रविवार है तो साइकिलिंग फुर्सत, दोस्त, किस्से कहानियाँ। ठंड अपनी पूरी जवानी पर है । मैं 8:00 बजे के बाद में घर से निकला। संजीव जी मेरा इंतज़ार कर रहे थे। मोड़ पर पहुंचे संजीव जी ने बताया कि उनकी साइकिल की हवा निकल गई है तो मैं उनके साथ पैदल ही पहुंचा चाय के अड्डे पर।
आज दो जगह महफिल लगी हुई थी। आग जला रखी थी। भीम दा बीडी सुलगा रखी थी।
हम भी बैठ गए और फिर बातें होने लग गई कि बच्चों के बारे में।
जब वह 14 साल के होते हैं तो उनमें बहुत सारे बदलाव आते हैं। जैसे चेहरे पर मुहांसे होना, गुस्सा बढ़ जाना इत्यादि। जो लड़कियां होती हैं उनको उनकी माँ समझ सकती हैं और जो लड़के हैं उनको उनके पिता ।
ओशो कहते है कि हर 7 साल में हमारा शरीर पूरा बदल जाता है ,तो 14 साल बाद दो शरीर बदल चुके होते हैं ।
अब तो लाकडाऊन के कारण बच्चे घर पर ही बैठे हैं। उनका शारीरिक व्यायाम कम हो गया है और मेंटल स्ट्रेस बढ़ गई है। जिसके कारण बच्चे डिप्रेशन में जाने शुरू हो गए हैं। तो उन बच्चों को हमें कहना चाहिए कि वह पार्क में जाएं खेलने। कविताएं, किस्से कहानियां सुनानी चाहिए।
तब तक पंकज भी आ गया।
घर में जब दो बच्चे बड़े होते हैं तो कई बार एक को ज्यादा प्यार मिलता है और एक को कम । जिन को कम प्यार मिलता है तो वह निराशा की ओर जाने लगते हैं। दोनों बच्चों को एक समान रखना है वाकई मुश्किल होता है।
किशोर अवस्था आते आते ऊर्जा का एक नया संचार होता है पर बच्चों को पता नहीं चलता कि वह किशोरावस्था में ऊर्जा का करना क्या है? और उस ऊर्जा को सकारात्मक मनाने के लिए हमें उन्हें समझना होगा। अपनी उम्र को भूल जाएँ और बच्चों को दिन में एक बार गले से ज़रूर लगाएं। इस तरह से भी उन्हें समझा जा सकता है।
हम जैसे कि एक परिवार था उसमें दो बेटे थे। तो दोनों में से पिता एक को इतना ज्यादा प्यार करता था एक को कम। जिसको कम प्यार करता था उसने अपनी मां को शिकायत लगाई कि पिता जी हर वक्त मुझे डाँटते रहते हैं। यह बात जब पत्नी ने अपने पति को समझाई तो पिता को भी एहसास हुआ । वह अपने बेटे को घुमाने लेकर गया उसको जूस पिलाया। उसके साथ कुछ समय व्यतीत किया। फिर उसका बेटा उसका दोस्त बन गया।
इसके बाद में बातें होने लगे पत्नियों के बारे में। बात हुई कि आदमी नौकरी से शाम को घर लौटता है उसके बाद में उसकी पत्नी, बच्चों और माँ बाप की अपेक्षाएं कैसे पूरी हो? आदमी के अपने लिए बिल्कुल भी समय नहीं रह जाता। इसके लिए कुछ बातें हुईं।
दो लडकों की नई-नई शादी हुई। एक लड़के ने तो शादी के समय पर अपनी पत्नी को हीरे की अंगूठी बनाई और बहुत सारा खर्चा किया। उसके दूसरे भाई ने साधारण कपड़े खरीदें । अब शादी के 15 साल बाद अब यह हालात है जिसने साधारण कपड़े खरीदे थे वह अब अच्छा जीवन व्यतीत कर रहा है । पर जिसने पहले फिज़ूल खर्च किया था उसके पास अब घर का खर्च करने को पैसे नहीं है।
मेरा एक दोस्त है जसविंदर भंबरा, वह हमेशा कहता है कि आपने जब आपकी शादी हो अपनी को पत्नी को दोस्त समझो। उसको पहले ही दिन उस जगह लेकर जाओ जो आप उसे सारी उम्र लेजा सकते हो। कँही ऐसा ना हो पहले दिन तो फाईव स्टार होटल ले जाओ और बाद में रेहडी पर ही खिलाने ले जाओ।
शादी के बाद पत्नी की हमेशा इच्छा होती कि उसका पति उसे कोई न कोई गिफ्ट दे।
मुझे याद आ रहा है मैं एक बार किसी के साथ चंडीगढ़ सैक्टर 17 की मार्केट घूमने गया। वह म उम्र में मुझसे बड़ा था। जब मैं मार्केट में गया था मैं लड़कियों के गले में डालने वाले हार देखने लगा। तो उसने अपनी पत्नी के लिए हार खरीद लिया। जब मैं घर आया तो उसकी पत्नी ने बताया उनकी शादी को 20 साल हो चुके हैं पर उसके पति उसके लिए पहली बार कोई गिफ्ट लेकर आए हैं, कि मह तो कमाल हो गया।
मेरा एक मित्र दोस्तो के साथ घूमने का शौक था।उसने कहा उसकी पत्नी उसको अकेला छोड़ती ही नहीं। मैंने कहा कि तुम एक बात बताओ कि जब तुम्हारा सर दर्द होता है त9 कौन सिर को दबाता है?
