रविवार तो फुर्सत, दोस्त, किस्से,कहानियाँ। ठंड बहुत ज्यादा बढ़ गई है, जैकेट डालकर घर से निकला। संजीव जी अपने छोटेबेटे के साथ और शिवशांत पहले से चाय के अड्डे पर बैठे थे। भीम दा ने अपनी मूछें बढ़ा ली है। थोड़ी देर में हरिनंदन आ गया, फिर राजेश जी ।
बातें होने लगी खफ्तवादी समाज की।
मुझे ओशो की सुनाई एक कहानी याद आई।
एक सीधा साधा आदमी अपनी पत्नी के साथ झोंपडी में रहता था। उसके घर पर एक एक संत ठहरे। उन पति पत्नी ने उनकी बहुत सेवा की। वह संत बहुत खुश हुए। तो संत ने कहा मेरे पास एक शंख है, तुम उसमें फूंक मारो। जो भी मांगोगे वह इच्छा तुरंत पूरी हो जाएगी। इतना कहकर वह संत चले गये। उस आदमी ने शंख में फूंक मारी और कुछ रुपये मांगे और एक पक्का मकान। वहां पर रहने लग गया।
अब कुछ समय बाद उसके घर पर एक साधु आकर ठहरे। दोनों पति पत्नी ने उनकी दिल से सेवा की और खाना खिलाया। फिर उन्होनें पूछा कि आपकी क्या इच्छा है? उस साधु ने कहा कि मुझे यह फल चाहिए। तुरंत वह आदमी साथ वाले कमरे में गया। शंख में फूंक मारी, वह फल लाया। उस साधु को खिला दिया। तो वह साधु हैरान क्योंकि इन दिनों में यह फल तो मिलता नहीं था।उस साधु ने पूछा तुमने यह कैसे लेकर आए?
उस आदमी ने बताया, देखो जी, अब आपसे क्या छिपाना। ऐसी बात है कि मेरे पास एक बहुत पहुंचे हुए संत आए थे, उनकी सेवा की तो उन्होनें ने हमें एक शंख दिया। उसमें फूंक मारो, और जो इच्छा करो वह तुरंत पूरी होगी।
साधु ने कहा मेरे पास ऐसा ही महांशंख है, तुम एक मांगो तो वह दो देगा।
उस गरीब आदमी के मन में लालच आ गया। तो उसने कहा आप तो साधु हैं ,आप मुझे वह महां शंख दे दीजिए।
वह साधु बोला जैसे हरि इच्छा। हम तो ठहरे सन्यासी, हमको माया से क्या?
उनका यह ठीक है आप महांशंख ले लो और मुझे अपना शंख दे दो।
वह संत उसका शंख लेकर तुरंत भाग गया।
जैसे ही शंख उस आदमी के हाथ आया वह कमरे में गया। उसमें फूंक मारी और कहा एक हज़ार, तो अवाज़ आई दो हज़ार लो। पर आया कुछ नहीं। उस आदमी ने कहा कहाँ हैं दो हज़ार? पर फिर भी कुछ नही आया।
लह आदमी बोला, कब मिलेगा?
उस शंख से आवाज़ आई, मिलेगा तुम्हें कुछ नहीं पर तुम जो भी बोलोगे तुम्हें मैं दुगना करके सिर्फ सुनाउंगा। इस पर उस आदमी ने अपना माथा पीट लिया।
इसी तरह मल्टीनैशनल कंपनी हमारी लूट करती हैं, दिखावा देकर लूट लेती हैं।
इसी विषय पर ओर बहुत सारी बातें हुई। संजीव जी ने एक फिल्म की कहानी सुनाई जो उन्होनें 10 साल पहले देखी थी। एक बंद जगह पर एक कुछ लड़के लड़कियां रह रहे हैं। हर रोज़ एक स्क्रीन दिखाई जाती है उस में दिखाया जाता है वहां पर पहाड़ है, झरना है। उसमें का कभी किसी की लॉटरी लगेगी तो उसको वँहा भेज देंगे। कुछ दिन बाद एक लड़की की लॉटरी निकली। तो पता चला कि उसको मार दिया गया। एक लड़का जो उसे प्यार करता था, उसने वह उसकी जब खोजबीन शुरू की तो उसको पता चला कि कुछ गड़बड़है। वहां से निकल के भागा और उसके पीछे स्कुयरिटी लग गयी। उस ने देखा कि यह जो लड़के लड़कियां हैं किसी अमीर आदमियों का कोलोन हैं। जब भी उस अमीर आदमी का कोई अंग खराब होता है तो उसके कोलोन को कहा जाता है तुम्हारी लाटरी निकली है। फिर उसे उस टापू का लालच देकर वँहा से निकाला जाता है। फिर उनका अंग निकालकर उस में डाल दिया जाता है।
