Sunday, February 28, 2021

एक घुमक्कड़ आकाशदीप से मुलाकात

आज रविवार है, फिर साइकिल पर एक चक्कर स्टेडियम के आगे वाले रास्ते से लगाया। चाय के अड्डे पर आ गया।
 फिर शिवशांत और हरिनंदन आए। बातचीत शुरू हुई।  इस कोरोना कॉल में बहुत सारे लोग
नौकरियां चली गई हैं।  बाजार में धन का प्रवाह रुक गया है, जो जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
 हमें अपने मित्रों की स्थिति के बारे में पूछना चाहिए और उनसे जाकर मिलना चाहिए।
 ज़रूरत पड़ने पर मदद करनी चाहिए।

 कुछ लोगों के हाथों में बहुत सारा पैसा 
 चला गया है और कुछ लोग रोटी के लिए तरस रहे हैं। इस से समाज में अपराध पैदा होता है।

 हरिनंदन चला गया क्योंकि उसने
 हल्द्वानी में पुस्तक प्रदर्शनी में जाना था।
 यह पुस्तक प्रदर्शनी नवीन चिलाना द्वारा लगाई जानी है।  नवीन चिलाना की रुद्रपुर में  एक दुकान है, द बुक ट्री, जिसमें वह किताबें बेचते हैं।
 आप वहां बैठकर किताबें पढ़ सकते हैं, चाय या कॉफी पी सकते हैं।उनके पास साहित्य की अच्छी मात्रा है।  उनका पैतृक व्यवसाय कुछ और है, लेकिन उन्होंने अपने परिवार के साथ लंबे समय तक संघर्ष किया कि वह एक किताबों की दुकान खोली।

 ब्रेड पकोडे आज जल्द ही समाप्त हो गये थे। भीम दा ने बताया कुछ बच्चों को टेस्ट था जिसके कारण ब्रेड जल्दी खत्म हो गए।
शिवशांत और मैं बस चाय पीकर वापस आ गए।

 आकाशदीप आज मुझे मिलने आ रहा था
 वह पिछले आठ से दस दिनों से उत्तराखंड में हैं।
 वह अपना टैंट लेकर कैंपिंग कर रह रहा है।  जैसे ही उसका फोन बजा । हम एक मिनट में उसके पास पहुँच गए। यह एक छोटे शहर का फायदा है।

 आकाशदीप एक पुस्तक पाठक है, घुमक्कड़ है, 
 वह पटियाला से है और  एक अच्छा लेखक है।
 वह फेसबुक के माध्यम से मेरे संपर्क में आया।

 हमने गले मिले । उनके गले में एक बैकपैक और एक कैमरा था।  मैं उसे अपने घर ले आया। पहले मैंने उसे पानी पिलाया। मैनें कहा, चलिए लाइब्रेरी में तुम्हें अपनी किताबों से मिलवाता हूँ।  वह भी उत्सुक था क्योंकि लेखकों को किताबें पसंद  होती हैं।
फिर हम नाश्ते के लिए नवरंग स्वीटस गए।
 स्वीट्स पर।  हमने विनीत जी को उनके साथ मिलवाया। हमने छोले भटूरे का ऑर्डर दिया।

शिवशांत ने बताया, अगर आप घुमक्कड़ है,तो काशी ज़रूर जाएँ। वहां हर प्रकार का जीवन है , वहां का खाना, वहां की सड़कें, वहां के घाट।  
बनारस के ठग भी दुनिया में प्रसिद्ध हैं

एक बात और भी दिलचस्प है वँहा लोग अपने जीवन के अंतिम दिन बिताने जाते हैं, उनका मानना ​​है कि अगर काशी में उन्हें मौत आई , तो वे स्वर्ग के निवासी बन जाएंगे।  हालाँकि, कबीर जी जीवन भर वहीं रहे
 पर वो अपने अंतिम  समय में  काशी छोड़कर कँही और चले गये , उनका मानना था  कि अगर मुझे स्वर्ग से मिलना है तो मुझे अपने कर्मों के कारण ही मिलना चाहिए, काशी से नहीं।

 बनारस में संगीत बहुत लोकप्रिय है।
 शहनाई के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने  अपना सारा जीवन वहीं बिताया।  फिल्मगूंज उठी शहनाई में उन्होनें शहनाई बजाई , वह बहुत मनमोहक थी। फिल्म निर्माता उन्हें यहां मुंबई आने के लिए कहने लगे। बिस्मिल्लाह खान कहते हैं, "मैं बनारस में घाटों को नहीं छोड़ सकता, वह तो यहां केवल तभी आ सकते हैं जब आप घाटों को मुंबई ले जाएंगे।"

 हमने छोले भटूरे खाए और बातचीत जारी रही।
 आकाशदीप कहते हैं, फिर ता बनारस भी
 जाना  होगा। नवरंग स्वीट्स के मालिक नवनीत ने छोले भटूरे का बिल हमसे नहीं लिया।
 आकाशदीप ने कहा, "पहाड़ की चोटी पर एक व्यक्ति ने उसे ठंड से बचाने के लिए गर्म दस्ताने दिए, दूसरे ने उसे खिलाया।"  जब उसने पैसे देने चाहे तो उन्होंने कहा कि यह उत्तराखंड का तोहफा है।
आकाश  एक होटल में अपना कैमरे भूल आया था । उसे होटल वाला लड़का स्कूटर पर कैमरा पकड़ा कर गया ।
जब हम घर गए तो शिवशांत घर गया।  मैंने कहा भाई तुम मेरी शादीशुदा हो, मैं तो आजकल अकेला हूँ। 
 हम फिर नीतीश पानवाला के पास आए। मैंने उन्हें आकाश के बारे में बताया।  नीतीश ने कहा कि अगर आप  हैं तो वैशाली , बिहार जाइए।
फिर उन्होंने बिहार में महात्माओं को बताना शुरू किया। महात्मा बुद्ध,  गुरु गोबिंद सिंह जी,
 यह स्थान ऐतिहासिक रूप से अमीर राज्य है
है। बिहार बहुत समृद्ध है।

