Saturday, July 10, 2021

Cycling and Rudarpur magnetic field 11.07.2021

रविवार है तो फुर्सत, दोस्त, किस्से, कहानियाँ।   साइकिल आज नहीं चलाई, उसके आगे मोटर लग गई तो वह मोटरसाइकिल बन गयी 😃😃
क्योंकि हल्की बारिश हो रही थी तो पंकज को कहा तो वह मुझे साथ लेकर गया। हम चाय के अड्डे पर पहुँचे । वँहा कुछ लड़के बैठे चाय पी रहे थे, हमने दो कुर्सियाँ उठाई तो उन्होनें कहा अखबार भी ले लो पढ़ने के लिए। 
मैनें कहा दोस्त के साथ गप्पें मारनी हैं तो अखबार तो फिज़ूल  है।
पेड़ के नीचे बैठे और लेमन टी पी।  कुछ देर गप्पे मारी और फिर सैर को निकल लिये। स्टेडियम के अंदर गए तो वँहा लिखा हुआ था कि कोविड के कारण स्टेडियम बंद है। 
सैर की स्पीड बढाई और जैसे ही मंडी वालों की कॉलोनी के आगे पहुंचे तो बहुत तेज़ बारिश होने लगी। हम तो चाय के खोखे जिसकी छत्त लकडी से बनी हुई थी उसके नीचे खड़े हो गये। वहां पर एक ट्रक ड्राइवर और उसके साथी भी थे। वह ट्रक सड़क के बीचो बीच खडा था । उन्होंने पाईप उतारने थे। कारें आईं तो  ट्रक ड्राइवर साईड से निकलवा रहा था। 
 पंकज का कुछ दिन पहले फोन आया, वह दो महीने से दिल्ली अपने घर वर्क फ्रोम होम कर रहा था। 

मैनें आवाज़ सुनकर कहा, आ गये रूद्रपुर?
उसने कहा हाँ, पर आपको कैसे पता चला?
मैनें कहा, तुम्हारी आवाज़ में जो खुशी छलक रही है उससे पता चला। उसने बताया वह जब से यँहा आया है उसका दिल बहुत लग रहा है। वह बता रहा था कि उसकी बात बात हुई परविंदर से।
पंकज ने कहा जोब चेंज करनी चाहिए!
परविंदर ने कहा,  यहां का मैग्नेटिक फील्ड बहुत है ज़बरदस्त  है । जो एक बार रुद्रपुर आ जाता हैवह फिर यँही का होकर ही रह जाता है।
हर तरफ इतनी हरियाली है, पंतनगर यूनिवर्सिटी है , अब तो एमबीबीस का मेडिकल कॉलेज खुल गया है।
 मेरे पिता जी एक दोस्त बलदेव किशोर जो आजकल ऑस्ट्रेलिया से आए हैं उनसे  बात चल रही थी। मैनें कहा आदमी का जीवन ऐसा है, जैसे कोई कहानी। आदमी पढ़ता है, फिर पैसे कमाता है,  फिर सामाजिक असमानता देखते उसमें बदलाव लाने के लिए कामरेड बन जाता है, फिर वह धार्मिक जाता है। फिर कुछ और बदलाव आता है एक दिन वह सब कुछ छोड़ छाड़ कर पेड़ लगाता है,किताबें पढ़ता है , साईकिल चलाता है। वह कुदरत से जुड़कर  सहज हो जाता है।
उन्होनें कहा,  उन्होंने कहा कि यहां पर माली पहले से ही होता है वँहा हम बहुत देर में,  बहुत सारा घूमकर पहुँचते हैं।

 मुझे दो शे'र याद आ गये

सोचते थे इल्म से कुछ जानेंगे
जाना तो ये कि ना जाना कुछ भी

फितूर होता है हर उम्र में जुदा-जुदा
खिलौने, किताबें ,माशूक, फिर खुदा 

 बचपन की जवान होने की तीव्र तमन्ना, 
फिर जब तक हम जवान होती है यह कभी सोचते हैं कि मेरे पास दुनिया भर की सहूलियात होंगी 
यह कार होगी, वह होगा। सपने भी जरूरी है परंतु इतनी के निरंतर यह मन बना रहे किस सब चीजें आती है और चली जाती है। संसार में कोई भी चीज स्थिर नहीं है। फिर बुढ्ढे होने से बचने की कोशिश करते हैं।  जैसे हम बाल काले करने लगते हैं , अब तो मैं भी कर रहा हूँ।😀😀
 पंकज बताने लगा,उसने  गोदन जो मुंशी प्रेमचंद के नावल पर नाटक की सीरीज़ है उसे  यूट्यूब पर पूरा देखा है। यह भी एक वेब सीरीज़ है। उसमें पंकज कपूर की एक्टिंग बहुत कमाल की है। वह पूरा गाँव की पूरी सभ्यता है। 

पंकज  ने बताया, दिल्ली में उसके पिता जी ने अपने घर की छत्त पर  बहुत  सारे गमले रखे हैं। उन्होनें मिट्टी का घडा जो आधा टूटा हुआ है ,उसमें अच्छा साफ पानी रखा हुआ है और साथ में बाजरा भी। उनकी छत्त पर बहुत सारे कबूतर आते हैं। उतने किसी और की छत्त पर नहीं,। पंछी भी प्यार के भूखे होते हैं, यँहा मिला उसी छत्त पर उतर गये।

मैं छत्त पर पानी रखता हूँ। एक दिन बाल्कोनी में एक चिड़िया  मेरी तरफ देख रही थी। मुझे लगा कि वह मुझे कह रही है , यँहा पानी रखो  मेरे पीने के लिए। मैनें तुरंत बाल्कोनी में पानी रखा। अब घर में  बहुत सारी चिड़ियाँ और पंछी आने लगे हैं। 

 हम हर रोज़ अपनी छत्त गमलों में लगे पौधों में शाम पानी डालते हैं। एक दिन मैं किसी काम से मुझे देर हो गई। 
 जब मैं सोने लगा तुम मुझे ऐसे लगा कि वह पौधें  मुझे कह रहे हैं कि आज तुम्हें पानी नहीं डाला। मैं छत्त पर पानी डाला तो मुझे महसूस हुआ वह पौधें खुश हो गये और से  मस्ती में झूमने लगें। 

आप भी ऐसे ही मस्ती में झूमते रहें।
फिर  मिलेंगे एक नये किस्से के साथ।

आपका अपना 
रजनीश जस
रुद्रपुर ,उत्तराखंड
निवासी पुरहीरां, होशियारपुर,
पंजाब
11.07.2021
#rudarpur_cycling_club

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