जीवन से "भागना" नहीं,
जीवन में "जागना" है।
#ओशो
6 महीने पहले यूं ही एक विचार आया मन में सब कुछ तो है जीवन में फिर भी कुछ कमी सी है। तभी ओशो का प्रवचन सुन रहा था जिसमें उन्होंने कहा, स्वयं को जाने बिना ही संसार से विदा हो जाना सबसे बड़ा पाप है। जब सब कुछ होते हुए भी कुछ कमी महसूस हो तू जान लेना वो कमी स्वयं से मिलन की है। बस फिर क्या था हो गई खोज शुरू। रुद्रपुर में नरेश पत्रकार बहुत सहज व्यक्ति हैं। उन्होंने, मनोज जी ( वीवा मार्ट) ने मिलकर कुछ रविवार जनता इंटर कॉलेज में ध्यान किया। मैं भी वंहा गया था।
मुंबई में स्वामी अमानो से भी बात हुई। वो भी ओशो के ध्यान की विधियों का प्रसार करने रहे हैं पिछले 28 साल से।
तो शुरू कि मैंने डायनामिक मैडिटेशन। ओशो द्वारा रचित दुनिया के मनोचिकित्सक म्यूजिशियन की मदद से बनाया गया है।
मौजूदा इंसान बहुत ही ज्यादा परेशान है मन से, तनाव से, जीवन की आपाधापी से। पर किसी को सही दिशा नहीं मिल रही। लोग मुझे मिलते हैं कहते हैं मन भागता है जब ध्यान में बैठते हैं। पर डायनामिक ध्यान बिल्कुल अलग है, ये आपको अपने से जोड़ता है।
तनाव से मुक्ति जीवन के परम सौंदर्य का आनंद लेने के लिए यह ध्यान बहुत उपयोगी है। बाजार में लोगों को बहुत लूटा जा रहा है, क्या आप दुखी हैं तो हमारे पास आए यह कार ले, वह कपड़े ले, यह क्रीम लगाएं। इन सब ने अपनी दुकानें खोल रखी हैं। कुछ तो भगवान को बेच रहे हैं। इन्हें हमारे दुख से कुछ नहीं लेना देना। मैं तो कहता हूं कहीं भी जाने की जरूरत नहीं बस स्वंय में ठहर जाने का नाम ही ध्यान है।
गुस्सा, द्वेष, जलन, नफरत.... बहुत कुछ दिखाई देता है भीतर। ओशो कहते हैं जब भी क्रोध आए, तो भीतर देखना, 100 में से 90 बार कारण तुम खुद होगे।
Sodhi Parminder की कविता
आएँ
अपने ही होने का जश्न मनाएं
कितना खूबसूरत है हमारा होना
यह कविता मुझे बहुत प्रीतिकर है। अपने होने का जश्न मनाने में लगा हूँ, आनंद बाँट रहा हूँ।
ध्यान में जाकर मैंने स्वयं की कमजोरियों को अनुभव किया है और उससे पार जाने की कोशिश कर रहा हूं। स्वयं में बदलाव से संसार बदलता है।
अपने ही भीतर उतरने का समय है।
#results_of_Dynamic_Meditation
#Dynamic_Meditation
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