Saturday, November 24, 2018

Tea With Rajneesh Jass 25.11.2018

अच्छा है दिल के पास रहे पासवान -ए अक्ल
पर कभी-कभी इसे तन्हा भी छोड़ दीजिए
# नामालूम

आज सुबह साइकिलिंग के लिए निकला। सुरजीत सर सैर करते हुए मिल गए । फिर हम पहुंच गए अपने चाय के ठिकाने पर ।
सर ने चाय के साथ फैन का ऑर्डर दिया। हम चाय पीने लगे । राजेश सर भी आ गए ।चाय के साथ फैन खाकर कॉलेज के दिन याद आ गए। और बातें शुरू हो गई बच्चों की , स्कूल की ,जिन्दगी की । मैंने कहा कि  जो लोग हमें धोखा देते हैं वह हमें जिंदगी का कुछ सबक सिखाना चाहते हैं। हमें अपने बच्चों को ये बताना है कि दुनिया में सिर्फ सीधे साधे लोग ही नहीं हैं:  बल्कि यंहा पर चोर भी हैं , ठग भी हैं। हमें हर तरीके  के लोगों  के साथ  रहने  का हुनर आना चाहिए।
जैसे एक कहानी ओशो कहते हैं कि एक शिष्य अपने गुरु के पास गया । गुरु ने कहा अगर तुम सचमुच में कुछ सीखना चाहते हो तो यह परीक्षा बहुत कठिन है। शिष्य ने हां कर दी । गुरु ने कहा, तुम्हें हमेशा जागते ही रहना है वह कभी भी डंडे से पिटाई  कर सकता है। एक  दिन शिष्य खाना खा रहा था गुरू ने पीछे से डंडे डंडे से पिटाई कर दी । फिर धीरे-धीरे वो शिष्य  सहर वक्त सावधान रहने लगा। गुरु के कदमों की आहट बाद उसे पहचानने लगा। समय बीतता गया। एक दिन उसका गुरु सर पर लकड़ियों के गठरी उठाए उठाए हुए आ रहा था किसी ने सोचा कि रोज मुझे तंग करता है आज देखते हैं ये खुद कितने पहुंचे हुए हैं  ।तो उसने झूठ दूर से ही एक डंडा मारा । गुरु ने लकड़ी की गठरी में से एक लकड़ी निकाली और उसके डंडे को साइट पर मार कर फेंक दिया । जिसे देख कर शिष्य बहुत हैरान हुआ । शिष्य ने पूछा ,आपको कैसे पता चला?  तो गुरु ने कहा जब तुम्हारे मन में यह विचार उठा ही था  तो तुरंत मैंने वह बात सुन ली थी ।

सुरजीत  सर  एक बात सुनाई कि उनके स्कूल में भी एक लड़का था जो पढ़ने में एवरेज था। उसे ड्राइंग का शौक था। स्कूल टीचर उसे उसके शौक  से मिलते जुलते काम सौंप देते थे जो कि उसके ड्राइंग के पैशन को पूरा कर रहे थे । फिर वो दिल्ली यूनिवर्सिटी चला गया ।अब उसकी एग्जीबिशन दुनिया के बहुत सारे देशों में लगती रहती है।
 तो गुरु का काम है के शिष्य के अंदर जो गुण है, उसे तराश कर बाहर निकालने में मदद करना।

मेडीटेशन, अमेरिका और भारत की संस्कृति पर लंबी बातचीत हुई।
राजेश सर से भी गपशप हुई। धूप में खड़े  होकर विटामिन डी लिया। फिर घर वापस ।
आज के लिए अलविदा ।
फिर मिलेंगे ।

Saturday, November 17, 2018

Cycling in Nature 18.11.2018

आइंस्टाइन ने कहा है , जीवन जीने के दो ढंग है
एक तो ये है  कि कुछ भी करिश्मा नहीं,
दूसरा ढंग  ये है  कि हर शै करिश्मा है ।

