Woman Day
औरतों के बारे में गुरु नानक देव जी जी ने लिखा है
*सो क्यों मंदा आखिए
जित्त जम्मे राजान*
जित्त जम्मे राजान*
इसका मतलब है कि उसको बुरा क्यों कहे क्योंकि उसने राजाओं को, ऋषि-मुनियों को पैदा किया। कुछ ऋषि-मुनियों ने अपने आप को महान बता दिया और औरत को नर्क का द्वार कहा। हमें इस सोच से ऊपर उठना होगा।
औरत पैर की जूती नहीं। लोग जो इसको जूती समझते हैं वो अपनी मांँ का ही निरादर करते हैं जोकि उनको भी जन्म इक औरत ने ही दिया है ।
औरत पैर की जूती नहीं। लोग जो इसको जूती समझते हैं वो अपनी मांँ का ही निरादर करते हैं जोकि उनको भी जन्म इक औरत ने ही दिया है ।
आदमी का काम है पैसा कमाना, परिवार के लिए सुख साधन इक्ट्ठा करने। औरत का काम है पैसे का सदुपयोग करना, बच्चों को अच्छे संस्कार देना, मकान को घर बनाना, वो घर की छोटी बड़ी सारी चीजें बनाती है ।आदमी परेशान होता है तो वह हमेशा औरत से शांति का आशीर्वाद पाता है। शिव शक्ति का प्रतीक है और पार्वती माया की।दोनों के मिलन से सृष्टि पैदा होती है चलती है।
तो संसार सिर्फ औरत से, और ना अकेले आदमी से चलेगा। दोनों को मिलजुल कर जीवन की गाड़ी खींचनी होगी । सुख-दुख इकट्ठे झेलने होंगे, बच्चों को पढ़ाना होगा, नए सपने देखने होंगे, पंख लगाकर आसमान में उड़ने के सपने।
अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दे मुझे
इश्क के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
आपको भी चेहरे से बिमार होना चाहिए
# मुनव्वर राना
*रिटायर नौकरी से हुए हैं जिंदगी से नहीं*
कल मेरी पत्नी ऑटो में बैठकर कहीं जा रही थी तो ऑटो में एक लेडीआकर बैठी जो लगभग 60 साल की होगी । पंजाबी सूट, पंजाबी जूती , बहुत बन ठन कर आई थी। बड़ी खुश नजर आ रही थी वो।
उसने मेरी पत्नी को बताया कि वह पिछले ही साल रिटायर हुई है। 35 साल स्कूल में नौकरी की। जिंदगी की जद्दोजहद में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी इच्छाओं का कई बार गला घोंटा। बच्चों की पढ़ाई ,कपड़े सिलवाने के लिए, कई बार अपने नए सूट नहीं सिलवा पाई वो। हार श्रंगार करने का मन होता तो वो नहीं कर पाती थी।
चंडीगढ़ में पली बढ़ी थी और फिर आके रुद्रपुर में रहने लग गई थी । बड़े शहर से आकर छोटे शहर में व्यस्त होना और वहीं पर पूरी जिंदगी बिता देना बहुत बड़ी बात है।
उसने बताया कि वह रिटायर होने के बाद 12 लेडीज़ ने मिलकर किट्टी डाल रखी है । वह महीने में एक बार जरूर मिलती हैं। बहाने से हर महीने नए सूट सिलवा लेती हैं और खूब गपशप करती हैं । एक दिन के लिए रसोई से छुट्टी हो जाती है।
अपनी जिंदगी के पुराने दिनों को याद करते हुए उसने यह भी बताया कि आज एक औरत घर से रो कर आई थी, शायद उसके पति उसको किट्टी पार्टी में आने नहीं दे रहे थे। वो कहने लगी अभी तो वो रिटायर हो गई , बूढी हो गई है, अब कहां वह भाग जाएगी? जब भागने की उम्र थी तक तो नहीं भागी।
इस औरत ने उसको कहा ,अब पति से डरना छोड़ दे। अपने ढंग से अपनी जिंदगी जी, जो पूरी उम्र नहीं बदला अब क्या बदलेगा? वैसे ही घटियानूसी सोच लेकर धरती पे आया और ऐसे ही घटियानूसी सोच लेकर इस संसार से विदा हो जाएगा। तू उसके लिए अपनी जिंदगी मत बर्बाद कर ।
उसने बताया कि बच्चे अब बड़े हो गए हैं। जिन बच्चों के लिए विषय में अपनी खुशियां की कुर्बानी दी वह बड़े होकर अपनी पत्नी की बाजू में बाजू डाल कर फिल्म देखने चले जाते हैं और मां-बाप को पूछते भी नहीं मांँ तुम चलोगी क्या? तो यह सब देखते हुए उसने यह फैसला किया कि जिंदगी को अपने ही ढंग से, अपने ही रंग से जीना है ।अब समझौता करने का कोई वक्त नहीं है।
लड़कियां जो पैदा होती है पहले भाई का डर ,मां बाप का डर, फिर पति का डर किसी डर में उनकी सारी जिंदगी बीत जाती है । बहुत कम औरतें होती हैं जिनको की कुछ ऐसी जगह मिले , जिसमें वह पूरा खिल सकें, अपनी पूरी जिंदगी को जी सकें।
मैं यह किस्सा आपको इसलिए सुना रहा हूं कि हमारी भी पत्नी है, हमारी बेटी है, वो कहीं ऐसी ही गुलामी का शिकार ना हो जाए । हम भी उसको पूरा जीने का मौका दें। समय दें, स्थान दे, वह मुस्कुराते हुए जिंदगी जी सकें।
इतना कहते हुए वो ऑटो से उतरी । यह सारी बात मेरी पत्नी ने मुझे सुनाई, तो मैंने इस किस्से को यही नाम दिया कि "हम नौकरी से रिटायर हुए हैं जिंदगी से नहीं।"
आज के लिए अलविदा, फिर मिलेंगे एक नए किस्से के साथ।
08.03.2019
Rajneesh Jass
Rudrarpur
Uttrakhand
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