रविवार है तो साईकलिंग,दोस्त, किस्से कहानियाँ।
आज साईकलिंग नहीं हो रही कि करफिऊ लगा है। चलो किस्से तो हैं।
रविंद्र नाथ टैगोर ने कहा है,
"हर जन्म लेता हुआ बच्चा इस बात का गवाह है परमात्मा निराश नहीं है।"
पाश ने कहा है,
"सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना।"
गोपाल दास नीरज ने कहा है,
"चंद सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।"
महांमारी का दौर चल रहा है लोगों के दिलों में निराशा घर कर रही है। इस निराशा के दौर में पूरे विश्व के कवियों और विज्ञानियों को इक्ट्ठे हो कर कार्य करना चाहिए। कुछ ऐसीत रचनाएं करनी होंगी कि जिसे लोगों के मन से निराशा निकले। या तो पुरानी कोई किताब उठाएं जो आशा जगा दे।
एक दौर में आइंस्टाइन और रविंद्र नाथ टैगोर का खत पत्र चलता था। साईंस और कविता जब मिलते हैं तो जीवन में तालमेल बनता है। अकेली साईंस ने हमें कँहा लाकर खडे कर दिया है?
मेरे घर के पास लीची का पेड़,
आजकल कच्ची हैं
ओ हैनरी की कहानी "द लास्ट लीफ" एक आस की किरण जगाती है। दो लड़कियाँ एक बिल्डिंग मे रह रही हैं। वँहा एक शराबी पेंटर रहता है। उनमें से एक लड़की बीमार हो जाती है। वो सामने लगी खिड़की के बाहर बेल को देखती है। उस बेल के पत्ते गिरने लगते हैं। उसके बाद बारिश होती है उस लड़की को लगता है कि अगर उसके सारे पत्ते झड़ गये तो वह मर जाएगी। यह वाली बातचीत होती वह शराबी पेंटर सुन लेता है। उस रात बहुत बारिश होती है, उस लड़की को लगता है आज तो आखिर वाला पत्ता भी गिर जाएगा। तो सुबह उठकर दिखती पत्ता नहीं गिरा। यह देखकर वह ठीक हो जाती है। जब वह बाहर निकलती है तो देखती है को पता नहीं है बल्कि दीवार पर पत्ते की पेंटिंग है। वह पेंटिंग इतनी जीवंत थी कि वह असली पत्ता लग रहा था। लह सुनकर सन्न रह जाती है जब उसे पता चलता है कि पेंटिंग बनाते हुए वह शराबी पेंटर मर गया है।
कृष्ण चंद्र की कहानी, तीसरे विश्व युद्ध के बाद , भी कमाल है। कहानी शुरू होती है, तीसरा विश्व युद्ध होता है तो सारी दुनिया तबा हो कितनी टाइम टेस्ट नीग्रो लड़का एक लड़की को लेकर किसी ग्रह पर चला जाता है। जब उन्होंने बड़े हो जाते हो जाता है तो दोनों में प्यार नहीं होता। अब प्यार नहीं होगा तो आगे दुनिया कैसे चलेगी?
वह दोनों को दुनिया की सैर करवाता है। वह ताजमहल देखकर रूक जाते हैं। दोनों लड़का , लड़की पूछने लगते हैं, इतनी प्यारी जगह?
वह वैज्ञानिक बताता है प्रेम के बारे में। वह नोट करता है दोनों एक दूसरे के प्रेम से देखने लगते हैं।
इस महामारी दौर में अपने दोस्तों और पडोसियों को फोन करते रहें, उनका मनोबल बढ़ाते रहें। हमारे साथ जो लोग जुड़े हुए हैं सब्जीवाला, हमारे घर में काम करने वाले लोग, उनको पूरी तन्खाह दें चाहे उन्होनें वह घर पर काम नहीं भी किया है। किसी को दवाई की ज़रूरत है, उसे मुहैया करवाएँ।
इस कार्य में खालसा एड, फ्री वैंटीलेटर बाँट रही है। गुरद्वारों में मुफ्त लंगर मिल रहा है। हमारे यँहा रूद्रपुर में जो लोग बिमार हैं उनको घर पर लंगर पहुंचाया जा रहा है।
एक कवि चिराग जैन पूरे देश भर में लोगों को करुणा के समय में दवाइयां मुहैया करवाने में प्लाज्मा और वेंटीलेटर के अरेंजमेंट कर रहे हैं।
इस लोक डाउन में लेकिन आज तक सोनू सूद ने जो काम किया है वह शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। पिछले साल लोगों को मुंब ई से बिहार, उत्तर प्रदेश तक पहुँचाया था वो भी अपनी टीम से मिलकर खुद के लाखों रूप ये खर्चकर। आजकल वह ऑक्सीजन को लोगों तक पहुंचाने में जुटे हुए हैं। उन पर एक किताब आई है "मैं मसीहा नहीं हूँ।"
तो उम्मीद दिलों में जगाए रखें।
फिर मिलूंगा।
आपका अपना
रजनीश जस
रूद्रपुर, उत्तराखंड
निवासी पुरहीरां, होशियारपुर
पंजाब
#rudarpur_cycling_club
25.04.2021