Thursday, January 10, 2019

Journey To Ramgarh, Uttrakhand


Journey to  Ramgarh,  Uttrakhand
नए साल पर पूरे विश्व में पार्टियां हो रही हैं। हमारी कंपनी में शटडाउन था। हमें छुट्टियां थी तो हमने भी प्लान बनाया जाने का। रुद्रपुर से 80 किलोमीटर दूर रामगढ़ मुक्तेश्वर के रास्ते में। यहाँ ये बताना जरूरी है कि ये शोले फ़िल्म की शूटिंग हुई थी ।😂😂
  मैं घर से  निकला पंकज और विशाल गाड़ी में बैठ कर मेरा इन्तज़ार कर रहे थे। Jagwinder की कमी महसूस हो रही थी वो नहीं आ पाया क्योंकि उसकी factory working थी ।
चल दिए मुसाफिर पंकज की कार पर सफ़र पे। हल्द्वानी होते हुए, हम काठगोदाम पहुंचे। काठगोदाम से पहाड़ नज़र आते हैं । ऐसा लगता है कि मानो हाथ जोड़ कर नमस्कार कर रहे हों  "कि आइए स्वागत है आपका।"
 भीमताल होते हुए ऊपर पहुंचे तो एक दुकान पर चाय पी, अदरक और काली मिर्च वाली। वहां से कुछ फल फ्रूट लिए। रुद्रपुर से निकलते हैं हमने अमरूद भी लिए थे । सफ़र पर अमरूद  अच्छे रहते हैं।
 2:00 बजे चले तो लगभग 5:00 बजे के करीब हम रामगढ़ पहुंच गए। सूरज छुप गया था यहां पहाड़ी पर। कोहरे से घास पर बर्फ़ दिखाई दे रही थी। पंकज के चाचा ही  बहुत सारे फ्लैट है। वह दिल्ली में यह मकान सेल के लिए लगाए गए हैं। टू बैडरूम सेट रूम हीटर लगाया और कपड़े बदले ।खाने का ऑर्डर दिया बैठ गए गप्पे मारने। ठंड बढ़ गई , उस्ताद नुसरत फ़तेह अली खाँ की कवाल्लियाँ सुनी। पंकज के  blue tooth वाले speaker बहुत काम आये। Davinder Singh Bedi से अमेरिका  video call की। हमारी दोस्ती  1993 से है वो अमेरिका चला गया। उसकी एक खास चीज़ है कि उसका दिल दायीं तरफ़ है और बहुत बड़ा है। वो हम से लगातार touch में है।
 खाना खाकर हम 10:00 बजे बाहर निकले तो पहाड़ी पर थोड़ा सा ही घूमे थे और फिर हमने सूखी  झाडि़याँ  से आग लगाई, हाथ सेके । आग पर हाथ सेकने का अलग ही मज़ा है। सो गए। रात पंकज को एसिडिटी हो गई लगभग 2:00 बजे। मैनें उसका accupressure किया। अच्छा हुआ हमारे पास एक स्टील की बोतल थी रात को हमने उस्मी गर्म पानी करवा कर रखा था। गर्म ठंडा पानी मिक्स करके पिया तो पंकज को राहत महसूस हुई। हम सो गए। लगभग 4 डिग्री टेंपरेचर होगा।
 सुबह सुबह बाहर निकला देखा तो सामने हिमालय दिखाई दे रहा था। ये देखकर मन आनंदित हो गया। हिमालय बुद्ध पुरुष की तरह अकेला ही खड़ा है बांहे पसारे और भारत को बहुत सारे मौसम प्रदान करता है। फिर हमने फ्रेश होकर खाना खाया और निकल गए।  अरविंदो आश्रम यहां से 10 किलोमीटर था ।
  
जब स्वामी अरविंदो  पॉंडिचेरी में एक अश्रम बनाया यहाँ आज लगभग 5000 सन्यासी  रह रहे हैं और ध्यान कर रहे हैं ।
आदमी की जो परम दशा है वो पूरा खिल जाना है, जिसे हम बुद्ध कहते हैं।

अरविंदो आश्रम भी बहुत बढ़िया जगह बना हुआ है। वहां जाकर पता चला कि वह पूरे साल के लिए मेडिटेशन के लिए बुक है। थोड़ी देर  साइलेंट रुम में बैठकर मैंने मेडिटेशन की। वँहा एक सन्यासी मिला जो 11 साल से वंही है। वो उड़ीसा से था।
कुछ किताबें लीं और फिर हम निकल लिए वापस ।  भीमताल पहुंचे तो एक रेस्टोरेंट में खाना खाया । फिर  हम झील पर गए हमने वहां बोटिंग की।  सामने पहाड़ी पर एक मकान देख रहा था कि बहुत खूबसूरत था।बोट वाले लड़के  ने बताया कि यहां
"कोई मिल गया "
फिल्म की शूटिंग हुई थी। झील के बीच में Fish Aquarium  है उस में अलग-अलग किस्म की मछलियां हैं । बोटिंग करके वापस  शॉपिंग की ओर से हम 4:00 बजे के करीब रुद्रपुर की वापस पहुँच गए।
फिर मिलेंगे एक नए किस्से के साथ।  तब तक के लिए अलविदा ।
#rajneesh_jass
30.12.2018
Rudrapr
Uttrakhand

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