मुझे मटरू की बिजली का मंडोला फिल्म का एक सीन याद आ गया। मीलों तक फैली खाली ज़मीन देखकर एक नेता और इंडस्ट्री वाला बात कर रहे हैं। इंडस्ट्री वाला कहता है कि यहां पर हम बहुत बड़ी इंडस्ट्री लगा सकते हैं। नेता बोला फिर तो लोग वँहा कखम करके पैसे कमाकर अमीर हो जाएंगे और हमारे बराबर पहुंच जाएंगे। तो इस पर वह इंडस्ट्री वाला मुस्कुरा कर बोला, नहीं ऐसा नहीं होगा। हम साथ में शराब खाने और जुए की दुकान खोल देंगे। वह जितना भी पैसा कमाएंगे वह सारा हमारे पास ही पहुंचने वाला है। कुल मिलाकर वह हमारे सिर्फ नौकर होंगे "
जब भी बिग बाजार से निकलते लोगों को देखता हूं तो अब यह शापिंग करके कितने खुश हो रहे हैं पर कार्पोरेट सैक्टर के मालिक कितनी सफाई से हमारी जेब काट लेते हैं पर हमें पता भी नहीं चलता।
मुझे एलडस हक्सले याद आ गया जो जर्मन का एक राइटर था, वह अमेरिका का में जाकर बस गया था। जब पहली बार सिनेमा की खोज हुई तो उसने कहा कि आदमी की सोच को खत्म करने वाला पहला यंत्र पैदा हो गया है। फिर उसके बाद में रेडियो आया तब भी उसने यही कहा, फिर जब उसके बाद टीवी आया तब भी उसने कहा।
चाय आती रही और चाय हम पीते रहे ब्रेड भी पकोड़े खाए।
संजीव जी बहुत अच्छी बात बताई थी कि जैसे अभी व्हाट्सएप फेसबुक की खरीद ले उसकी प्राइवेसी पॉलिसी चेंज हो रही है। तो वह कह रहे थे कि अगर व्हाट्सएप फ्री में है तो वह फ्री नहीं है। क्योंकि कहते है,
If the product is free , then you are the product.
इस द प्रोडक्ट इस फ्री देने यू आर द प्रोडक्ट ।इसका मतलब यह है कि जब हम फेसबुक चला रहे हैं उसके दौरान जो ऐड होती है आप उसको देखते हो तो उस से जो शॉपिंग होती है तो फेसबुक वालों को पता चल जाता है कि कौन सा बंदा कितनी बार क्या चीज देखता है?
एक बार एक राजा के एक संगीतज्ञ बड़े गुण गाता है । राजा कहता है तुम्हें 100 अशर्फियाँ ईनाम। वह ओर गुण गाता है तो राजा 500 सोने की मुद्राएँ घोषित करता है। उसके बाद संगीतज्ञ अपना संगीत खत्म करके घर आता है। वह अपनी पत्नी को बताता है कि आज मेरे को राजा ने 500 सोने की मुद्राएँ ईनाम में देने की घोषणा की है। उसके बाद कई दिन तक जब कुछ नहीं आया तो फिर वह राजा के पास गया। उसने सोचा राजा भूल गये होंगे। उसने कहा आपने 500 सोने की मुद्राएँ इनाम में घोषित की थी पर मिलीं नहीं। तो राजा ने कहा जैसे तुमने मेरे कानों को खुश किया था तो मैंने भी अपनी बातों से तुम्हें तुम्हारे कानों को खुश कर दिया।😀😀
राजेश, संजीव और हरिनंदन चले गये। मैनें और शिवशांत ने साइकिल पर एक चक्कर लगाया।
जितना खप्त वादी समाज है यह आप को बहलाता है खुश करने का वादा करता है पर आप समझदार बने रहें अपनी ज़रूरतों और ख्वाहिशों के बीच जो इतनी बड़ी महीन से लकीर होती हैं उसको देखते रहें।
फिर मिलेंगे एक नए किस्से के साथ।
आपका अपना
रजनीश जस
रुद्ररपुर, उत्तराखंड
निवासी पुरहीरां, जिला होशियारपुर
पंजाब
17.01.2021
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