Tuesday, August 13, 2019

प्रेम की खोज

Love is to accept ourself as it is with good and bad habits.

Love is not to find "Perfect "
It is an art to see
" Imperfect "  " Perfectly".
"प्रेम" खुद को अपनी खूबियाँ और  कमजोरियों के साथ स्वीकार करना ही " प्रेम" है।

"प्रेम" किसी संपूर्णता की तलाश नहीं
बल्कि ,ये दूसरे इंसान की  अपूर्णता के साथ उसे पूरा का पूरा स्वीकार करना ही "प्रेम" है।

मीराबाईं अपने आप में पूर्ण है,
बुद्ध अपने आप में पूर्ण।
मीराबाईं , अगर बुद्ध होने की कोशिश करती, तो ना ही मीराबाईं बन पाती ना बुद्ध।
हम सब भी कुछ ना कुछ होने की कोशिश में रहते हैं, पर अपने जैसे नहीं। यँही सारी गल्ती है।
मैं अपनी बात कर रहा हूँ,  बाकी का नहीं कहा जा सकता।
ओशो कहते हैं,  हर एक इंसान अनमोल है,  अद्वितीय है, ना उसके जैसा इंसान पहले कभी इस धरती पर  हुआ है और  ना ही कभी होगा।  पर हमारा दुख ये है हम पूरा जीवन खो देते हैं,  बुद्ध जैसे होने में या मीराबाईं जैसे होने की दौड़  में।  हम अपना गुणधर्म लेकर पैदा हुए हैं और उसे ही तराशने पर जीवन सफल होगा।
# रजनीश जस
#rajneesh_jass
Rudrapur
Distt Udham Singh Nagar
Uttrakhand