 फिर हम वहीं मीठा पान खाया और घर लौट आए।

  आकाश ने बहुत ही दिलचस्प बातें सुनाईं
 मैंने अपनी डायरी में नोट  लिखे।
  उन्होंने अपनी डायरी भी दिखाई।
 उन्होंने किताबों, फिल्मों, कहानियों के बारे में बात की। लिंक भेजे ।  मार्खोसस की कई कहानियाँ ब्लॉग पर थी और उन्होंने लिंक सांझा किया।
 फिर उन्होंने मेरी एक कविता अपने कमरे में दर्ज की।  
उसके पास 5,000 किताबें हैं और वह उन्हें पढ़ता और वितरित करता है।
 मैंने कहा आपके पास दो  तीन पुस्तकालय हैं।  फिर किरपाल कज़ाक, सुभाष परिहार, जंग
 बहादुर गोयल, पियारा सिंह सहराई,
  गुलशन दयाल, मेजर मांगट, राम सरूप अन्खी और भी कई लोगों केबारे में बातचीत हुई।

 आकाशदीप कह रहा था कि वह बहुत शर्मीला है लेकिन मेरे पास घंटों बैठा रहा।
 हम घड़ी देखना भूल गये थे।  
मैंने उसे एक किताब Tantra , the supreme understanding, Osho 

Talks on Tantric way Tilopa song of mahamudra  की कुछ पंक्तियाँ पढ़ीं।

"Sometime you thinking about a friend and a desire arose in you that it would be good if he comes and he is on the door, knocking. You think it is a coincidence, everything is a casuality.
Your thoughts creates a world around you."

 "कभी-कभी आप एक दोस्त के बारे में सोचते हैं और आप में एक इच्छा पैदा होती है कि यह अच्छा होगा यदि वह आता  और वह दरवाजे पर दस्तक दे रहा होता है।  आपको लगता है कि यह एक संयोग है, पर यह सब कुछ एक आकस्मिक घटना है।
 आपके विचार आपके आसपास एक दुनिया का निर्माण करते हैं।"

 तब आकाश ने उससे कहा कि वह जानता है कि मैं काम पर जाता हूं और रविवार की छुट्टी होती है इसलिए उसने मुक्तेश्वर से ट्रैक जल्दी खत्म किया और मेरे पास पहुंचा।  इसलिए मैं उसे अपने दिल के नीचे से धन्यवाद दिया।
 मैंने एक ब्रिस्टो रेस्तरां के बाहर उनके साथ एक तस्वीर ली।  यहाँ मैं पहली बार दो घुमक्कड़ दोस्तों से मिल चुका हूँ।
 आकाश ने कहा कि उसका एक दोस्त है
 रिपन उसने सोलह देशों में हिचकिंग से घूम चुका है,  वह भी केवल 1.5 लाख रुपये में , अपनी एक दोस्त के साथ।  अब वे शादी करने वाले हैं। श
लोग हिचकिंग ( लिफ्ट) से यात्रा करते हैं।
 मैं अनुराधा बेनीवाल की किताब, आजादी
मेरा ब्रांड के बारे में बात करने लगा। आकाश ने कहा कि वह इस समय फ्रांस और फेसबुक पर है
वह बहुत सुंदर लिखती हैं।
 तब उसके जाने का समय हो गया था।
 वह दिल्ली के लिए रवाना होने वाला था। मैंने उससे कहा कि वह चला जाएगा। मैंने कहा कि मैं छोड़ दूंगा तो हम थोड़ी देर और बात कर लेंगे।

आज का दिन मेरे लिए सौभाग्यशाली
सिद्ध  हुआ,
आत्मा की प्यास बुझी ,
मीठी यादें मेरी झोली में आ गयीं,
मैं रात के अंधेरे में एक चमकने वाले जुगनू लेकर  घर लौट आया।

फिर मिलूंगा, एक नया किस्सा लेकर।

 आपका अपना
 रजनीश जस
 रुद्रपुर, उत्तराखंड
 निवासी पुरोहीरा
 होशियारपुर, पंजाब।
 21.02.2021
 #rudarpurcyclingclub
 #eajneesh_jass
 #akashdeep

कीर्तन और आस्टरेलिया वाले दोस्तों के किस्से

रविवार है तो साइकिलिंग, दोस्त, किस्से, कहानियां। पर आज साइकिल से पर गया नहीं पर फिर भी किस्से कहानियां तो हो सकते हैं।

पूर्णमाशी की शाम यँहा रूद्रपुर में कीर्तन दरबार करवाया जाता है। जो रूह की खुराक लेना चाहते हैं वो वँहा आते हैं । 

कल शाम कीर्तन के बाद वँहा बातें चल रही थी तो किसी ने कहा कि कुछ गुरबाणी शब्द ऐसे हैं कि वह सुनकर रो देते हैं । 

वह शब्द है

गलीएं चिक्ड्ड दूर घर 
नाल प्यारे नेहूं
चलां ता भीजै कंबली 
रहां तां तुट्टै नेहूं
भीजो सीजो कंबली
अल्लै बरसो मेहो
जाए मिलां तिनाह सज्जना
तुट्टो नाहीं नेहों
---
बहुत जन्म बिछडे माधो 
एहो जन्म तुम्हारे लेखे
-----
पहले शब्द का अर्थ है, 
इस संसार रूपी गली में माया ( काम, क्रोध लोभ, मोह,अहंकार) का कीचड़ है और मुझे परमात्मा से मिलने जाना है, बारिश हो रही है। अब परमात्मा को मिलने जाना है तो कंबल, मतलब यह कंबल बारिश (माया) में भीग जाएगा, अगर नहीं जाता तो यह गल्त है।
फिर वो कहते हैं चाहे जितनी मर्ज़ी बारिश हो, मैं तो परमात्मा से मिलने ज़रुर जाऊंगा।

दूसरा शब्द भगत रविदास का है। इसमें वो कहते हैं हे परमात्मा तुमसे बिछडे बहुत जन्म हो गये हैं, अब यह जन्म तुम्हारी भक्ती में गुज़र जाए तो अच्छा।
कल का कीर्तन दरबार रविदास जयंति 
पर था।

एक आदमी ने कहा था कि यह शब्द सुनकर रो देता है तो वँहा पर एक सज्जन ने सुधार किया, इसे "रोना" नहीं इसे "वैराग्य" कहना बेहतर होगा।
कबीर जी के भजन बहुत वैराग्य पैदा करते हैं। 