मेरे लिए :  सुबह उठना,  साँस लेना, दिल का धड़कना, सूरज को देखना ,साइकिलिंग करना ,नई नई बातें सीखना , आपको बताना भी करिश्मा है ।

आज सुबह उठा । गरम पानी में हल्दी डालकर पी,  लहसुन की फाँक निगली और चल दिया साईकिलिंग पर।
आप सोच रहें होंगे कि हल्दी?
जी हाँ,  हल्दी हमारे शरीर में से गंदगी साफ करके हमारे अंदर रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा करती है। लहुसन की फाँक दिल के लिए बहुत अच्छी रहती है।
फिर पहुंच गया स्टेडियम।
 हेम पंत अपने दोनों बच्चों के साथ आए हुए थे और पंकज अभी पहुंच गया था।
फिर शुरू हुई बातें,  गपशप।
 अमेरिका में एक मोटिवेशनल गुरु है रोबिन शर्मा । उन्होंने क्लब बनाया है "5:00 a.m. क्लब" । उसमें वह बताते हैं कि सुबह उठ कर हम अगर घूमते हैं कुछ नया करते हैं तो हमें जिंदगी का नया अनुभव मिलता है।  लोग जो आलसी होते हैं सुबह उठते हैं और दफ्तर चले जाते हैं । उनकी ज़िंदगी मशीन जैसी हो जाती है।
पर जो लोग जिंदगी में कुछ नया अनुभव करना चाहते हैं, सुबह उठकर सूरज को देखते हैं,
 पेड़ों में पत्ते ,फूलों को देखकर  मुस्कराते हैं
 ठंडी गर्म हवाओं को महसूस करते हैं।
 रॉबिन शर्मा ने एक बार ये भी बात कही थी, अगर दिन में हम एक घंटा टीवी कम देखें, तो पूरे साल भर में 365 घंटे हमारी जिंदगी के बढ़ जाएंगे , बिना कुछ भी किए। उन 365 घंटों का हम क्या उपयोग करते हैं  ये हमारे ऊपर निर्भर करता है। अगर हम उसका सदुपयोग  करते हैं,  अपने आप को तराशने में लगाते हैं तो हमारी जिंदगी पूरी तरह से बदल सकती है ।

मैंने यह बात हेम पंत से की तो उन्होंने कहानी सुनाई।
 एक किसान था, उसकी बहुत सारी जमीन थी और उस में बहुत सारे लोग काम करते थे। पर वह कभी उनको देखने नहीं जाता था।
धीरे -धीरे खेती कम होने लगी उसे घाटा पढ़ने लगा। फिर उसको एक संत मिले। उन्होंने  बताया कि अगर वह सुबह सूरज चढ़ने से पहले एक सुनहरी चिड़िया को देखेगा तो उसके काम में बढ़ोतरी हो जाएगी । फिर वह सुबह उठकर खेतों में चक्कर लगाने लगा। उसने देखाककि खेतों में से अनाज चोरी हो रहा है, लोग काम नहीं कर रहे हैं ।उसने फिर लोगों को डांटना शुरू किया जो उसकी खेतों में मजदूर थे ।धीरे-धीरे वो खेती करने लगे और वह फिर दोबारा से अमीर हो गया।


उसने उस संत से पूछा कि वो सुनहरी चिड़िया तो मिली नहीं।
उस संत ने जवाब दिया,  सुबह उठना ही सुनहरी चिड़िया से मिलना था।
😊😊

