती है जो कि बड़ा दिलचस्प होता है। वह कहता है कि जब मैं मर जाऊं तो मेरे यहां पर जरूर आना क्योंकि  बाली में दाह संस्कार की रस्म बड़ी शानदार होती है। वँही वो एक आदमी से मिलती है उसको  सच्चा  प्यार  मिल जाता  है। 

 अगली फिल्म है , "समसारा"( जो कि यूट्यूब पर उपलब्ध है यह फिल्म इंग्लिश में नहीं है तो इंग्लिश में सबटाइटल है)

 यह फिल्म तिब्बत में बड़ी खूबसूरती से फिल्माई गई है। यह एक तिब्बती भिक्षु के जीवन पर आधारित फिल्म  है।  वह भिक्षु गुफा में बैठा है कई सालों से। उसके नाखून और बाल बहुत बढ़ गए हैं। उसको दूसरे लामा घोड़े पर लेकर जाते हैं , उसके नाखून काटते हैं, बाल काटते हैं।  फिर उसे बाकी भिक्षुओं की तरह साधना में जाने का मौका दिया जाता है। वह एक गांव में जाता है और एक लड़की को देखता है। उसके साथ उसको प्यार हो जाता है। वो रातो रात मोनेस्टरी छोड़कर वहां से भाग जाता है। फिर आगे कहानी बहुत दिलचस्प है। 

7 ईयर्स इन तिब्बत
( यह फिल्म नेटफलिक्स पर उपलब्ध है)

यह एक युरोप के यात्री की लिखी हुई डायरी पर बनी असली कहानी पर आधारित है। वह भारत होते हुए तिब्बत पहुंचता है। जो दलाई लामा आजकल धर्मशाला में है, उनके बचपन के समय की फिल्म है। 
छोटे होते दलाई लामा चीज़ों को बड़े गौर से देखते हैं। वह उस घुमक्कड़ सिनेमा बनाने के लिए कहते हैं। जब वह सिनेमा की नींव खोद रहे होते हैं वँहा केँचुए  निकलते हैं तो वहां के लोग खुदाई बंद कर देते हैं क्योंकि वह मानते हैं कि उनके पूर्वज़ हैं। 
दलाई लामा की मोनेस्टरी  पर चीन हमला कर देता है और वो वहां से रातों-रात  भागकर भारत में शरण लेते हैं।
 इस बात को ओशो ने  बताया है कि जब वहां से निकले  तो बादल घिर आएँ और वो  बादल उनके साथ  साथ चले। इतना कोहरा छा गया कि उन सैनिकों  को कुछ  भी दिखाई नहीं दिया।  कुदरत ने इसलिए  मदद की कि वो भी दलाई लामा को बचाना चाहती थी ।

अगली फिल्म है, 
 फॉरेस्ट गंप  ( यह फिल्म एमाज़ोन के प्राईम पर उपलब्ध है) 

1994 में यह फिल्म आई।आते ही दुनिया की बेहतरीन 10 फिल्मों में इसका नाम शुमार हो गया। इसको 6 ऑस्कर अवार्ड मिले।

 टॉम हैंक्स की बड़ी ज़बरदस्त एक्टिंग हैं। एक बच्चा है जो कि भाग नहीं सकता। उसके  क्लास वाले उसके पत्थर मारते हैं, फिर वह भागता है और इतनी तेजी से भागता है कि वह उसको लोग पसंद करते हैं। वह फुटबाल की टीम में शामिल हो जाता, फिर फौज में जाता है। फिर अपने दोस्त के बिज़नेस करता है। वह बस स्टैंड पर एक प्लेटफार्म पर बैठकर लोगों को अपनी कहानी सुनाता है ।

इसी फिल्म के ऊपर आमिर खान ने "लाल सिंह चड्ढा" फिल्म बनाई है। इस के कॉपीराइट लेने में उसको 8 साल लगे और 6 साल और लेकर पूरे 14 साल के लिए फिल्म बनकर तैयार हुई है ।

इनटू द वाइल्ड
( यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है) एक लड़का समाज और घर के माहौल से तंग आकर अलास्का  की तरफ निकल जाता है वो भी हिचकिंग मतलब के लिफ्ट लेकर दुनिया घूमता है। अलग-अलग लोगों से मिलता है, काम करता है ,नदी, जंगल, रेगिस्तान पार करते हुए।वह एक जगह जता है यहां पर उसे पुरानी खड़ी बस मिल जाती है उसको अपने घर बना लेता है।
 वह रुपये क एक डर की तरह मानता है और समाज को बंधन की तरह। इसीलिए  उस से मुक्त होने के लिए वह बिल्कुल अकेला रहता है।
  उसे देखकर बुल्ले शाह की बात याद आ जाती है 
चल वे बुल्लेया ओथे चलिए  जित्थे सारे अन्ने
ना कोई साडी ज़ात  पछानू ना कोई सानुमन्नने

 अगली फिल्म है सिद्धार्थ  ( यह फिल्म  यूट्यूब पर उपलब्ध है)
 यह हरमन हेस्स के नावल ,"सिद्धार्थ" पर बनी फिल्म है।
 दो दोस्त अपने घर से सत्य की तलाश में निकलते हैं। दोनों लोग बुद्ध की शरण में जाते हैं। पर जो सिद्धार्थ हो वह बुद्ध से भी तर्क करता है तो बुद्ध कहते हैं कि इतना ज्यादा तर्क भी ठीक नहीं है।

वह बुद्ध  को छोड़कर  आगे बढ़ जाता  है, पर उसका दोस्त  वँही रह जाता है। एक मल्लाह उसको नदी पार करवाता है। वह फिर शहर में जाता है,  उसका एक वेश्या  से प्रेम हो जाता है, वह खूब पैसा कमाता है, फिर एक बच्चे के मोह में ग्रस्त होता है। वह पूरा जीवन देख लेता है । तो फिर वह वापिस मल्लाह के पास आता है जिससे  मिलकर उसको सत्य की उपलब्धि होती है।
 यहां पर यह बताना जरूरी है कि हरमन हैस्स एक जर्मन लेखक थे कि जो भारत में आए। उन्होने भारतीय शास्त्रों का गहन अध्यन किया। 

एक शे'र याद आ गया 
फितूर होता है हर उम्र में जुदा-जुदा खिलौने, माशूक ,पैसा, फिर खुदा

चलता। 

आपका अपना
रजनीश जस
रूद्रपुर,
उत्तराखंड 
निवासी पुरहीरां
जिला होशियारपुर
पंजाब
#films_on_travelling

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