अब दोस्तों की बात करते हैं।
कल गुरबानी में ही एक शब्द है जिसमें कृष्ण जी जब अपने मित्र सुदामा से मिलने आते हैं तो अपना सिंहासन छोड़कर सब कुछ भूलकर  सुदामा , सुदामा पुकारने लगते हैं। इसी दोस्ती की मिसाल अक्सर दी जाती है कि एक सम्राट होने के बावजूद वो अपने बचपन के दोस्त को नहीं भूलें। 

आज सुबह मेरे एक दोस्त ने ऑस्ट्रेलिया के समुद्र के किनारे की वीडियो भेजी। मुझे बहुत अच्छी लगी। उसी वक्त तस्वीरें यहां भी सूर्य का उदय हो रहा था तो मैंने अपने घर के आगे से हुए वीडियो बनाकर भेजी। उस दोस्त ने कहा कि कभी आस्ट्रेलिया अपने परिवार के साथ मेरे पास में छुट्टियां में जरूर आना। उसको भी रूद्रपुर में चाय वाले अड्डा  बहुत पसंद है उसने कहा कि वह भी यहां पर छुट्टियां काटने जरूर आएगा।
 अपने परिवार के साथ विदेशों में चाहे हम रह रहे हैं पर वहां पर रहकर भी अपने मुल्क में मिट्टी की याद आती है। मेरे  बहुत सारे दोस्त हैं विदेश में रह रहे हैं, जब उनका फोन आता है तो घंटो बतिआते हैं।
 वही पुरानी सरकारी बहुतकनीकी बठिंडा हॉस्टल की बातें। कई बार बेसिर पैर की इन बातों से मन हल्का हो जाता है। 
 मैं अपने दोस्त नवतेज से ऑस्ट्रेलिया में बात कर रहा था तो मैंने फोन में सुना कि झींगुर की आवाज़ आ रही थी। मैंने उसको पूछा उसने कहा यहां बहुत ही झींगुर हैं पर वो दिखाई नहीं देतें पर उनकी आवाज़ बहुत आती है।
दोस्तों के साथ खिलखिला कर हंसना हमारे मन के बहुत सारे बोधनों को खोल देता है और बहुत सारी बीमारियों से बचा देता है।
नहीं तो आप अपने इर्द गिर्द देखो जो बहुत कम हँसते हैं वह डाक्टरों के यँहा बैठे रहते हैं।

कल शाम कीर्तन दरबार में मुझे चन्ना जी मिलें वो रूद्रपुर में "जिंदगी जिंदाबाद" नाम से ग्रुप चला रहे हैं जिसमें वो अपनी टीम के साथ रुद्रपुर में 12:00 से 2:00  लेबर चौक में हर रोज़ लंगर लगाते हैं।
जब कोरोना शुरू हुआ तो तो तब उन्होंने में मुफ्त में मास्क भी बाँटें थे। श्री गुरु नानक देव जी की चलाई हुई लंगर की प्रथा आज दुनिया भर में चल रही है।
उनका कहना है दसों उंगलियों से  कर्म करो, नाम जपो (भगवान का नाम) लो, वंड छको  (मिलबाँटकर खाओ)

श्री गुरु नानक देव जी कहते हैं अपनी कमाई का  दसवां हिस्सा हमने दान करना चाहिए, जिसे दसवंध कहते हैं।
इसी में धर्म का सार है।

फिर मिलेंगे एक नये किस्से के साथ।
आपका अपना
रजनीश जस
रुद्रपुर, उत्तराखंड
निवासी पुरहीरां, होशियारपुर 
पंजाब
28.02.2021
#rudarpur_cycling_club

Wednesday, February 17, 2021

ਬਸੰਤ ਪੰਚਮੀ

ਬਸੰਤ ਦੀ ਮੱਹਤਤਾ ਇਸ ਗੱਲ ਤੋਂ ਪਤਾ ਚੱਲਦੀ ਹੈ ਕਿ  ਜਦ ਕਿਸੇ ਆਦਮੀ ਦੀ ਉਮਰ ਪੁੱਛਣੀ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤੂੰ ਕਿੰਨੇ ਬਸੰਤ ਦੇਖੇ? 
ਹਰ ਪਾਸੇ ਪੀਲੇ ਰੰਗ ਦੀ ਆਮਦ ਹੋ ਗਈ ਹੈ।
ਪੀਲਾ ਰੰਗ ਹੈ ਉਤਸਵ ਦਾ ਰੰਗ। 
ਪੀਲੇ ਰੰਗ ਦੀ ਇਹ ਖਾਸੀਅਤ ਹੈ ਕਿ ਜੇ ਹਜ਼ਾਰ ਰੰਗ ਹੋਣ ਤਾਂ ਸਾਡੀ ਅੱਖ ਪੀਲਾ ਰੰਗ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਵੇਖ ਲੈਂਦੀ ਹੈ।
ਬਸੰਤ ਰੁੱਤ ਆ ਗਈ ਹੈ ਫੁਲ ਖਿਲ ਗਏ ਨੇ, ਖੇਤਾਂ ਚ ਸਰੋਂ ਖਿਲ ਗਈ ਹੈ, ਸਤਵਰਗ, ਗੁਲਾਬ ਦੇ ਫੁੱਲ ਹੀ ਫੁੱਲ ਨੇ । 
ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਛੋਟੇ ਹੁੰਦੇ ਸੀ ਤਾਂ ਸਤਵਰਗ ਦੇ ਫੁੱਲਾਂ ਦੇ ਕਾਲੇ ਕਾਲੇ ਡੀਖੇ ਜੋ ਉਸਦੇ ਬੀਜ ਹੁੰਦੇ ਦਿੰਦੇ ਤਾਂ ਸ਼ਿਵ ਦੁਆਲੇ ਮੰਦਰ ਦੀ ਖਾਲੀ ਥਾਂ ਚ ਉੱਗ ਆਉਂਦੇ। ਆਡ਼  ਬਣਾਕੇ ਨਲਕਾ ਗੇਡ਼ ਕੇ ਪਾਣੀ ਦਿੰਦੇ ਜਦ ਉਹ ਫੁਲ ਖਿਲਦੇ ਤਾਂ ਅਸੀਂ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੁੰਦੇ।
 
