21 दिन लाकडाऊन, मतलब हमारे पास 21 दिन हैं, खुद को समझने में, दूसरों को समझने में।
सुना है कि कोई काम हम 21 दिन लगातार करते हैं तो वो हमारी आदत बन जाती है। तो अच्छे काम करें 21 दिन तक ,जो आगे के चल कर वो आदत बनें और हमारी जिंदगी में आनंद, उत्सव और शांति पैदा हो सके। क्योंकि विश्व की शांति एक आदमी के शांत मन से शुरू होती है। अगर एक आदमी का मन शांति , प्रेम से भरा हो तो दूसरे लोग शांत होंगे तो विश्व में करूणा और शांति बढेगी।
पर इसके साथ शर्त ये भी है घर पर ही रहें।
मुझे याद आ रहा था मेरे पास जब नौकरी नहीं थी। मैं सुबह देरी से उठता था, तब तक पिता जी सैर करके वापिस आ जाते हैं।
पिता जी, हर रोज़ डाँटते, सुबह उठकर सैर कर लिया करो।
मेरा एक दोस्त था बिट्टु अब गैरी काहलों ( नाम तो उसका गुरमेल सिंह है, गैरी काहलों ,कनाडा में नाम मोडिफाई हो गया है) और मैं , दोनों बिना नौकरी के थे।
मैनें कहा, यार सुबह-सुबह बापू की डाँट बहुत पड़ती है, कि तुम सैर नहीं करते हो?
तो उसने यह कहा, ये इसलिए नहीं पड़ती है कि तुम देरी से उठते हो, बल्कि ये इसलिए है कि तुम नौकरी नहीं कर रहे हो। अगर तुम नौकरी करो, तो संडे को जितने चाहे मेरी मर्जी देरी से उठो।
तब जाकर खोपडी में बात घुसी।
फिर हम दोनों ने मिलकर डिस्ट्रिक्ट लाइब्रेरी का पास बनवा लिया । वहां से किताब लाकर पढ़ने लगे।लाइब्रेरी किताबें लाकर पढ़ते तो समय का सदुपयोग होने लगा।
मुझे एक हँसी वाला किस्सा भी याद आ रहा है। उन दिनों नया नया इंटरनेट शुरु हुआ था। ₹20, एक घंटे के लगते थे। गांव में गर्मी होती तो हमने ₹20 दोनों ने डालने और 40 हो जाते। स्कूटर पर पुरहीराँ , गाँव से होशियारपुर जाकर 2 घंटे एसी में बैठ कर इंटरनेट पर चैटिंग करते। उन दिनों में Yahoo Mesaanger पर लोग चैटिंग करते थे। लड़के की आई डी देख कर हमसे कोई चैटिंग नहीं कर रहा था। तो हम परेशान हो गये।
एक खुराफाती आईडिया दिमाग में आया। हमने एक लड़की के नाम से आईडी बनाई। तो तुरंत लड़कों के कमेंट आने शुरू हो गए,
हाय बेबी,
हाउ आर यू
हाउ क्यूटी
सब ने भी खूब मजे लिए।
तभी तो मैं वह स्त्री दिवस पर यह जरूर लिखता हूं उन लड़कों को भी स्त्री दिवस की बधाई जो लड़की की आई डी बनाकर फेसबुक और ट्विटर पर लड़कों का मन बहलाते हैं।😁😁😁
बिट्टू के साथ मेरे बहुत सारे किस्से हैं। हम दोनों ओशो पढ़ने लगे थे । तो पता चला कि हिमालय से दो हठयोगी होशियारपुर में आए हुए हैं। हम स्कूटर लेकर वँहा पहुंच गए । उन से बातें करने लगे । उनके लंबे लंबे बाल, उन्होनें जोगिया रंग के कपड़े पहने हुए थे। बातों बातों में शायद मैंने ओशो का जिक्र कर दिया। बस पूछो मत वैसे भड़क गए। मैंने बिट्टू की तरफ देख कर इशारा किया, भैया भाग ले यहां से नहीं तो बहुत पिटने वाले हैं। उन्होनें तर्क से बात करने की बजाय उन्होनें क्रोध का साथ देना उचित समझा और हमने उचित यही समझा के यहां से भाग चलो। तो हम दोनों वँहा से भाग लिए।😁😁😁
