Friday, March 8, 2019

Woman Day

Woman Day
औरतों के बारे में गुरु नानक देव जी जी ने लिखा है
*सो क्यों मंदा आखिए
जित्त जम्मे राजान*
इसका मतलब है कि उसको बुरा क्यों कहे क्योंकि उसने राजाओं को, ऋषि-मुनियों को पैदा किया। कुछ ऋषि-मुनियों ने अपने आप को महान बता दिया और औरत को नर्क का द्वार कहा। हमें इस सोच से ऊपर उठना होगा।
औरत  पैर की जूती नहीं। लोग जो इसको जूती समझते हैं वो  अपनी मांँ का ही निरादर करते हैं जोकि उनको भी जन्म  इक औरत ने ही दिया है  ।
आदमी का काम है पैसा कमाना, परिवार के लिए सुख साधन  इक्ट्ठा करने।  औरत का काम है पैसे का सदुपयोग करना, बच्चों को अच्छे संस्कार देना, मकान को घर बनाना,  वो  घर की छोटी बड़ी सारी चीजें बनाती है ।आदमी परेशान होता है तो वह हमेशा औरत से शांति का आशीर्वाद पाता है। शिव शक्ति का प्रतीक है और पार्वती  माया की।दोनों के मिलन से सृष्टि पैदा होती है चलती है।
तो संसार सिर्फ औरत से, और ना अकेले आदमी से चलेगा।  दोनों को मिलजुल कर जीवन की गाड़ी खींचनी होगी । सुख-दुख इकट्ठे झेलने होंगे, बच्चों को पढ़ाना होगा, नए सपने देखने होंगे, पंख लगाकर आसमान में उड़ने के सपने।

अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दे  मुझे 
इश्क के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए 

इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए 
आपको भी चेहरे  से बिमार होना चाहिए 
# मुनव्वर राना


*रिटायर नौकरी से हुए हैं जिंदगी से नहीं*

 कल मेरी पत्नी ऑटो में बैठकर कहीं जा रही थी तो ऑटो में एक लेडीआकर बैठी जो लगभग 60 साल की होगी । पंजाबी सूट, पंजाबी जूती , बहुत बन ठन कर आई थी। बड़ी खुश नजर आ रही थी वो।  

उसने मेरी पत्नी को बताया कि वह पिछले ही साल रिटायर हुई है। 35 साल स्कूल में नौकरी की। जिंदगी की जद्दोजहद में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी इच्छाओं का कई बार गला घोंटा। बच्चों की पढ़ाई ,कपड़े सिलवाने के लिए, कई बार अपने नए सूट नहीं सिलवा पाई वो। हार श्रंगार करने का मन होता तो वो नहीं कर पाती थी। 

चंडीगढ़ में पली बढ़ी थी और फिर आके रुद्रपुर में रहने लग गई थी । बड़े शहर से आकर छोटे शहर में व्यस्त होना और वहीं पर पूरी जिंदगी बिता देना बहुत बड़ी बात  है।

 उसने बताया कि वह रिटायर होने के बाद 12 लेडीज़ ने मिलकर  किट्टी  डाल रखी है । वह  महीने में  एक बार जरूर मिलती हैं। बहाने से हर महीने नए सूट सिलवा लेती हैं और खूब गपशप करती हैं । एक दिन के लिए रसोई से छुट्टी हो जाती है। 

अपनी जिंदगी के पुराने दिनों को याद करते हुए उसने यह भी बताया कि आज एक औरत घर से रो कर आई थी, शायद उसके पति उसको किट्टी पार्टी में आने नहीं दे रहे थे। वो कहने लगी अभी तो वो रिटायर हो गई , बूढी हो गई है, अब कहां वह भाग जाएगी? जब भागने की उम्र थी तक तो  नहीं भागी। 