ਫਿਰ ਅਸੀਂ ਵੀਰਵਾਰ ਨੂੰ ਬਣੇ ਸ਼ਾਹ ਜਾਂਦੇ। ਉੱਥੇ ਸਾਨੂੰ ਪੀਲੇ ਰੰਗ ਦੇ ਮਿੱਠੇ ਚੌਲਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਸਾਦ ਮਿਲਦਾ। ਬਣੇ ਸ਼ਾਹ ਸਾਡੇ ਜੱਦੀ ਪਿੰਡ ਪੁਰਹੀਰਾਂ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਖੇਤਾਂ ਚ ਪੀਰਾਂ ਦੀ ਥਾਂ ਹੈ। ਉਥੇ ਖੜਕਾਂਨੰਦ ਨਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਬਜੁਰਗ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ, ਉਸ ਦੇ ਮੂੰਹ ਦੇ ਚੇਚਕ ਦੇ ਦਾਣੇ ਸੀ ਜਿਵੇਂ ਓਮ ਪੁਰੀ ਹੋਰਾਂ ਦਾ ਚਿਹਰੇ ਤੇ ਸਨ। ਅਸੀਂ ਕਹਿਣਾ ਇਸਦੇ ਮੂੰਹ ਤੇ ਪੀਲੀਆਂ ਭਰਿੰਡਾਂ ਕੱਟ ਗਈਆਂ ਨੇ।
ਅਸੀਂ ਉਸ ਕੋਲੋਂ ਪੀਲਾ ਪ੍ਰਸਾਦ ਲੈਣਾ ਫਿਰ ਇਹ ਕਹੇ ਭੱਜਣਾ,
ਖੜਕਾਨੰਦ ਕੇ ਖੜਕਨੇ ਸੇ ਖੜਕਤੀ ਹੈਂ ਖਿੜਕੀਆਂ ਖਿਡ਼ਕੀਓਂ ਕੇ ਖੜਕਨੇ ਸੇ ਖੜਕਤਾ ਹੈ ਖੜਕ ਸਿੰਘ  

ਇਹ ਸੁਣਕੇ ਉਸਨੇ ਸਾਡੇ ਪਿੱਛੇ ਭੱਜਣਾ। 

ਇਸ ਦਿਨ ਸਾਡੇ ਪਿੰਡ ਦੇ ਲਹਿੰਦੇ ਪਾਸੇ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਜ਼ਹਾਰਾ ਹਜ਼ੂਰ ਚ ਮੇਲਾ ਲੱਗਦਾ ਹੈ। ਉੱਥੇ ਛੇਵੀਂ ਪਾਤਸ਼ਾਹੀ ਆਏ ਸਨ।
ਅਸੀਂ ਸਵੇਰੇ ਹੀ ਉਥੇ ਚਲੇ ਜਾਣਾ। ਵੱਡੀਆਂ - ਵੱਡੀਆਂ ਲੋਹਾਂ ਤੇ ਲੰਗਰ ਬਣਦਾ ਸੀ। ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰਾਂ ਨਾਲ ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਲੰਗਰ ਬਣਾਉਣਾ। ਗੁਰਵਾਨੀ ਕੀਰਤਨ ਦਾ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਚਲਦਾ ਰਹਿੰਦਾ।
 ਮੈਨੂੰ ਅੱਜ ਵੀ ਯਾਦ ਹੈ ਜਦ ਮੈਂ ਸੱਤਵੀਂ ਚ ਪੜ੍ਹਦਾ ਸੀ ਤਾਂ ਮੈਨੂੰ ਅੱਠ ਰੁਪਏ ਮਿਲੇ ਬਸੰਤ ਪੰਚਮੀ ਦੇ ਮੇਲੇ ਚ ਖ਼ਰਚਣ ਲਈ। ਇੱਕ ਤੂੰਬੀ ਵੇਖੀ ਜੋ ਦਸ ਰੁਪਏ ਦੀ ਸੀ। 
ਮੈਂ ਪੂਰਾ ਮੇਲਾ ਵੇਖਿਆ ਤੇ ਸ਼ਾਮੀਂ ਆਉਣ ਵੇਲੇ ਉਹ ਤੂੰਬੀ ਸੇਵਾ ਸੱਤ ਰੁਪਏ ਦੀ ਖਰੀਦੀ ਸੀ।

ਬਾਹਰ ਚਾਹ ਪਕੌੜੇ, ਜਲੇਬੀਆਂ ਦੀਆਂ ਦੁਕਾਨਾਂ ਲੱਗੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ। ਬਾਹਰ ਖਿਲੋਣੇ ਦੀਆਂ ਦੁਕਾਨਾਂ ਹੁੰਦੀਆਂ।

ਸਾਡੇ ਪਿੰਡ ਪੁਰਹੀਰਾਂ ਦੀਆਂ ਜਿਹੜੀਆਂ ਬਜ਼ੁਰਗ ਔਰਤਾਂ ਆਪਣੇ ਸਹੁਰੇ ਗਈਆਂ ਨੂੰ ਉਮਰਾਂ ਬੀਤ ਗਈਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ, ਉਹ ਬਸੰਤ ਨੂੰ ਗੁਰਦਵਾਰੇ ਜ਼ਰੂਰ ਆਉਂਦੀਆਂ। ਉਹ ਖੂਬ ਹਾਸੇ ਠੱਠੇ ਕਰਦੀਆਂ। 
ਗੋਭੀ ਆਲੂ ਦੀ ਸਬਜ਼ੀ ਦਾਲ ਦਾ ਲੰਗਰ ਸਭ ਨੂੰ ਖੁਆ ਕੇ ਮੈਂ ਬਾਅਦ ਚ ਲੰਗਰ ਖਾਣਾ।
ਇਸ ਦਿਨ ਪਤੰਗਾਂ ਉੱਡਦੀਆਂ।
ਮੈਂ Deven Mewari ਜੀ ਦੀ ਪੋਸਟ ਪਡ੍ਹ ਰਿਹਾ ਸੀ ਉਹ ਲਿਖਦੇ ਨੇ ਫੁਲ ਖਿੱਲਦੇ ਨੇ ।
ਮਧੂਮੱਖੀਆਂ ਫੁੱਲਾਂ ਦਾ ਵਿਆਹ ਕਰਵਾਉਂਦੀਆਂ ਨੇ।ਉਹ ਪਰਾਗ ਕਣ ਇਕ ਫੁਲ ਤੋਂ ਦੂਜੇ ਫੁਲ ਜਾਂਦੀਆਂ ਨੇ। ਉਹਨਾ ਤੋਂ ਬੀਜ ਬਣਦੇ ਨੇ। ਉਹ ਬੀਜ ਮਿੱਟੀ ਚ ਡਿੱਗਦੇ ਨੇ। ਉਹਨਾ ਤੋਂ ਹੋਰ ਫੁਲ ਖਿਲਦੇ ਨੇ।