हमारे गांव में एक और लड़का है बिंदा वो आजकल इंग्लैंड में है। मैं और मेरा दोस्त रिंकू जो कि इटली है ( उससे मेरी बात हुई है, वो घर पर है,सुरक्षित है। भगवान से उसकी ओर पूरे विश्व की अच्छी सेहत की दुआ करता हूँ) , तो रिंकू ने जिम करना शुरू किया। मैं जब पहले दिन गया तो बिंदा मेरी तरफ देख कर बोला, कि तुम भी वेट लिफ्टिंग करो। अब आप सोचो, एक लड़का जिसकी कमर 29 इंच की हो, जिसे पतला होने के कारण बहुत बार मजाक बनना पड़ रहा हो, वो ओर मजाक का पात्र नहीं बनना चाहता था ।
मैंने कहा, मुझको नहीं आता है, तो उसने कहा पहले सिर्फ खाली 5 किलो ही करो। फिर उसने एक रोड में वेट डाला और मैनें उठाया। बिंदा पीछे खड़ा हो गया। मैं डर रहा था, पर उसने मुझे हौंसला दिया। बस फिर तो, ऐसा हुआ कि सुबह शाम 3 महीने हमने जिम ही किया।
ऐसा जुनून छा गया था कि एक बार बिजली नहीं थी, तो हमने मोमबत्ती की रोशनी में जिम किया।
मेरा चेहरे का अलग ही रौब आ गया था। मैं खड़ा-खड़ा ही 1 किलो दूध पी जाता था, पर उन दिनों में हमने समोसा, मिठाई, चटनी कुछ भी नहीं खाया। इस सारे काम के लिए हमारे गांव का एक लड़का करतार था जो कि खुद तो जिम नहीं करता था पर उसने अपनी हवेली हमें दे रखी थी। उसने आकर बैठ जाना और कहना करो करो, लड़कों खूब मेहनत करो। खूब बाडी बनाओ।
3 महीने बाद मेरी कमर 32 इंच हो गयी थी।
जिंदगी जीने के लिए बहुत ज्यादा सहूलतों की जरूरत नहीं होती, जिंदगी हम जीते हैं अपने अंदाज से, अच्छे दोस्तों के साथ से।
एक शेर है
ले देकर अपने पास नज़र ही तो है
क्यों देखें जिंदगी को, किसी ओर की नजरों से हम
मुझे एक और किस्सा याद आ रहा है, कि रिंकू की दुकान के साथ वी सी आर की कैसेट दुकान होती थी। वह खुद तो नशेड़ी थाऔर पर टिककर नहीं बैठता था । उसकी दुकान रिंकू और और उसके पिता जी देखते थे।
एक बार उसकी दुकान पर एक लड़का भागा भागा आया। वह बोला " अंकल , अंक्ल, प्यासी चुड़ैल चाहिए।
रिंकू के पिताजी बहुत मजाक वाले थे, उन्होंने कहा, बेटा प्यासी चुड़ैल तो नहीं है क्योंकि उसने पानी पी लिया है, अभी चुड़ैल ही है कहो तो ले जाओ।😁😁😁
ऐसे ही कुछ और किससे लेकर आऊंगा।
तब तक के लिए विदा लेता हूँ।
आपका अपना
रजनीश जस
रूद्रपुर
उत्तराखंड
29.03.2020
#sunday_diaries
#rudarpur_cycling_club
सुना है कि कोई काम हम 21 दिन लगातार करते हैं तो वो हमारी आदत बन जाती है। तो अच्छे काम करें 21 दिन तक ,जो आगे के चल कर वो आदत बनें और हमारी जिंदगी में आनंद, उत्सव और शांति पैदा हो सके। क्योंकि विश्व की शांति एक आदमी के शांत मन से शुरू होती है। अगर एक आदमी का मन शांति , प्रेम से भरा हो तो दूसरे लोग शांत होंगे तो विश्व में करूणा और शांति बढेगी।
पर इसके साथ शर्त ये भी है घर पर ही रहें।
मुझे याद आ रहा था मेरे पास जब नौकरी नहीं थी। मैं सुबह देरी से उठता था, तब तक पिता जी सैर करके वापिस आ जाते हैं।
पिता जी, हर रोज़ डाँटते, सुबह उठकर सैर कर लिया करो।
मेरा एक दोस्त था बिट्टु अब गैरी काहलों ( नाम तो उसका गुरमेल सिंह है, गैरी काहलों ,कनाडा में नाम मोडिफाई हो गया है) और मैं , दोनों बिना नौकरी के थे।
मैनें कहा, यार सुबह-सुबह बापू की डाँट बहुत पड़ती है, कि तुम सैर नहीं करते हो?