 इस औरत ने उसको कहा ,अब पति से डरना छोड़ दे। अपने ढंग से अपनी जिंदगी जी, जो पूरी उम्र नहीं बदला अब क्या बदलेगा? वैसे ही घटियानूसी सोच लेकर  धरती पे आया और ऐसे ही घटियानूसी सोच लेकर इस संसार से विदा हो जाएगा। तू उसके लिए अपनी जिंदगी मत बर्बाद कर । 

उसने बताया कि बच्चे अब बड़े हो गए हैं। जिन बच्चों के लिए विषय में अपनी खुशियां की कुर्बानी दी वह बड़े होकर अपनी पत्नी की बाजू में बाजू डाल कर फिल्म देखने चले जाते हैं और मां-बाप को पूछते भी नहीं मांँ तुम चलोगी क्या? तो यह सब देखते हुए उसने यह फैसला किया कि जिंदगी को अपने ही ढंग से, अपने ही रंग से जीना है ।अब समझौता करने का कोई वक्त नहीं है।

 लड़कियां जो पैदा होती है पहले भाई का डर ,मां बाप का डर,  फिर पति का डर  किसी डर में उनकी सारी जिंदगी बीत जाती है । बहुत कम औरतें होती हैं जिनको की कुछ ऐसी जगह मिले , जिसमें वह पूरा खिल सकें, अपनी पूरी जिंदगी को जी सकें।

 मैं यह किस्सा आपको इसलिए सुना रहा हूं कि हमारी भी पत्नी है,  हमारी बेटी है, वो  कहीं ऐसी ही गुलामी का शिकार ना हो जाए । हम भी उसको पूरा जीने का मौका दें। समय दें, स्थान दे, वह मुस्कुराते हुए जिंदगी जी सकें। 

इतना कहते  हुए वो ऑटो से उतरी । यह सारी बात मेरी पत्नी ने मुझे सुनाई, तो मैंने इस किस्से  को यही नाम दिया कि "हम नौकरी से रिटायर हुए हैं जिंदगी से नहीं।"
 आज के लिए अलविदा, फिर मिलेंगे एक नए किस्से के साथ।