ਸਭਨਾਂ ਨੂੰ ਬਸੰਤ ਦੀਆਂ ਵਧਾਈਆਂ।

ਰਜਨੀਸ਼ ਜੱਸ
ਰੁਦਰਪੁਰ, ਉੱਤਰਾਖੰਡ 
ਨਿਵਾਸੀ ਪੁਰਹੀਰਾਂ 
ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ,
ਪੰਜਾਬ 
17.02.2021
#basant
#basant_panchmi
#purhiran

Saturday, February 6, 2021

नैनीताल में बर्फबारी 05.02.2021


जब हम चालीस की उम्र पार कर जाते हैं तो जीवन में एक चुलबुलापन कम होने लगता है, ज़िंदगी में बोरियत होने लगती है ।आदमी खाने पीने का शौकीन हो जाता है, औरतें ज़रुरत से ज्यादा फैशन करने लगती है क्योंकि जीवन में उल्लास की कमीं हो जाती है। 

पर इसी चक्कर में लोग घरों से बाहर निकलते हैं घूमते हैं, फिरते हैं। जवानी का उम्र से ज़्यादा मन की अवस्था से होता है।
एंजल्स ने कहा है,आदमी तब बूढा नहीं होता जब व उसके बाल सफ़ेद हो जाएँ ,बल्कि वो तब बूढ़ा होता है जब वो सपने देखने बंद कर देता है।


मैं तो सपने देखता रहता हूँ।

 एक छुट्टी अचानक मिली तो पंकज का फ़ोन आया कल क्या कर रहे हो? मैंने कहा कुछ नहीं। वो बोला, उसकी भी छुट्टी है तो प्लान बन गया के कल घूमने चलते हैं। सुबह हुई तो दोनों निकल लिये हेडाखान के लिए अपाचे मोटरसाईकल पर । हल्द्वानी पहुंचते पहुंचते प्लान में टविस्ट आ गया कि नैनीताल चलते हैं।  जैसे ही काठगोदाम पहुंचे, भाई वो बादलों की गड़गड़ाहट। हम भी भुट्टा खाने पहुँच गये दो गाँव। जब वहां पहुंचे तो काले बदल घिर आये थे। वहाँ से हम जैसे ही ज्योलिकोट की तरफ बढे तो भयंकर बारिश, औले पड़ रहे थे। हम एक दुकान पर रुके। प्लान हुआ कि मोटरसाईकल लगाकर आगे निकल जाएँ। निशांत को फ़ोन किया। 

निशांत हल्द्वानी से मेरा कूलीग है, वो हमेशा मुस्कुराता रहता है। उसे पूछो क्या हाल है? हमेशा अंगूठा उठाकर मुस्कुराकर कहता है  शानदार। 
तो उसने कहा उसकी मौसी तो है यहाँ पर पास एक गाँव में है। उसने कहा थोड़ी देर रुको तो बारिश हट जाएगी। 
हमने एक बर्तनों वाली दुकान से पॉलिथीन लिया जो मोटरसाईकल की सीट पर आ गया। फिर सीट साफ़ की और आगे चले।
 फिर बारिश बढ़ गयी  फिर एक चाय की दुकान पर रुके। वँहा मैग्गी  बनवा कर खायी और अपनी थरमस से चाए पी। 


फिर हल्की- हल्की बारिश में आगे बढ़ने लगे । दिल में जूनून था के ऊपर नैनीताल में बर्फ गिर रही है तो उसे जाकर जल्दी से देख लूँ । आगे बढे, ठण्ड से बुरा हाल था। पहाड़ की बारिश बहुत खतरनाक होतो है दूसरा मोटरसाईकल फिसलने का डर रहता है तो धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे।
फिर आगे रिया गाँव आया। हम एक चाय की दुकान पर रुके। वहां एक आदमी ने आग जला रखी थी। वँहा आग तापी।  जैसे ही उसकी दुकान देखी मज़ा आ गया। उसने मिट्टी से रसोई बना  रखी थी । मैंने उस से बात करनी शुरू की। उसने बताया वो रिटायर्ड फौजी है ,उसका नाम दलीप सिंह था। 
मैनें उसका स्वैटर देखा, वो बहुत गर्म था। उसने बताया कि यह भेड़ की ऊन का है। 
उसने बताया उसने पठानकोट में नौकरी की है। हमने पुछा यहाँ जंगल में दुकान है तो कभी चीता देखा है? उसने कहा एक बार वो और उसकी पत्नी शाम को सैर कर रहे थे तो सामने एक चीता दिखाई दिया। वो दोनों वहीँ रुक गए। चीते ने उन्हें देखा, सड़क पार की और नीचे खाई में उतर गया ।जब उसने उसे नीचे उतरा देखा भगवान् का शुक्र किया कि आज बच गये।
फिर उसे मैंने अपनी गाँव वाली कविता सुनाई वो खुश हो गया। मैंने देखा उसके मुझसे हाथ मिलाने को दिल कररहा है पर वो झिजक रहा था। मैंने हाथ मिलाया और कहा आपसे मिलकर ख़ुशी हुई। उसने भी यही कहा। 
फिर हम आगे बढे जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे तो देख रहे तो कार के शीशे पर बर्फ जमी हुई थी। मेरा दिल कर रहा था बस उड़कर नैनीताल पहुँच जाऊं।
 जल्द ही हम नैनीताल के झील के आगे फिर हम आगे निकल गए।  हम चल दिए किलबरी की तरफ। वहां ट्रैफिक जाम था। हमने मोटरसाईकल पार्क की और पैदल चल पड़े।
आगे चढ़ते आ गये। आगे जाकर पूछा कि किलबरी कितनी दूर है? लोगों ने बताया समय लगेगा। पंकज को भूख लग गई। हम वापिस नीचे आ गये।
एक लड़का मिला। उसने  होटल में एक हज़ार में कमरा दिखाया। हमने वो फाईनल किया। वहां सामन रखा और हम नीचे मंदिर की तरफ।  मैंने कहा, यार बारिश होने वाली है वापिस चलो।  हम बात कर ही रहे थे के बारिश शुरू।  ये क्या, ये तो बर्फ गिरने लगी।

