#कुछ_यादें_गांव_की_1
#some_memories_of_village_1
14.12.2017
अपना गाँव सभी को प्यारा होता है, ऐसे ही मुझे भी है, पुरहीरां, होशियारपुर, पंजाब। गांव में रमेश हलवाई की दुकान, यँहा पर महफिल लगती रहती थी, जब वंहा रहते थे। अब तो मुद्दत हो गई गांव छोड़े हुए।
रमेश की दुकान का गजरेला (गाजर का हलवा), बेसन के लड्डू, बर्फी,,, हर मिठाई लाजवाब।
रमेश की हाजिर जवाबी, शज़िंदादिली सभी का मन मोह लेती। एक बार एक लड़का जो बहुत पतला सा था, वँहा कुछ लेने आया। रमेश बोला, "ये हैं मेरे देश के नौजवान, ये बस गिनती में नौ हैं, "जवानी "तो इन पर आई नहीं।" 😂😂
एक बार एक आदमी अपनी मूँछ को ताव दे रहा था। दूसरा आदमी बोला, वाह क्या मूँछ। तो रमेश कंहा चुप रहता, बोला, "लो जी दोनों तरफ चाहे दो नींबू टिका लो।"😁😁
कोई भी पोलीथीन में दूध या दही लेने आए तो उसे टोक देना, समझाना। कहना, जाओ, सामने ही तो घर है, कोई बर्तन लाओ।
इस बार गाँव गया। रुद्रपुर से लगभग 16 घंटे बाद बस के, सफर से जागा हुआ था। सुबह गांव पहुँचा था। भूख बहुत लगी थी। घर ताला लगा हुआ था चाबी नहीं थी, तो रमेश की दुकान पर गया। हलांकि वो अब चाय नहीं बनाता, पर मेरे लिए बनाई। साथ में ब्रैड खिलाई। फिर मैंने पैसे पूछे तो, उसने मुस्कुराते हुए मना कर दिया। मेरा दिल भी गदगद हो उठा।
सारे दोस्त रोटी के सिलसिले में बाहर बस गए हैं, बिट्टू कनाडा, रिंकू इटली, बिंदा इटली। अब गाँव जाना कम होता है ।
तो लोग हमसे ही पूछ लेते हैं, "आप कंहा से? तो दिल में टीस सी उठती है। मैं मुस्कुरा देता हूँ, आँख भर आती है कि अपने ही गाँव में पराए हो गए हैं।
अपनी ही एक कविता याद कर लेता हूँ
बहुत मुश्किल होता है
अपना गाँव छोड़ देना
बहुत मुश्किल होता है
अपनों को तड़पता छोड़ देना
पर जाना पड़ता है
अपनी पहचान बनाने के लिए
पैसा कमाने के लिए
माँ का इलाज करवाना है
बहन की शादी करवानी है
कोठे की कच्ची छत्त पक्की करवानी है
बापू को सर्दी में शाल दिलवानी है
ऐसी बहुत सी ज़रूरतें हैं
जो गाँव से शहर लेकर आती हैं
पर यह कैसी सड़क है दोस्त
जो गाँव से शहर तो आती है
पर शहर से गाँव नहीं जाती है,
हाँ ,शहर से गाँव नहीं जाती है
#rajneesh_jass
Hoshiarpur
Punjab
14.12.2017
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