08.03.2019
Rajneesh Jass
Rudrarpur
Uttrakhand

Sunday, March 3, 2019

#journey_ramnagar_uttrakhand

#bajaj_vendor_get_together_2019
टेक्निकल लाइन में  काम  करते हुए आदमी बोर भी हो जाता है। टारगेट, नंबर, प्रोडक्शन, क्वालिटी से कभी रिलेक्स भी होना चाहता है।
बजाज पंतनगर में Customer और Vendor मिलकर एक परिवार की तरह सारी खुशियां मनाते हैं, कोई मुश्किल भी आए तो उससे मिलकर हल करते हैं।
महात्मा गांधी ने  कहा है, Rest is a change of Profession. अगर हम मानसिक काम कर रहे हैं तो हमें शारीररिक  काम करना चाहिए ,अगर हम शारीरिक कर रहे हैं  तो हमें मानसिक काम करना चाहिए।
तो रेस्ट करने के लिए हम  रविवार रामनगर गए। यह सारा Initiative  Mr.  Avinash Kumar, Bajaj Auto Ltd,  Pantnagar, Quality Head की तरफ से हुआ ।
हल्द्वानी कालाढूंगी से होते हुए हमारे राम नगर पहुंचे ।कालाढूंगी में जिम कॉर्बेट म्यूजियम है, जिनके बारे में आगे बता रहा हूँ।  रामनगर की सारे होटल जिम कॉर्बेट के नाम पर है ।यहां पर जंगल सफारी  जिसमें हम खुली जीप में जंगल के अंदर घूमते हैं , जिसमें कि चीते , हाथी, हिरन जंगली जानवर और  पंछी हैं।
तो चलिए मुड़ते हैं रामनगर की यात्रा पर । सड़क के दोनों घने पेड़ और बीच में से निकलती हुई कारें । फरवरी का महीना है तो ठंडक भी हो रही है। हम सुबह लगभग 10:00 के करीब रामनगर होटल पहुंच गये । वहां पर कई लोग पहले पहुंचे हुए थे,   कुछ लोग पीछे आ रहे थे ।
जाते ही कुल्हड़ में चाय पीने का मौका मिला साथ में स्नेक्स थे । एक तरफ कोसी नदी बह रही है  और उसके पीछे पहाड़ हैं जिसकी वीडियो में इस में शेयर करूंगा। उसके साथ 24 एकड़ में बना हुआ यह होटल जिसमें की स्विमिंग पूल, मसाज स्पा, टेबल टेनिस ,घुड़सवारी बच्चों के लिए झूले  हैं। ये फेमिली Get Together बजाज की तरफ से हर साल की जाती है। बजाज कंपनी के 16 वेंडर हैं । उसके क्वालिटी हेड , Second Line और स्टाफ लोग अपनी पत्नी के परिवार के साथ यहां
आते हैं ।
रूटीन से थोड़ा हटके काम।सीमेंट के सोफे,उस पर गद्दे, कुर्सियां लगी हुई थी। उन पर सभी लोग बैठ गए और हम करने लग गए फिर एंकरिंग ।
सभी family को एक-एक करके बुलाया, उन्होंने अपने बारे में जानकारी दी।  किस की लव मैरिज है, किसकी अरेंज मैरिज है?  क्या क्या घर पर होता है?  ऐसे मज़ाक भी चलते रहे। बच्चों ने डाँस किया, देश भक्ति के गाने, चुटकुले, यह महफिल रंग पकड़ती गई ।
मौसम ने कई रंग बदले, कभी धूप - कभी बादल।
उसके बाद हर एक Family Photograh हुई ।फिर हम लोग खाना खाने चले गए। होटल  बढ़िया तरीके से मेंटेन किया हुआ है।
खाना खाकर लौटे तो  मोर की पीहू पीहू सुनाई दी।  गाँव की याद ताज़ा  हो गई।
फिर बच्चों को ड्राइंग के लिए कलर और किताबें दी गई । फिर चली म्यूजिकल चेयर ।
फिर कोई यह कार्यक्रम बड़ा अच्छा लगा जिसको lady एक gent  के कान में फिल्म बता देती है। वह फिर अपने बाकी Gents के सामने इशारों से बताता है कि इस फिल्म का नाम क्या है?  और वह सारे कुछ समय के अंदर बताना होता है।
उसके बाद भांगड़ा हुआ और फिर एक सब की ग्रुप फोटो सारी फैमिली को एक तोहफा प्रेजेंट किया गया। तो  जब उसे खोल कर देखा तो उस में एक कप था, जिस पर सुबह की खींची हुई फोटो प्रिंटेड थी। यह सब आईडिया नीरज शर्मा जी Minda Corporation Quality Head  का था । अच्छा लगा , एक दूसरे से मिलकर, सभी जेंट्स एक दूसरे को जानते थे पर उनकी पत्नी और बच्चे एक दूसरे से मिले और उनको भी एक दूसरे को जानने का मौका मिला ।
