Sunday, July 25, 2021

साईकिलिंग और कुदरत

रविवार है तो फुर्सत, साइकिलिंग, दोस्त किस्से, कहानियाँ। आज बहुत दिनों के बाद साइकिलिंग के लिए निकला।चय के अड्डे पर पहुंचा। वहां पर पंकज और शिवशांत आए।
वँहा लेमन टी पी। 
 कुछ देर वँहा बैठने के बाद हम सैर को निकले। पंकज साईकिल चलाने निकल गया। मैं और शिवशांत बातें करते चलते रहे। गर्मी के कारण पंछियों की चहचहाट कम थी, पर तितलियां दिखाई दे यहीं थी। बारिश का महीना सावन है तो हर तरफ हरियाली थी ,पर मौसम मे हुम्मस थी। 
       युं लगता है पानी मे मगरमच्छ है

 मैं कुदरत को देख रहा था, और महसूस कर रहा था वह हमें कितना कुछ दे रही है, जीने के लिए मुफ्त सांसें, बचपन से लेकर बुढ़ापे तक हम कोई कीमत अदा नहीं करते। हमेशा मिल रहा है लगातार ने बिना कुछ किए,  खाने के लिए खाना, फल। देखने के लिए आसमान, दरिया , बर्फीले पहाड़.....   कितना कुछ है।
              कुदरत के तोहफे

पर आदमी ने समाछ की सरंचना ऐसी कर दी है कि जिसमें प्रतिसपर्धा, क्रोध, द्वेष, ईर्ष्या, है जो कि प्रेम, करुणा और आज़ादी की ओर अग्रसर होनी चाहिए। 
 एक अकेला इस शहर में, रात मे और दोपहर मे
आशियाना ढूँढता है , इक आबो दाना ढूँढता है 



किसी ने कहा है , फोटोग्राफर हमें फोटो खींचकर बताता है , कि दुनिया इस नज़रिये से देखनी चाहिए। ऐसी ही महान लोग हमे जीवन जी कर बताते हैं, कि जीवन ऐसे जीना चाहिए। 

इंडोर स्टेडियम, रूद्रपुर। यँहा से क ई ह़साल पहले साईकिलिंग की शुरुआत हुई थी


फिर  मिलेंगे एक नये किस्से के साथ।

आपका अपना 
रजनीश जस
रुद्रपुर ,उत्तराखंड
निवासी पुरहीरां, होशियारपुर,
पंजाब
25.07.2021
#rudarpur_cycling_club


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