 यह कहानी एक प्रतीक है हमें सिखाने के लिए।
 फिर पंकज से बातें हुई स्पेस के बारे में,  इस ब्राह्मंड की कैसे उत्पत्ति हुई? ऐसी सोच कर हम हैरान हो जाते हैं कि इस ब्राह्मण का कोई अंत नहीं है । यह पृथ्वी ब्राह्मंणड में पूरे मिट्टी के तिनके के बराबर है और उस ब्राह्मांड में हमारा अस्तित्व ना के बराबर ही है। यह भी क्रिश्मा ही है जो पहाड़ों में बर्फ पड़ती है तो वहां से ठंडी हवाएं नीचे मैदान में आकर ठंड कर दी है। जिंदगी को महसूस करने की शक्ति हमारी जितनी ही बढ़ती जाती है, हम उतना ही कुदरत के आगे नतमस्तक होते जाते हैं और उसका आनंद मनाते हैं ।

जापान में रह रहे भारतीय कवि और लेखक परमिंदर सोढी की एक हाईकु कविता है
"आएंँ अपने ही होने
का जश्न मनाएँ
कितना खूबसूरत है
हमारा होना"


आज के लिए इतना ही। फिर मिलूंगा,
 एक नए  किस्से के साथ।
 तब तक के लिए अलविदा।
#rajneesh_jass
Rudrapur
Distt Udham singh Nagar
Uttrakhand 

Sunday, November 11, 2018

#memories_goverment_polytechnic_bathinda_part_one

#कुछ_खट्टी_मीठी_यादें -1

बठिंडा पालीटेकनिक (1993-96) में नवतेज से दोस्ती हुई। उसका गांव घर होशियारपुर से कुछ दूरी पर माहिलपुर के पास सकरूली है।  मैं अक्सर उसके गांव जाता था। मुझे शौक था, पिछले दिन की सूखी रोटी मक्खन के साथ खाता। जब भी मैंने जाना तो नवतेज मजाक में अपनी मम्मी से कहता, "जितनी भी पुराने दिनों की रोटियाँ हैं,गांधी (मेरा होस्टल का नाम)  को दे दो, मक्खन के साथ।आंटी उसे टोक देते," कुछ शर्म करो तेरा दोस्त है।"

आज मक्खन के साथ रोटी खा रहा था तो ये याद आ गया।ये दुनिया के सबसे लजीज़ खाने में से एक है।
उसके घर के पीछे एक पेड़ पर बहुत सारे मोर थे,  अक्सर उनकी छत्त पर आ जाते। मुझे बहुत पसंद था वो पेड़। वो कहता "तेरी शादी कर देते हैं मोरनी से, यंही पेड़ पर रह जाना। "
बस ऐसे मजेदार मजाक होते।
शाम को सूरज छिपते ही चुल्हे पर बनी ताजी- ताजी रोटियाँ खाते। आठ बजे तक तो हम सो जाते।
खेत में जाकर मूली, गाजर खाते। भैंस को नल्के से पानी पिलाते।
ज्योति,  उसका छोटा भाई। उसे शौक था उसके पास  बुलेट मोटरसाईकल हो और वो उसे पूरे गाँव में घुमाए।

मैंने एक बार उनके नलके की मोटर खोल दी। फिर वो मुझसे दोबारा  फिट ना हुई।
मैं अपने घर  पुरहीरां,  होशियारपुर आ गया। जब अगली बार नवतेज के गांव गया तो नवतेज  जाते ही बोला, "और जो कुछ मर्जी करना पर नल्के को हाथ मत लगाना। पिछली बार नल्का माहिलपुर जाकर ठीक करवाया। तुम बहुत पंगे लेते रहते हो।"😁😂

सुबह को अंक्ल आंटी सुबह 4 बजे उठ जाते। सारा काम निपटा देते।
टेलीफोन पास की करियाने की दुकान पर आता था।  उस वक्त मोबाइल नहीं थे।
फिर नवतेज की शादी हो गई वो आस्टरेलिया चला गया।  मैं फिर भी उसके गाँव जाकर रहने आता।
नवतेज के आस्टरेलिया जाने से पहले बहुत किस्से हुए। वो अगली बार।
चलता।
बाकी अगली बार।
11.11.2017

#rajneesh_jass
Rudrapur
Distt Udham Singh Nagar
Uttrakhand
India