ओशो कहते हैं दो शब्द होते हैं , एक Enjoyment और दूसरा Celebration.
Enjoyment है  कि
दूसरा आदमी डांस कर रहा कर रहा है,गीत गा  रहा है और हम उसको बैठकर सुन रहे हैं, देख रहे हैं।  Celebration है खुद नाचना, खुद हंसना। वैसे भी मॉडर्न जिंदगी में यह दो काम हम बहुत कम करते हैं।
असली खुशी भीतर है और हम बाहर ढूंढ रहे हैं।
फिर सभी ने Cat Walk की।
खुलकर हंसी मज़ाक हुआ, वहां पर फिर शाम की चाय कुल्हड़ में भी और फिर वापसी हो गई।
रास्ते कुछ बच्चे अपने हाथों में कुत्ता लेकर खड़े थे उसकी फोटोग्राफ मेरे बेटे ने ली।
#rajneesh_jass
24.02.2019
(sharing information From Google baba)
जेम्स ए. जिम कार्बेट (25 जुलाई 1875 - 19 अप्रैल 1955) आयरिश मूल के भारतीय लेखक व दार्शनिक थे। उन्होंने मानवीय अधिकारों के लिए संघर्ष किया तथा संरक्षित वनों के आंदोलन का भी प्रारंभ किया। उन्होंने नैनीताल के पास कालाढूंगी में आवास बनाया था। यह स्थान आज भी यहां आने वाले प्रर्यटकों को उस व्यक्ति के जीवन का ज्ञान कराता है जो न केवल एक शिकारी था बल्कि एक संरक्षक, चमड़े का कार्य करने वाला, जंगली जानवरों का फ़ोटो खीचने वाला तथा बढ़ई था। इन्होने उत्तराखण्ड के गढ़वाल जिले मे अनेक आदमखोर बाघों को मारा था जिनमें रुद्रप्रयाग का आदमखोर तेंदुआ भी शामिल था। मगर बाद मे उनके विचार पलटने से और बाघों की घटती संख्या देखकर इन्होने सिर्फ छायाचित्रकारिता ही अपनाई।
जेम्स जिम कॉर्बेट
जिम कॉर्बेट
जन्म
25 जुलाई 1875
नैनीताल, यूनाइटेड प्रोविंस (अब उत्तराखंड), ब्रिटिश भारत (अब भारत)
मृत्यु
अप्रैल 19, 1955 (उम्र 79)
न्येरी, केन्या
राष्ट्रीयता
ब्रिटिश
व्यवसाय
शिकारी, प्रकृतिज्ञ, लेखक
जिम की प्रारम्भिक शिक्षा नैनीताल के ओपनिंग स्कूल से की बाद में सेंट जोसेफ कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नही होने के कारण पढाई बीच में छोड़कर 18 वर्ष की उम्र में मोकामा घाट (बिहार) जाकर वहाँ रेलवे में नौकरी करने लगे।[1]
जिम कार्बेट आजीवन अविवाहित रहे। उन्हीं की तरह उनकी बहन ने भी विवाह नहीं किया। दोनों भाई-बहन सदैव साथ-साथ रहे और एक दूसरे का दु:ख बाँटते रहे।
कुमाऊँ तथा गढ़वाल में जब कोई आदमखोर शेर आ जाता था तो जिम कार्बेट को बुलाया जाता था। जिम कार्बेट वहाँ जाकर सबकी रक्षा कर और आदमखोर शेर को मारकर ही लौटते थे।
जिम कार्बेट एक कुशल शिकारी थे। वे शिकार करनें में यहाँ दक्ष थे, वहीं एक अत्यन्त प्रभावशील लेखक भी थे। शिकार-कथाओं के कुशल लेखकों में जिम कार्बेट का नाम विश्व में अग्रणीय है। उनकी 'भाई इण्डिया' पुस्तक बहुत चर्चित है। भारत-प्रेम उनका इतना अधिक था कि वे उसके यशगान में लग रहते थे। कुमाऊँ और गढ़वाल उन्हें बहुत प्रिय था। ऐसे कुमाऊँ - गढ़वाल के हमदर्द व्यक्ति के नाम पर गढ़वाल-कुमाऊँ की धरती पर स्थापित पार्क का होना उन्हें श्रद्धा के फूल चढ़ाने के ही बराबर है। अत: जिम कार्बेट के नाम पर यह जो पार्क बना है, उससे हमारा राष्ट्र बी गौरान्वित हुआ है, जिम कार्बेट के प्रति यह कुमाऊँ-गढ़वाल और भारत की सच्ची श्रद्धांजलि है। इस लेखक ने भारत का नाम बढ़ाया है। आज विश्व में उनका नाम प्रसिद्ध शिकारी के रूप में आदर से लिया जाता।