रविवार है तो साइकिलिंग तो नहीं हो रही लाकडाऊन के कारण। मेरे मन में सुबह एक विचार आया कि वीडियो कॉल के ज़रिए अपने साईकलिंग वाले दोस्तों से गपशप की जाए। फोन पर बात हुई और समय फाइनल हो गया 11:00 बजे का। पहले व्हाट्सएप पर कॉलिंग की हम लोग ज्यादा थे तो फोन जूम एप्प लोड किया। माइक से आवाज़ नहीं आ रही थी तो फिर बडे बेटे को बुलाया । उसने माईक आन किया।
राजेश जी से बात हुई । राजेश सर अपने गांव में कुरुक्षेत्र में हुए हैं। उनके चेहरे से खुशी साफ झलक रही थी, गाँव में रहने का अलग ही आनंद होता है। वो बता रहे थे कि जो पुराने दोस्त है, या गाँव के छोटे बच्चे होते थे अभी बहुत बड़े हो गए हैं। उनसे बात होती है तो पता चल रहा है कि वो कौन कौन हैं? बच्चों को खेत में ले जाकर उनको दिखा रहे हैं कि की गेहूं कैसे कटती है? वो शाम को बच्चों से खिद्दो खेलते हैं, जिसमें मिट्टी की ठीकरियों को गेंद से मारा जाता है।
फिर सुमन जी से बात हुई, उन्होनें हमें एक बहुत ही अच्छी कहानी सुनाई। एक आदमी जंगल में खो गया। दो-तीन दिन तक कुछ न हीं खाया। वो भूख के कारण बड़ी मुश्किल मे आ गया। उसको एक सेब का पेड़ दिखाई दिया। जैसे ही उसने सेब का पेड़ देखा उसकी जान में जान आई। फिर उसने जैसे ही पहला सेब खाया तो उसने परमात्मा का बहुत शुक्रिया अदा किया और सेब का भी। फिर दूसरा, फिर तीसरा, फिर चौथा सेब खाकर उसका पेट भर गया। फिर उसने सेब में नुक्स निकालने शुरू कर दिए, कुछ गंदे लगने लगे। फिर उसने सेब इधर-उधर फेंकने शुरू कर दिए । तो यही शायद आदमी की कहानी थी, उसने भरा पेट होने के कारण धरती की संसाधनों को नष्ट कर दिया था और हर तरफ त्राहि-त्राहि मच गई थी। अब धरती अपना ईलाज खुद कर रही है।
सुरजीत सर जी से बात हुई तो उन्होंने बताया कि लंबार्डी , इटली में किसी से बात हुई थी तो पता चला कि पुलिस ने सड़कों पर घूमते लोगों पर सख्ती नहीं की। तभी इटली में इतना ज्यादा कोरोना का कहर फैला। 1665 में पलेग महामारी दुनियाभर में फैली। इन्ही दिनों निऊटन 7 दिन तक अपने ही कमरे में रहे तो उन्होंने फोर्स ऑफ ग्रेविटी खोज ली वो भी लाकडाऊन में।
राजेश जी से बात हुई । राजेश सर अपने गांव में कुरुक्षेत्र में हुए हैं। उनके चेहरे से खुशी साफ झलक रही थी, गाँव में रहने का अलग ही आनंद होता है। वो बता रहे थे कि जो पुराने दोस्त है, या गाँव के छोटे बच्चे होते थे अभी बहुत बड़े हो गए हैं। उनसे बात होती है तो पता चल रहा है कि वो कौन कौन हैं? बच्चों को खेत में ले जाकर उनको दिखा रहे हैं कि की गेहूं कैसे कटती है? वो शाम को बच्चों से खिद्दो खेलते हैं, जिसमें मिट्टी की ठीकरियों को गेंद से मारा जाता है।
फिर सुमन जी से बात हुई, उन्होनें हमें एक बहुत ही अच्छी कहानी सुनाई। एक आदमी जंगल में खो गया। दो-तीन दिन तक कुछ न हीं खाया। वो भूख के कारण बड़ी मुश्किल मे आ गया। उसको एक सेब का पेड़ दिखाई दिया। जैसे ही उसने सेब का पेड़ देखा उसकी जान में जान आई। फिर उसने जैसे ही पहला सेब खाया तो उसने परमात्मा का बहुत शुक्रिया अदा किया और सेब का भी। फिर दूसरा, फिर तीसरा, फिर चौथा सेब खाकर उसका पेट भर गया। फिर उसने सेब में नुक्स निकालने शुरू कर दिए, कुछ गंदे लगने लगे। फिर उसने सेब इधर-उधर फेंकने शुरू कर दिए । तो यही शायद आदमी की कहानी थी, उसने भरा पेट होने के कारण धरती की संसाधनों को नष्ट कर दिया था और हर तरफ त्राहि-त्राहि मच गई थी। अब धरती अपना ईलाज खुद कर रही है।
सुरजीत सर जी से बात हुई तो उन्होंने बताया कि लंबार्डी , इटली में किसी से बात हुई थी तो पता चला कि पुलिस ने सड़कों पर घूमते लोगों पर सख्ती नहीं की। तभी इटली में इतना ज्यादा कोरोना का कहर फैला। 1665 में पलेग महामारी दुनियाभर में फैली। इन्ही दिनों निऊटन 7 दिन तक अपने ही कमरे में रहे तो उन्होंने फोर्स ऑफ ग्रेविटी खोज ली वो भी लाकडाऊन में।
तो हर बुराई के पीछे अच्छाई भी छुपी होती है।
