Sunday, June 6, 2021

साईकलिंग ( स्वयं को समय देना)

रविवार है तो साइकिलिंग, दोस्त, किस्से कहानियाँ। इस रविवार को साइकिल पर नहीं जा पाए चलो किस्से कहानियों की राह पर चलते हैं| 

एक लड़का ट्यूशन पढ़ाता है। सुबह 6:30 बजे  घर से निकलता है रात को 9:00 बजे वापिस पहुंचता है। मुझसे मेरी कई बार बात हुई। मैनें उसे कई बार साईकलिंग के लिए कहता। वो हमेशा कहता जरुर जाऊंगा "कभी"। ये जो "कभी" शब्द है यह आता ही नहीं। फिर मैनें मकान बदल दिया। अभी कोरोना के बारे में का ट्यूशन का काम बंद पड़ा है। उसको समय मिला जिंदगी कुछ जानने का उसका घर काठगोदाम है। उसने कहा कि उसके घर से पैदल चलने पर 15 मिनट में पहाड़ शुरू हो जाते हैं। पर वह भागता ही रहा इतने साल, उसने इतने साल ऐसे ही खो दिए। 
 वह मेरे एक मित्र को बता रहा था उसने पहली बार ऐसी सुबह देखी। उसने मेरे दोस्त से कहा कि वो मुझसे बात करेगा। 
मेरा मकसद पूरा हो गया,वह कुदरत को महसूस करने लगा है। 

ऐसे ही मेरे एक जानकार हैं। उनका अच्छा कारोबार है।  उसके दुकान पर 8 - 10 लोग काम करते हैं।
एक दिन वह बताने लगे कि उनकी दुकान पर एक आदमी काम करता था। उसकी तन्खाह 8 हज़ार के लगभग थी। मालिक ने उसे अपना एक छोटा सा घर रहने को दे रखा था। किसी कारण के उसको नौकरी छोड़ दी। कुछ महीने बाद उस मालिक को कहीं पर मिला । उसने उस मालिक को ऐसी बात की थी वह उसे एक सीख दे गई।
मालिक ने पूछा बताओ कि तुम्हारी तनख्वाह कितनी है?
नौकर ने जवाब दिया,  ₹6000।
मालिक ने पूछा, इतने में गुज़ारा कैसे करते हो? 
नौकर ने कहा,  मैं आपकी दुकान पर सुबह 9 बजे से रात 8 बजे तक काम करता था, जिसके कारण मैं अपने परिवार को समय नहीं दे पा रहा था। अब मैं 10 बजे काम पर जाता हूँ। शाम के 5:00 बजे तक काम करता हूँ। सुबह और शाम अपनी बीवी और बच्चों के साथ समय गुज़ारता हूँ। बच्चों के साथ खेलता हूँ। सब्जी मंडी में जाकर हफ्ते भर की सब्जी ले आता हूँ। अपनी ज़िंदगी को जी रहा
वह मेरा दोस्त कहने लगा, कि उसे लगा कि एक ज़ोरदार तमाचा रसीद कर दिया हो। वह खुद को एक गुलाम की तरह महसूस करने लगा। उसके पास समय ही नहीं अपने लिए, अपने परिवार के लिए।
वह कहने लगे, बस युँ लगता है हम भागे जा रहे हैं पर जाना कँहा है पता नहीं?
तो मैंने कहा तुम अपने घर जाकर खाना खाया करो। उसको भी आईडिया अच्छा लगा और फिर उसके घर जाकर खाना शुरू किया ।
अभी तो मैं उनकी पत्नी उनके पास दुकान पर आ जाती है। वह बदल रहे हैं अपने आपको। समय दे रहें हैं खुद को। 

जो आदमी स्वयं को समय देता है, अपने शौक पूरे करता है, जो अपने जुनून को जी लेता है , वही जीवन जी रहा है बाकी तो गिनती ही है।

आज इतना ही, फिर मिलूँगा।

अपना ख्याल रखें,
आनंदित रहें,
दूध में हल्दी लें,
काहवा पीएं,
तुलसी और नीम का पत्ता खाएँ,
व्ययाम करें।

आपका अपना
रजनीश जस,
रूद्रपुर, उत्तराखंड।
06.06.2021

निवासी पुरहीरां,
होशियारपुर, पंजाब
#rudarpur_cycling_club

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