उसने उत्तर दिया, उसकी पत्नी।
मैंने पूछा जब तुम्हारी पत्नी का सिरदर्द होता है तो तुमने कभी दबाया?
उसने जवाब दिया नहीं।
तो मैंने कहा जब तुम्हें उसको उसकी स्पेस (जगह) नहीं दे रहे हो तो वह तुम्हें तुम्हारी स्पेस कैसे देगी?
ओशो कहते हैं जब आप किसी से प्रेम करते हैं तो वह ऐसा होता है कि जैसे फूल को प्रेम करते हैं तो आप उस पेड़ को पानी देते हो ना ? ऐसा तो नहीं कि फूल को तोड़ कर अपनी जेब में डाल लेते हो? शादी के बाद अक्सर ऐसा ही होता है अच्छी भली लिखने वाली लड़कियां या लड़के , शादी के बाद बिल्कुल ही बदल जाते हैं। उनका चुलबुला पर खो जाता है। एक दूसरे पर कब्जे की भावना से यह सारा संबंध विशाक्त हो जाता है।
शादी के 15 साल बाद बहुत कम पतिहोंगे जो खाना स्वाद बनने पर अपनी पत्नी के हाथों की प्रशंसा की हो या उसके नये सूट पहनने पर कहा हो, कितनी सुंदर लगती हो ? नहीं, क्योंकि आदमी सोचता है पत्नी तो घर में बाकी वस्तुओं की तरह ही एक वस्तु है।
अभी कुछ समय पहले एक लड़का मिला उसने कहा अपनी पत्नी को कहा कि जब तुम अपने कालेज जाओ तो अपने बॉयफ्रेंड के साथ चाय पी सकती हो। ऐसी आज़ादी देने के लिए जिगरा चाहिए । ऐसी आज़ादी अगर आप किसी को देते हो तो वह भी आप हो उतनी ही आज़ादी देता है।
मैंने बताया कि मानलो आपकी पत्नी ने हर रोज़ यह कह रही है कि उसे लाल रंग का सूट चाहिए आपने एक दिन समय निकाला आप उसे मार्केट लेकर गये।
अब लाल कलर का सूट दिलवा दिया। वह घर आकर कहे , नहीं वह पीले वाला ज़्यादा अच्छा था ना?
अब अगर आपके आदमी वाले मन ने कहा कि तुमने मुझे इतनी देर से तंग कर रखा था अब तुम य। कह रही हो! तो सारा मामला बिगड़ जाएगा। आप कहो, हाँ तुम ठीक कह रही हो। औरत को समझने के लिए और थोड़ी सी औरत अपने में हमेशा रखो।
बाकी जो हमने लिखा है कि इसके बाद कारल गुस्ताख जुंग का एक विचार है, There is only one golden rule in life there is only one golden rule.
जिंदगी जीने के लिए कोई भी परिपक्व रास्ता नहीं होता जैसा आप चलते जाते हैं वैसे रास्ता बनता जाता है।
मुझे फिर पैगंबर किताब के खलील जिब्रान की बात याद आती है, "प्रेमी प्रेमिका मंदिर के दो सतंभ होते हैं अगर लह बहुत करीब आ जाएंगे तो भी मंदिर नहीं बन पाएगा और वह बहुत दूर होंगे तो भी छत्त गिर जाएगी।"
पति पत्नी को प्रेमी प्रेमिका की तरह रहना चाहिए हालांकि यह बहुत मुश्किल लगता है। पर अपनी ही पत्नी को अपनी प्रेमिका समझना पर यह भी आपको नया अनुभव देता है।
अपने अंदर हमेशा एक लड़का जिंदा रखें, उम्र के बहुत ज्यादा संजीदगी ना बढ़ जाए उसके अंदर हमेशा एक बच्चा और चुलबुलापन ज़िंदा रहना चाहिए, जो चुटकुले सुनाने वाला हो,हँसने हँसाने वालाहो।
बातों के साथ साथ चाय पी ब्रेड पकौडा खाया।
फिर लौट आए घर को।
फिर मिलेंगे एक नये किस्से के साथ।
आपका अपना रजनीश जस
रूद्दपुर, उत्तराखंड
निवासी पुरहीरां,
होशियारपुर, पंजाब
10.01.2021
#rudarpur_cycling_club
बढ़िया 👍
ReplyDelete