हम वापिस फिर किसी से पूछा कि साउथ इंडियन कहाँ मिलेगा। पता चला यहाँ एक सरस्वती रेस्त्रां है । हम बर्फ पड़ते पड़ते नीचे पहुंचे।  दिल में लड्डू फुट रहे थे कियोंकि ज़िन्दगी में कभी बर्फ गिरती नहीं देखी थी।  वो सपना आज पूरा हो रहा था। वहां आर्डर किया और बाहर खड़े हो गए। मसाला डोसा खाया ये जल्दी पच जाता है।

फिर जैसे ही बाहर निकले बर्फ गिरने लगी। तो लगा मेरा सपना सच हो गया। हम नीचे बर्फ में चलने लगे। चलते चलते आनंद की सीमा बढ़ने । लगी हम माल रोड पर चलने लगे । साढ़े  छह वजे से साढ़े आठ बजे तक हम वहां घूमें।
सैलानी मज़ा ले रहे थे।

 बर्फबारी के बारे में खास बात पता चली कि  यह दो किस्म की होती है , एक रूईं की तरह ज्यादा देर गिरती है, दूसरी ओल की तरह छोटी-छोटी गिरती है। तो कल जो नैनीताल में बारिश हुई वह ओले की तरह छोटी-छोटी थी।
फिर हम वापिस कमरे में आ गए।
मुझे याद आया एक डाक्टर इंगलैंड में 10 साल रहे। वह बता रहे थे कि वँहा पहले ही ख़बर आ जाती है कि फलाने दिन इतने बजे बर्फ गिरेगी वह अंदाजा बिल्कुल सही होता था। बर्फ गिरने से पहले सरकार द्वारा नमक सड़कों पर फैंक दिया जाता था। वो इसलिए कि बर्फ जल्दी पिघल जाए।
जब सुबहवह उठते तो देखते कार पर फुट तक बर्फ जमी है। क ई बार जब वह कार साफ़ करते तो पता चलता यह तो अपनी नहीं! तो मेहनत बेकार। घरों की दीवारें दो हैं। उनमें रुईं भरी जाती है कि गैप के कारण घर में ठंड ना हो। इसके लिए मकान बश
नते समय सरकार के एक विभाग से यह आडिट की जाती है। यह खर्च उस मकान बनाने वाले का होता है।
सामने देखा, बजाज स्कूटर!
यह तो कमाल हो गया। दो दिन पहले ही मैनें, बजाज स्कूटर की तस्वीर फेसबुक पर डाली थी कि मेरा 16 साल पुराना स्कूटर आज भी पहली किक से स्टार्ट हो जाता है। 
मैनें अपने दोस्तों के एक ग्रुप में डाली, तो मेरे दोस्त ने कहा, बाप रे बाप, बजाज स्कूटर से नैनीताल!
कमरे में आकर खूब गप्पें हाँकी।

बातें होने लगी के एक लड़का है जो इंजीनीयर है उसकी नयी नयी शादी हुई है। वो अपने पत्नी से दूर है , पर वो क्या बातें करे ?
मैंने कहा एक बार एक आदमी मेरे साथ चंडीगढ़ गया। मैंने सेक्टर 17 की मार्किट में जो  माला बेचते हैं उनसे माला देखने लगा। मैंने अपनी पत्नी के लिए एक माला खरीदी।
उसने पूछा, ये क्यों? 
मैंने कहा, अपनी पत्नी को अपनी प्रेमिका समझना चाहिए। उसके भी कुछ अरमान हैं। अगर आप उसे एक ऐसा तोहफा देते हो तो वो खुश हो जाती है।
तो  उसने भी एक माला खरीद ली। जब हम घर पहुंचे तो उसकी पत्नी वो गिफ्ट देखकर ख़ुशी से बोली,  अरे रजनीश ये क्या चमत्कार हो गया? मेरी शादी को 22 साल हो चुके हैं, पर आज तक इन्होनें ऐसा कोई तोहफानहीं दिया।
मैंने कहा, मैंने कुछ नहीं किया। ये तो मैं माला खरीद रहा था तो इन्होने मुझे देखकर माला खरीद ली।
मैंने उसे कहा के अपने मित्र को सलाह दो कि अपनी पत्नी से उसके सूट के बारे में बात करे, उसे लिपस्टिक गिफ्ट करे। पर अगर उसने ये बात की कि, अमेरिका में आज राष्ट्रपति ने यह कहा  तो बात गलत हो जाएगी।
क्योंकि मैंने  ओशो की एस्स धम्मो सनंतनो पढ़ी है। उसमे वो कहते हैं औरत शरीर से जुडी है और आदमी मन से । आदमी  का विषय है, आज काल क्या हो रहा है राजनीति में।  औरत  का विषय है घर के परदे किस रंग के हैं ?मेरे सूट का कौन सा रंग अच्छा रहेगा?
तभी दोनों में खिचाव भी है।


रात सो गए सुबह उठे, फ्रेश हुए।
जैसे ही नीचे खुले मैदान के आगे आए तो देखा सारा मैदान बर्फ से ढका हुआ था। 
फिर हमने भटूरे छोले खाए और चाय पी। चल दिए वापिस।
चलते चलते ज्योलिकोट पहुंचे। तो एक पंछी की आवाज़ सुनाई दी। मैंने मोटरसाईकल रुकवया। वहां देखा एक पेड़ पर दो गिद्ध बैठी हुई थीं। सामने पेड़ से पंछियो की आवाज़ें आ रही थी
वहां कुछ देर बैठे।

फिर रास्ते में रुकते रुकते पहुंचे  दो गाँव और   वँहा भुट्टे  वाले के पास पहुंचे ।वो था नहीं।
वहां से चल दिए रूद्रपुर।
फिर मिलूँगा एक नया किस्सा लेकर।
आपका अपना
रजनीश जस
रुद्रपुर
निवासी पुरहीरां ,
होशियारपुर, पंजाब
05.02.2021