किसी ओर देश की ही खबर है कि उन्होंने कहा कि लॉकडाऊन खोला जाए क्योंकि पति पत्नी साथ रहे हैं दोनों में थोड़ा सा मनमुटाव से तलाक के केस बढ़ रहे हैं। इससे ये भी सिद्ध होता है कि पश्चिम में भी सहनशीलता बहुत कम है।
प्रेम से बात हुई थी उसने बताया कि काम की भागदौड़ से वह बहुत तंग हो गया था पर अब उसको बहुत ज्यादा राहत मिली है।
उसे अब समय मिल रहा है वह रसोई में जाकर प्याज काटता है। प्याज काटते हुए एक सोच थी कि जब आप उसका छिलका अपने पैर के तले दबा लेते हैं तो आपकी आंख से पानी नहीं निकलता। आप अगर चाकू को पानी लगा लेते हैं तो भी आंखों से पानी नहीं निकलता ।
सुरजीत सर बहुत ही दिलचस्प बात बताई कि एक डॉक्टर है रूद्रपुर में, जिसके पास रमपुरा और जगतपुरा के लोग ही आते हैं, वो बहुत गरीब लोग हैं। उसने बताया कि उसके बाद आज तक कभी कोई दिल की बिमारी का एक भी मरीज़ नहीं आया। यँहा से ये निष्कर्श निकला कि जो दिल की बीमारी होती है जैसे अमीरों को ही होती है।
फिर भी यह भारत में उतनी तेजी से नहीं फैला, इसका पहला सबसे बडा कारण लाकडाऊन है, बाकी इसके दो कारण भारत के लोगों का इम्यून सिस्टम मज़बूत है और उनके बर्दाश्त करने की बहुत ज्यादा शक्ति है।
मेरे लिए बहुत अलग किस्म का अनुभव था कि हम 6 लोग अलग-अलग जगह पर बैठे हुए हैं, मैं सबको देख सकता था और सुन सकता था।
मेरे घर के आगे जो पेड़ है उसका तस्वीर शेयर कर रहा हूँ कि वो 5 अप्रैल से लेकर 19 अप्रैल तक कितना ज्यादा पत्तों से भर गया है। ऐसे ही कुदरत निरंतर हमारे लिए रोज कितने सारे रंग भरती है पर हम अपने काम में इतने व्यस्त है कि हमारे पास उसको देखने का वक्त ही नहीं है। अभी कुदरत ने हमें अभी हमें अपने अंदर झांकने का, अपने आप को समझने का मौका दिया है तो इस मौके का सदुपयोग करें।
ऐसे ही एक नई किस्से के साथ मिलूंगा तब तक के लिए विदा लेता हूँ।
आपका अपना
रजनीश जस
रूद्दरपुर
ऊधम सिंह नगर
उत्तराखंड
#rudarpur_cycling_club
#sunday_diaries
19.042.020
किसी ओर देश की ही खबर है कि उन्होंने कहा कि लॉकडाऊन खोला जाए क्योंकि पति पत्नी साथ रहे हैं दोनों में थोड़ा सा मनमुटाव से तलाक के केस बढ़ रहे हैं। इससे ये भी सिद्ध होता है कि पश्चिम में भी सहनशीलता बहुत कम है।
प्रेम से बात हुई थी उसने बताया कि काम की भागदौड़ से वह बहुत तंग हो गया था पर अब उसको बहुत ज्यादा राहत मिली है।
उसे अब समय मिल रहा है वह रसोई में जाकर प्याज काटता है। प्याज काटते हुए एक सोच थी कि जब आप उसका छिलका अपने पैर के तले दबा लेते हैं तो आपकी आंख से पानी नहीं निकलता। आप अगर चाकू को पानी लगा लेते हैं तो भी आंखों से पानी नहीं निकलता ।
सुरजीत सर बहुत ही दिलचस्प बात बताई कि एक डॉक्टर है रूद्रपुर में, जिसके पास रमपुरा और जगतपुरा के लोग ही आते हैं, वो बहुत गरीब लोग हैं। उसने बताया कि उसके बाद आज तक कभी कोई दिल की बिमारी का एक भी मरीज़ नहीं आया। यँहा से ये निष्कर्श निकला कि जो दिल की बीमारी होती है जैसे अमीरों को ही होती है।
फिर भी यह भारत में उतनी तेजी से नहीं फैला, इसका पहला सबसे बडा कारण लाकडाऊन है, बाकी इसके दो कारण भारत के लोगों का इम्यून सिस्टम मज़बूत है और उनके बर्दाश्त करने की बहुत ज्यादा शक्ति है।
मेरे लिए बहुत अलग किस्म का अनुभव था कि हम 6 लोग अलग-अलग जगह पर बैठे हुए हैं, मैं सबको देख सकता था और सुन सकता था।
मेरे घर के आगे जो पेड़ है उसका तस्वीर शेयर कर रहा हूँ कि वो 5 अप्रैल से लेकर 19 अप्रैल तक कितना ज्यादा पत्तों से भर गया है। ऐसे ही कुदरत निरंतर हमारे लिए रोज कितने सारे रंग भरती है पर हम अपने काम में इतने व्यस्त है कि हमारे पास उसको देखने का वक्त ही नहीं है। अभी कुदरत ने हमें अभी हमें अपने अंदर झांकने का, अपने आप को समझने का मौका दिया है तो इस मौके का सदुपयोग करें।
ऐसे ही एक नई किस्से के साथ मिलूंगा तब तक के लिए विदा लेता हूँ।
आपका अपना
रजनीश जस
रूद्दरपुर
ऊधम सिंह नगर
उत्तराखंड
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#sunday_diaries
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