तो उसने यह कहा, ये इसलिए नहीं पड़ती है कि तुम देरी से उठते हो, बल्कि ये इसलिए है कि तुम नौकरी नहीं कर रहे हो। अगर तुम नौकरी करो, तो संडे को जितने चाहे मेरी मर्जी देरी से उठो।
तब जाकर खोपडी में बात घुसी।
फिर हम दोनों ने मिलकर डिस्ट्रिक्ट लाइब्रेरी का पास बनवा लिया । वहां से किताब लाकर पढ़ने लगे।लाइब्रेरी किताबें लाकर पढ़ते तो समय का सदुपयोग होने लगा।
मुझे एक हँसी वाला किस्सा भी याद आ रहा है। उन दिनों नया नया इंटरनेट शुरु हुआ था। ₹20, एक घंटे के लगते थे। गांव में गर्मी होती तो हमने ₹20 दोनों ने डालने और 40 हो जाते। स्कूटर पर पुरहीराँ , गाँव से होशियारपुर जाकर 2 घंटे एसी में बैठ कर इंटरनेट पर चैटिंग करते। उन दिनों में Yahoo Mesaanger पर लोग चैटिंग करते थे। लड़के की आई डी देख कर हमसे कोई चैटिंग नहीं कर रहा था। तो हम परेशान हो गये।
एक खुराफाती आईडिया दिमाग में आया। हमने एक लड़की के नाम से आईडी बनाई। तो तुरंत लड़कों के कमेंट आने शुरू हो गए,
हाय बेबी,
हाउ आर यू
हाउ क्यूटी
सब ने भी खूब मजे लिए।
तभी तो मैं वह स्त्री दिवस पर यह जरूर लिखता हूं उन लड़कों को भी स्त्री दिवस की बधाई जो लड़की की आई डी बनाकर फेसबुक और ट्विटर पर लड़कों का मन बहलाते हैं।😁😁😁
बिट्टू के साथ मेरे बहुत सारे किस्से हैं। हम दोनों ओशो पढ़ने लगे थे । तो पता चला कि हिमालय से दो हठयोगी होशियारपुर में आए हुए हैं। हम स्कूटर लेकर वँहा पहुंच गए । उन से बातें करने लगे । उनके लंबे लंबे बाल, उन्होनें जोगिया रंग के कपड़े पहने हुए थे। बातों बातों में शायद मैंने ओशो का जिक्र कर दिया। बस पूछो मत वैसे भड़क गए। मैंने बिट्टू की तरफ देख कर इशारा किया, भैया भाग ले यहां से नहीं तो बहुत पिटने वाले हैं। उन्होनें तर्क से बात करने की बजाय उन्होनें क्रोध का साथ देना उचित समझा और हमने उचित यही समझा के यहां से भाग चलो। तो हम दोनों वँहा से भाग लिए।😁😁😁
हमारे गांव में एक और लड़का है बिंदा वो आजकल इंग्लैंड में है। मैं और मेरा दोस्त रिंकू जो कि इटली है ( उससे मेरी बात हुई है, वो घर पर है,सुरक्षित है। भगवान से उसकी ओर पूरे विश्व की अच्छी सेहत की दुआ करता हूँ) , तो रिंकू ने जिम करना शुरू किया। मैं जब पहले दिन गया तो बिंदा मेरी तरफ देख कर बोला, कि तुम भी वेट लिफ्टिंग करो। अब आप सोचो, एक लड़का जिसकी कमर 29 इंच की हो, जिसे पतला होने के कारण बहुत बार मजाक बनना पड़ रहा हो, वो ओर मजाक का पात्र नहीं बनना चाहता था ।
मैंने कहा, मुझको नहीं आता है, तो उसने कहा पहले सिर्फ खाली 5 किलो ही करो। फिर उसने एक रोड में वेट डाला और मैनें उठाया। बिंदा पीछे खड़ा हो गया। मैं डर रहा था, पर उसने मुझे हौंसला दिया। बस फिर तो, ऐसा हुआ कि सुबह शाम 3 महीने हमने जिम ही किया।
ऐसा जुनून छा गया था कि एक बार बिजली नहीं थी, तो हमने मोमबत्ती की रोशनी में जिम किया।
मेरा चेहरे का अलग ही रौब आ गया था। मैं खड़ा-खड़ा ही 1 किलो दूध पी जाता था, पर उन दिनों में हमने समोसा, मिठाई, चटनी कुछ भी नहीं खाया। इस सारे काम के लिए हमारे गांव का एक लड़का करतार था जो कि खुद तो जिम नहीं करता था पर उसने अपनी हवेली हमें दे रखी थी। उसने आकर बैठ जाना और कहना करो करो, लड़कों खूब मेहनत करो। खूब बाडी बनाओ।
3 महीने बाद मेरी कमर 32 इंच हो गयी थी।
जिंदगी जीने के लिए बहुत ज्यादा सहूलतों की जरूरत नहीं होती, जिंदगी हम जीते हैं अपने अंदाज से, अच्छे दोस्तों के साथ से।
एक शेर है
ले देकर अपने पास नज़र ही तो है
क्यों देखें जिंदगी को, किसी ओर की नजरों से हम
मुझे एक और किस्सा याद आ रहा है, कि रिंकू की दुकान के साथ वी सी आर की कैसेट दुकान होती थी। वह खुद तो नशेड़ी थाऔर पर टिककर नहीं बैठता था । उसकी दुकान रिंकू और और उसके पिता जी देखते थे।
एक बार उसकी दुकान पर एक लड़का भागा भागा आया। वह बोला " अंकल , अंक्ल, प्यासी चुड़ैल चाहिए।
रिंकू के पिताजी बहुत मजाक वाले थे, उन्होंने कहा, बेटा प्यासी चुड़ैल तो नहीं है क्योंकि उसने पानी पी लिया है, अभी चुड़ैल ही है कहो तो ले जाओ।😁😁😁
ऐसे ही कुछ और किससे लेकर आऊंगा।
तब तक के लिए विदा लेता हूँ।
आपका अपना
रजनीश जस
रूद्रपुर
उत्तराखंड
29.03.2020
#sunday_diaries
#rudarpur_cycling_club