Monday, February 1, 2021

In India still daughter is not aceepted

ਸੋ ਕਿਓੰ ਮੰਦਾ ਆਖੀਯੈ 
ਜਿਤਿ ਜੰਮੇ ਰਾਜਾਨ
ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਇਹ ਸ਼ਬਦ  ਅੱਜ ਵਾਰ ਵਾਰ ਯਾਦ ਆ ਰਹੇ ਨੇ  ਕਿਉਂਕਿ ਕੁਝ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾ ਦੋ ਹਾਦਸੇ ਇੱਦਾ ਦੇ ਹੋਏ ਕੇ ਮਨ ਭਰ ਆਇਆ ।
ਇਕ ਕੁੜੀ ਜੋ ਗਰਭਵਤੀ ਸੀ, ਉਸਦੇ ਪਤੀ ਨੇ ਉਸਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕੇ ਦੱਸ ਬੱਚਾ ਤੇਰੇ ਪੇਟ ਚ ਕਿਸ ਤਰਫ ਹੈ? ਉਹ ਕੁੜੀ ਡਰ ਗਈ ਤੇ ਉਸਨੇ ਆਪਣੀ ਮਾਂ ਨੂੰ ਫੋਨ ਕੀਤਾ ਕੇ ਮਾਂ ਜਲਦੀ ਆਜਾ ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਮੇਰਾ ਘਰਵਾਲਾ ਮੇਰੇ ਪੇਟ ਵਿਚ ਬੱਚੇ  ਨੂੰ ਮਾਰ ਦੇਵੇਗਾ। ਜੇ ਇਹ ਕੁੜੀ ਹੋਈ  ਉਸਦੀ ਮਾਂ ਘਬਰਾ ਗਈ।
ਫਿਰ ਡਰ ਦੇ ਮਾਰੇ ਉਸ ਕੁੜੀ ਦਾ ਅੱਠਵੇਂ ਮਹੀਨੇ ਚ ਹੀ ਡਿਲਿਵਰੀ ਹੋ ਗਈ। ਪਰ  ਸ਼ੁਕਰ ਹੋਇਆ ਕੇ ਮੁੰਡਾ ਹੋਇਆ ਨਹੀਂ ਤਾ ਇਕ ਕੁੜੀ ਹੋਰ ਸ਼ਾਇਦ ਕੂੜੇ ਦੇ ਢੇਰ   ਚ ਮਿਲਦੀ ।
ਇਹ ਤਾ ਸੀ ਇਕ ਅਨਪੜ੍ਹ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਗੱਲ,
 ਹੁਣ ਸੁਣੋ ਪੜ੍ਹੇ ਲਿਖੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਗੱਲ।
 ਇਕ ਔਰਤ ਗਰਭਵਤੀ ਹੋ ਗਈ ਉਸਦੇ ਪਤੀ ਨੇ ਕਿਹਾ ਜੇ ਕੁੜੀ ਹੋਈ ਤਾ ਮੈਂ ਉਸਨੂੰ ਵੇਖਾਂਗਾ ਵੀ ਨਹੀਂ ਤੇ ਆਪਣੀ ਪਤਨੀ ਨੂੰ ਉਹ ਤਲਾਕ ਦੇ ਦੇਵੇਗਾ। ਇਹ ਸਿਰਫ ਇਸ ਲਈ ਕੇ ਉਸਦੀਆਂ ਭੈਣਾਂ ਨੇ ਉਸ ਨਾਲ ਕੁਝ ਬਹੁਤ ਮਾੜਾ ਕੀਤਾ ਸੀ ਤੇ ਇਹ ਕੁੜੀ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਮਾੜਾ ਸਮਝਦਾ ਸੀ। 
 ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਇਹ ਸ਼ਬਦ ਅੱਜ ਵੀ ਸਾਨੂੰ ਰਾਹ  ਦਿਖਾ ਰਹੇ ਨੇ ਪਰ ਸ਼ਾਇਦ ਪਤਾ ਨਹੀਂ ਕਦ ਅਸੀਂ ਗੁਰਬਾਣੀ ਨੂੰ ਜੀਵਨ ਚ ਉਤਾਰ ਕੇ ਇਸ ਧਰਤੀ ਨੂੰ ਦੋਬਾਰਾ ਗੁਰੂਆਂ ਤੇ ਪੀਰਾਂ ਦੇ ਸੁਪਨਿਆਂ ਦੀ ਧਰਤੀ ਬਣਾਵਾਂਗੇ?
 #can_world_run_without_women
#rajneesh_jass

सो क्यों मंदा आखिए 
जित जम्मे राजान
गुरु नानक देव जी के ये शब्द नुझे आज बार बार याद आ रहे हैं के दो हादसे ऐसे हुए के मन भर आया
एक लड़की जो गरभवती थी उसके पति ने पुछा के पेट में बच्चा किस तरफ है? अगर लड़की हुई तो ....
इतना सुनकर वो घबरा गयी और अपनी माँ को फ़ोन किया के माँ जल्दी से आ जाओ
वो इतना घबरा गयी कि आठवे महीने में उसकी डिलीवरी हो गयी पर शुक्र है के लड़का हुआ नहीं तो एक लड़की और कूड़े के ढेर में मिलती
ये तो थी वो अनपढ़ था पर पढ़े लिहे लोगों कि भी सुन लो
एक पढ़े लिखे परिवार में एक औरत जो गरभवती थी उसके पति ने कहा केअगर लड़की हुई तो वो उसे देखेगा भी नहीं और अपनी पत्नी से तलाक ले लेगा क्योंकि उसकी बहनो ने उसके साथ बहुत बुरा विवहार किया था
पता नहीं कब हम अपनी इस धरती को गुरुओ और पीरों के सपने के डझरती बनाएंगे और औरत को वो दर्ज देंगे जिसकी वो हक़दार है?
02.02.2017
आपका अपना
 रजनीश जस
रुद्रपुर, उत्तराखंड
निवासी , पुरहीरां
होशियारपुर, पंजाब

Bachelor Party

 Bachelor पार्टी देखकर मुझे एक चीज़ अच्छी लगती कि हम सब हमेशा जवान रहना चाहते हैं। जवानी तो दीवानी होती है, जो  सही और गलत के परे होती है।
जिस तरह के कपड़े पहनने की मन में इच्छा हो वो पहनना , जो दिल में है बातें बिना किसी पर्दे के बोल सकते हैं । कुछ ऐसी बातें होती हैं जो उम्र भर  हमें अंदर ही अंदर कचोटती रहती हैं।

