Tuesday, April 26, 2022

बेल का शर्बत

आइए आज आपको बेल का शरबत पिलाते हैं। बेल एशियन देशों में पाए जाने वाला 10 से 13 मीटर ऊंचा पेड़ है। इसके पत्तों की से शिवजी की पूजा की जाती है । माना जाता है इसमें शिव का वास है। आमतौर पर बेल का पेड़ मंदिरों में लगाया जाता है । इस पर कांटे भी होते हैं।

 नेपाल में इसका फल लड़कियों को दिया जाता है और यह वहां पर यह मान्यता है कि इसका फल अगर नहीं टूटता, उतने दिन तक वह लड़की सुहागिन रहती है। 

आईए मुड़ते हैं  बेल के शरबत पर। यह पेट की बीमारियों, बवासीर, अल्सर, भूख ना लगने जैसी बीमारियों पर खाया जा सकता है।

शरबत बनाने के लिए इसके फल की सख्त खोल को तोड़ कर उसे से गुद्दा निकाला जाता है।  उसके चीनी का पानी डालकर उसे घुमाया जाता है , उसे छननी से छानकर बीज अलग किए जाते हैं। ऐसे मीठा शरबत तैयार होता है।  इसमें विटामिन ए और विटामिन सी बहुत मात्रा में पाया जाता है।
 रुद्रपुर में यह आमतौर पर किस जगह से हिल जाता है ।  गर्मियों की इस चिलचिलाती धूप में  एक बार में एक बार रुके, बेल का शरबत पीएँ।  

 तस्वीर में इस भाई साहब का नाम किशन लाल है। यह पीलीभीत यूपी से हैं और यहां पर बेल का शरबत , नींबू पानी, सोडा पानी, जलजीरा एक ही रेहड़ी पर इतनी वैरायटी रखे हुए हैं । यह सिडकुल से को आवास विकास  की तरफ आते हुए रास्ते में है। दूसरी एक रेहड़ी भगत सिंह चौक पर भी है । यह वह लोग हैं जिनका नाम कभी कहीं नहीं आता,  पर हमारे यह लोग मेहनत करके एक स्वाद पैदा करते हैं तो चलिए इनका भी शुक्र करते हैं।

 मैं इन लोगों को के बारे में इसलिए भी लिखता हूँ कि वह लोग हैं यू कोल्ड ड्रिंक के इस दौर में हमारे भारत का स्वाद जिंदा रखे हुए हैं। वर्ना कोल्ड ड्रिंक कंपनियों और पिज्जा के मालिक वे लोग हैं अगर इनका बस चले तो सुबह से लेकर शाम तक की उपयोग होने वाले पानी , घर की बनी रोटी,  दाल, हवा सब कुछ हमें डिब्बों में पैक करके बेचें और करोड़ों रुपया कमाएँ। 

 आज के लिए अलविदा , फिर मिलूंगा एक नए किस्से के साथ।
रजनीश जस 
#rajneesh_jass
Rudrarpur 
Uttrakhand
26.04.2019

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