 जब हम खुलकर हसते हैं, नखचते हैं बिना प्रवाह किए कि कोई क्या कहेगा, ताली मारते है तो 11 किस्म के हार्मोन सीक्रेट होते हैं जो हमें अच्छी से त देते हैं  हमारे चेहरे पर एक नूर आता है, नींद गहरी होती है, हम कई किस्म की बिमारियों से बच जाते हैं।

पर जब हम उदास हैं,  गुस्से में होती तो वह हमारे बुरे हार्मोन पैदा होते हैं जो शरीर में बिमारी पैदा करते हैं। तो  ज़ाहिर है हर आदमी तंदुरुस्त रहने की कोशिश करता है।
 जर्मन का एक शब्द Personna जिसका मतलब है नकाब़। उसी Personna शब्द से बना है पर्सनैलिटी। तो  पर्सनैलिटी है एक नकाब।  हम हर वक्त कुछ ना कुछ  नकाब पहने रहते हैं , जिसके नीचे होता है हमारा असली चेहरा जो हर वक्त बाहर आने को तड़पता रहता है।
 जब हम बैचलर पार्टी में जाते हैं वह मुखोटे उतर जाते हैं । वही मुखोटे को उतारने के लिए शराब बहुत हद तक कारगर सिद्ध होती है।
( मैं यहाँ शराब को अच्छा नहीं बता रहा । सवैंधानिक चेतावनी : शराब पीना सेहत के लिए हानिकारक है)
मैं अपने दोस्तों के साथ बैचलर पार्टी करता हूं उसने हम बिना किसी भेदभाव के पुराने नाम से दिल की बातें करते हैं।

 पंजाबी का एक शेर है जिसका हिंदी तर्जुमा है 

अगर दिल खोल लेते यारों के साथ 
तो आज खोलना ना पड़ता हो ओज़ारों के साथ

 इसका मतलब अपने दिल की बातें जब हम कर लेते हैं तो हम हल्का महसूस करते हैं । जीवन में कभी कहीं कोई हमसे कोई गलती रह गई है, हमें मनपसंद नौकरी या छोकरी नहीं मिली तो वह खालीपन मानसिक तौर पर हमेशा दबाव बनाकर रखता है। 
हम मानसिक तौर पर वही रूक जाते हैं पर समय के साथ-साथ हमारी उम्र बढ़ती जाती है। इसका मतलब है कि हम मानसिक उम्र में तो वहीं रहते हैं पर शरीर बड़ा हो जाता है।
 जो कमी रह गई है उसको स्वीकार नहीं करते उसको हम परमात्मा या किसी का किसी के ऊपर दोष मढ़कर वहीं पर रुके रह जाते हैं।
 कुछ साल पहले मुझे एक आदमी मिला  जिसकी उम्र लगभग 65 साल थी। शादी के बारे में उससे बातें करने लगा । मैनें बताया ख़लील ज़ि ब्रान ने अपनी किताब पैगंबर मे कहा है,
 प्रेमी और प्रेमिका दोनों मंदिर के स्तंभों की तरह हैं जिनमें एक निश्चित दूरी होनी चाहिए। अगर वह करीब आ जाएंगे तो भी मंदिर नहीं बनेगा और अगर दूर होंगे तो भी मंदिर नहीं बनेगा।
 मतलब कि औरत और मर्द को अपनी अपनी एक जगह मिलनी चाहिए।

  बातें होने लगी तो उसने कहा यार मैं तुम्हें अपना एक बात बताना चाहता हूं उसने बताया कि उसकी अपनी पत्नी के साथ उसकी बोलचाल बंद है पिछले दो-तीन साल से ।उसने कहा कि मेरे लिए खाना बना कर रख देती है, चाय बनाकर रख देती है।  मैं इधर से आ रहा हूं तो अगर वो सामने आ जाए तो पीछे हट जाती है। कई बार चाय ठंडी हो जाती है पर मुझे बुलाती नहीं।

 मैंने कहा, बुरा मत मानिए मैं आपकी पत्नी से  मिला नहीं पर मैं आपको यह कहना चाहता हूं कि आपकी पत्नी आपको बहुत प्रेम करती है। 

उसने कहा कि जवानी में उसके समय पर उसके मां-बाप उसकी लड़की से शादी करना चाहते थे जो कि बहुत अमीर थी पर वह इसके प्रेम के चक्कर में पड़ गया और उसे शादी हो गई। 

65 साल की उम्र में वह आदमी  मुझे कह रहा है कि मुझे इस चीज़ का दुख है कि मैंने अपने मां-बाप के कहने पर शादी नहीं की ।
मैंने कहा आप बहुत गलत हो। 
मान लो मैं अभी मैं उठ कर कर जाऊं आपके लिए रसोई से कुछ चाय बनाकर दूं तो क्या शुक्रिया अदा करेंगे? उसने कहा हाँ।
तो मैनें कहा फिर आपके पत्नी इतने साल से आपको खाना बना कर दे रही है क्या कभी आपने उसका कोई धन्यवाद किया? उस आदमी का चेहरा उतर गया।
मैनें कहा क ई रातें उसने जागकर काटी होंगी जब वो खुद बिमार होगी पर आप तो?




पर क्या यह सच है?  हो सकता है हमें जो मिला है वह हमारा मुकद्दर से बढ़कर हो। क्योंकि कुदरत सभी को वो नहीं देती जो वो माँगते हैं बल्कि वो देती है जिसके वह हक़दार हैं। 

 मैंने एक जगह पढा था कि जब आप शाम को सोने लगे तो आप उन लोगों को माफ कर दें जिन्होंने आप को दिन में गुस्सा दिलाया है या दुख दिया है । 
सबसे बडी बात आप खुद को भी माफ कर दें अगर आपने दिन में कोई किसी के साथ गलती की है।

पता नहीं आपको कैसा लगे?  मेरे मन में जो आया वो लिख दिया।
आपका अपना
रजनीश जस
रूद्रपुर, उत्तराखंड
निवासी पुरहीरां,
होशियारपुर, पंजाब
01.02.2021